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KP NEWS for the same for me to get the ©कंवरपाल प्रजापति टेलर KP NEWS for the रात्रि में चंद्रोदय होने पर चंद्र की पूजा कर, अर्घ्य दें और जल पीकर व्रत खोलें। गणेशजी की पूजा सर्वसिद्धिदायक होती है। आज रव
N S Yadav GoldMine
⏰जय श्री नारायण हरि⏰ {Bolo Ji Radhey Radhey} कभी भी घमंड न करें :- ⏰ एक बार एक गाय जंगल में घास चरने के लिए गई वह घास बड़े मज़े से घास चर रही थी। घास चरते-चरते वह बहुत अधिक घने जंगल में चली गयी जब उसने अपना सर ऊपर उठा कर देखा तो गाय ने अपने चारों तरफ बहुत अधिक पेड़ घास और काँटों भरे झाड़ देखे। गाय को महसूस हुआ कि वह जंगल में रास्ता भटक गई है। गाय को अपने घर जाने का रास्ता ढूंढ़ते हुए श्याम हो गई। गाय ने सोचा मैं आज घर नहीं जा पाऊँगी पर मेरा मालिक मुझे ढूँढ़ते हुए यहाँ जरूर आ जायेगा गाय यह सोचकर वहीँ पर आराम करने लगी। ⏰ जब गाय आराम कर रही थी तब उसी जंगल में एक शेर अपना खाना ढूंढ रहा था। शेर को खाना ढूंढ़ते हुए गाय बैठी हुई दिखाई दी शेर मन ही मन में कहने लगाआज तो दावत मिल गई है पहले मुझे कभी ऐसा खाना नहीं मिला यह कहकर शेर गाय को खाने के लिए भागने लगा। गाय ने शेर को अपनी तरफ आते हुए देखा और जोर से चिल्लाई-मालिक मुझे बचाओ ⏰ बस यह कहकर गाय वहाँ से भागने लगी आगे- आगे गाय पीछे-पीछे। शेर भागते हुए उसके करीब पहुँचने लगा गाय घबरा गई। गाय भागते हुए बहुत अधिक थक चुकी थी तभी गाय को भागते हुए एक तालाब दिखाई दिया। गाय तालाब की तरफ भागने लगी गाय ने मन ही मन में बोला-तालाब में मैं शेर से बच जाऊँगी ⏰ उसी समय गाय ने तालाब में झलांग लगा दी। शेर ने गाय को खाने के लिए उसी तालाब में झलांग लगा दी। पर गाय ने जिसे तालाब समझा था वह एक कीचड़ भरा कुण्ड था जिसे दलदल भी कहा जाता है। गाय दलदल में धसने लगी और शेर भी दलदल में धसने लगा। शेर आधा धस चूका था और गाय भी आधी धस गई। तभी गाय ने शेर से सवाल किया कि-क्या तुम्हारा कोई गुरु यह मालिक है शेर ने हंसकर जवाब दिया। ⏰ मेरा कोई गुरु या मालिक नहीं है बल्कि मै इस जंगल का राजा हूँ शेर को अपने ऊपर बहुत घमड़ था। इसपर गाय बोली-तुम्हारा कोई मालिक नहीं है पर मेरा तो मालिक है शेर ने घमंड में जवाब दिया-हा हा हा पर हम तो दोनों मरने वाले हैं जब जंगल का राजा ही अपनी जान नहीं बचा सकता तो तुम कैसे अपनी जान बचोगी। गाय ने बड़े गर्व से शेर को कहा-मेरा मालिक अभी आकर मुझे बचा लेगा। जब गाय गर्दन तक डूब गई तो उसका मालिक वहां आ गया और गाय को दलदल से बचा लिया। पर गाय और उसके मालिक ने अपनी जान बचाने के लिए चाहते हुए भी शेर को नहीं बचाया। ©N S Yadav GoldMine #delhiearthquake ⏰जय श्री नारायण हरि⏰ {Bolo Ji Radhey Radhey} कभी भी घमंड न करें :- ⏰ एक बार एक गाय जंगल में घास चरने के लिए गई वह घास बड़े
Vedantika
