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राज घोष
बहुत उन्माद का समय है मेरे दोस्त कुछ किताबें पढ़ना और ईश्वर को याद करना वैसे नहीं जैसे सरकारें और उनके हरकारे कर रहे हैं एक मुहल्ले के दादा की तरह नहीं एक मित्र की तरह कुछ सिनेमा देखना और रुलाइयों को याद करना कैमरा पा कर फूटने वाली नहीं वे जो कैमरा देख सकपका कर चुप होने लगती हैं और प्रॉडक्ट-सेल्समैन के बीच फैले बाज़ार के कल्लोल को निस्पृह भाव से देखती रहती हैं चेहरों को किनारे से ज़रा-सा खुरचना और पहचान कर वापिस चिप्पी लगा देना कुछ अच्छा संगीत ना और उनमें बहते यूटोपिया पर सूखी हँसी हँसना थोड़ी-थोड़ी बात करना डरना बहुत-बहुत लेकिन ज़ाहिर कम करना सीखना उस दिसंबर बच गए लोगों से और इस जनवरी वैसे ही बचे रहना खूब अश्लील चुटकुले सोचना और मुझे सुनाना तुम फरवरी में मुझसे मिलना। ©राज घोष मित्र को पत्र
मित्र को पत्र #कविता
read moreAnsari
दिन में। घर की जिम्मेदारिया😌 सोने नहीं और रात को मेरी अधूरी ❣️ मोहब्बत 🥀🥀🥀 ©Ansari उसामा अंसारी प्रधानमंत्री को पत्र या फिर किसी को पत्र ब्रश
उसामा अंसारी प्रधानमंत्री को पत्र या फिर किसी को पत्र ब्रश #शायरी
read morePooja Udeshi
✒️मेरे लिखे खत को फाड़ देना अपनी जिंदगी से मुझको निकाल देना प्यार किया था मैने ही शायद तुमसे ज्यादा, मेरी इस भूल को माफ़ कर देना दूसरे का आँचल खुशियाँ से भर देना ये सौदा तुम अपनी जिंदगी से कर लेना कोई रुसवा ना करे तुम्हे कभी,अपनी इस अधूरी मुहोब्बत को दफन कर देना 💔 मेरे लिखे खत को
मेरे लिखे खत को
read moreShivraj Solanki
प्रिय मौत मंजिल तो तुम ही थे मेरी पता नही क्या पाने को दौड़ रहा था । तुम बिना सकून नही मैं तो जॉब पाकर खुश हो जाऊंगा सोच रहा था पर जब जॉब मिली तो ना जाने कितनी समस्या बढ़ गई, सच में तुम्हारे बिना किसी को भी कही भी सकून नही मिल सकता इस जिंदगी से तो मौत बेहतर होगी उसके बाद किसी बेहतर की तलाश ना होगी दि ल टूटा आशिक ©Manshiv khatik मौत को पत्र #Memories
जगदीश निराला
आदरणीय राष्ट्रपति जी, आप पूरे राष्ट्र के पति हैं. एक पति का धर्म होता है. पूरे परिवार को संतुष्ट रखे. उसके बच्चे रोजगार को ना तरसे परिजन भूखें ना सोऐं। परिवार को कोई आतंकवादी न डराऐं ना कोई दग़ाबाज़ छल पाऐं। परिवार भी तभी संघटित रहता है परिवार का स्वामी जब अपनों का ख़याल अच्छी तरहां रखता हे तो परिजनो को भी गर्व होता है अपने पिता या पति पर। पूरा राष्ट्र आपमें श्रद्धानत् हे अब आप ही देखे. परिजनों का भला बुरा । मेने पत्र लिखा हे.बुरा ना माने आपका एक नागरिक राष्ट्रपति जी को पत्र
राष्ट्रपति जी को पत्र
read moreManak Suthar
अदिक रही राहों को अपना हाल लिख रहा हूं .... हकीकत को कल्पना के सूखे पन्नों पर रंग रहा हूं ... ना जाने और कितनी बड़ी है .....ये रात टिमटिमाते तारों से सुनहरे ख्वाब बुन रहा हूं .... इमरजेंसी वार्ड जैसी जिंदगी में .. इंतज़ार ..... इंतज़ार .....और बस इंतजार लिख रहा हूं चमकीली आंखों को इक आस लिख रहा हूं ..... तेरा मंजर बड़ा खुशनुमा होगा ......तब तक तेरा साहस लिख रहा हूं .... उलझन भरी इस बात को ......इक सूझाव लिख रहा हूं ... मंजिल के मुसाफिर को ...इक कदम और लिख रहा हूं ... ....की होगी सुबह मस्तानी तेरी .....तब तक विश्वास लिख रहा हूं ..... हकीकत है ....कल्पना से जजबात लिख रहा हूं ... मंज़िल के मुसाफिर को एक कदम और लिख रहा हूं ..... manak suthar ✍️ खुद को इक पत्र ......
खुद को इक पत्र ......
read moreRamanuj Tiwari
कितना सम्भाल कर रखा है उसके लिखे जज़्बात को काश की समझ पाती ओ खामोश लबों के हालात को। इक - इक शब्द उसके आज भी दिल पर राज़ करते हैं काश समझा पाता मैं ख़ुद को उससे की हर मुलाकात को। महसूस किया है दर्द के चुभन को पास आकर दूर जाता है कोई निकाल दिया कब का दिल से अपने निकाल पाता नहीं रागों से ख्यालात को। ओ college का बहाना ओ morning walk पर जाना सब कुछ तो भुला दिया मैंने करोगे क्या, मुझको पाकर तुम भुलाऊँ कैसे उसके सवालात को। उसके लिखे जज़्बात को।।
उसके लिखे जज़्बात को।।
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