अभिव्यक्ति-27 वर्षों तक वन में घूम-घूम, बाधा-विघ्नों को चूम-चूम, सह धूप-घाम, पानी-पत्थर, पांडव आये कुछ और निखर। सौभाग्य न सब दिन सोता है, देखें, आगे क्या होता है। मैत्री की राह बताने को, सबको सुमार्ग पर लाने को, दुर्योधन को समझाने को, भीषण विध्वंस बचाने को, भगवान् हस्तिनापुर आये, पांडव का संदेशा लाये। ‘दो न्याय अगर तो आधा दो, पर, इसमें भी यदि बाधा हो, तो दे दो केवल पाँच ग्राम, रक्खो अपनी धरती तमाम। हम वहीं खुशी से खायेंगे, परिजन पर असि न उठायेंगे! “रामधारी सिंह दिनकर” वर्षों तक वन में घूम-घूम, बाधा-विघ्नों को चूम-चूम, सह धूप-घाम, पानी-पत्थर, पांडव आये कुछ और निखर। सौभाग्य न सब दिन सोता है, देखें, आगे क्या
Sarita Shreyasi
किसान के खेतों में नयी फसल लहलहाती है, कच्चेपन की सौंधी खुश्बू पशुता को ललचाती है, हमारे यहाँ बेलगाम पशु बाड़े में बाँधे नहीं जाते,वो खेत चर जाए तो गलती किसान की मानी जाती है। किसान के खेतों में नयी फसल लहलहाती है, कच्चेपन की सौंधी खुश्बू पशुता को ललचाती है, हमारे यहाँ बेलगाम पशु बाड़े में बाँधे नहीं जाते,वो खेत चर
Pooja Navale
नवरात्री ला नऊ रूपे देवीला मागणे घालते ठेव सर्वांना सुखी आई एवढंच तुला प्रेमानं सांगते प्रिय मित्र आणि मैत्रिणीनों आपणा सर्वांना नवरात्रीच्या खुप खुप शुभेच्छा. आज पासुन नवरात्रीचा उत्साहाला सुरुवात झालीय. अश्विन महिन्याच्या पह
Author Munesh sharma 'Nirjhara'
शिवत्व को जिसने समा लिया फिर वही शिव सम हो जाता है काल और महाकाल फिर क्या वह स्वयं ही शिव बन जाता है 🌹 शिव कभी संततियों में भेद नहीं रखते, उनके लिए देव, दानव, मनुज, चर, जलचर, भूमिचर, कीट इत्यादि सब एक समान हैं, कोटि कोटि नमन 🙏🙏🙏 #writer #emot
Pooja Navale
नवरात्री ला नऊ रूपे देवीला मागणे घालते ठेव सर्वांना सुखी आई एवढंच तुला प्रेमानं सांगते प्रिय मित्र आणि मैत्रिणीनों आपणा सर्वांना नवरात्रीच्या खुप खुप शुभेच्छा. आज पासुन नवरात्रीचा उत्साहाला सुरुवात झालीय. अश्विन महिन्याच्या पह
विष्णुप्रिया
मैं मृत्तिका हूं हाँ, वही.. जिसे आधार बना ईश्वर ने सृष्टि को आकार दिया है... जिसके गर्भ में रोपित हो, प्रकृति ने विस्तार किया है... समस्त चर अचर, मेरे ही वृस्तृत वक्ष स्थल पर, जीवन पाता... और अंत में मुझमे ही विलीन हो...मुक्त हो जाता । फिर तुम, क्यों भूल गए मुझे और मेरी अस्मिता को, क्यों तोड़ लिया है अपने को, इस विराट अस्तित्व से....? कैसा यह अहंकार है...?, आखिर कैसी यह जड़ता है...? झुको..... और ..अर्पित हो जाओ....💐 अस्तित्व से आलिंगन को🌸🌿🌷 मैं मृत्तिका हूं हाँ, वही.. जिसे आधार बना ईश्वर ने सृष्टि को आकार दिया है... जिसके गर्भ में रोपित हो, प्रकृति ने विस्तार किया है... समस्त च
विष्णुप्रिया
सम्पूर्ण ऊर्जा तटस्थ और आयामहीन है... कभी महसूस किया है... ऊर्जा के वरतूल को....हर् जगह व्याप्त है और कहीं भी नही...समस्त चर अचर को बांधे पर बंधी किसी से भी नही.... पूर्ण शाश्वत
विष्णुप्रिया
चलो पूजा करें बिन धूप और दिए के, आरती करे, भीतर समाहित उस शाश्वत कंपायमान ऊर्जा से, दीप दान करे, चेतना के समस्त रागों का सृष्टि की परिधि से, गुंजायमान करें, अंतस के अनाहत से स्वयं को... चलो जोड़े, हाथ नही, सृष्टि के स्रोत को स्वयं से..... जिस दिन मैंने यह अनुभव कर लिया कि, मैं सृष्टि से भिन्न नही, उस दिन मैं पूर्णतः विलुप्त हो जाएगा....और जीव अद्वैत.... फिर ईश्वर मंदिर में ही