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Naushad bin Sharif

दर किसे कहते हैं जब लोग तुमसे डरे और सारी दुनिया के लोग एक हो जाएं

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डर इसे कहते हैं

©Naushad bin Sharif दर किसे कहते हैं जब लोग तुमसे डरे और सारी दुनिया के लोग एक हो जाएं

azad satyam

बेताब धड़कते दिल को सम्हाल ले ऐसा दिलबर चाहिए कदम दर कदम चलकर, दिखला दे जो मंजिल-ए-इश्क दिल-ए-आज़ाद को ऐसा रहबर चाहिए हां तुझ सा ही एक हमसफर

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बेताब धड़कते दिल को सम्हाल ले
ऐसा दिलबर चाहिए
कदम दर कदम चलकर, दिखला दे जो मंजिल-ए-इश्क
दिल-ए-आज़ाद को ऐसा रहबर चाहिए
हां तुझ सा ही एक हमसफर चाहिए...✍🏻

💌🕊️अनकहे अल्फ़ाज़💖💞

#ek_panchi_diwana_sa

©azad satyam बेताब धड़कते दिल को सम्हाल ले
ऐसा दिलबर चाहिए
कदम दर कदम चलकर, दिखला दे जो मंजिल-ए-इश्क
दिल-ए-आज़ाद को ऐसा रहबर चाहिए
हां तुझ सा ही एक हमसफर

Diya

#Good #Morning #दिल की #दस्तक जब हुई मेरे #पत्थर दिल पर, वह #धीरे-धीरे #पिघलने लगा तेरी #चाहतों पर.. Good morning 🌹🌹☕☕🌹🌹 Diyakikalamse✍🏼❤

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दिल की दस्तक जब हुई मेरे पत्थर दिल पर, 
वह धीरे-धीरे पिघलने लगा तेरी चाहतों पर..
Good morning 🌹🌹☕☕🌹🌹

©Diya #good #morning 
#दिल की #दस्तक जब हुई मेरे #पत्थर दिल पर, 
वह #धीरे-धीरे #पिघलने लगा तेरी #चाहतों पर..
Good morning 🌹🌹☕☕🌹🌹
#Diyakikalamse✍🏼❤

꧁༺Kǟjǟl༻꧂ارشد

तेरी तलाश मे , मै इस कदर दर बदर फिरता रहता , जैसे दुनिया मे कोई झाव़ और सुकून ढूढता रहता ... प्रज्ञा Kalpana Korgaonkar Anupriya Raksha S

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तेरी तलाश मे , मै इस कदर दर बदर फिरता रहता ,
जैसे दुनिया मे कोई झाव़ और सुकून ढूढता रहता ...

©꧁༺ǟʀֆɦǟɖ༻꧂ तेरी तलाश मे , मै इस कदर दर बदर फिरता रहता ,
जैसे दुनिया मे कोई झाव़ और सुकून ढूढता रहता ... प्रज्ञा  Kalpana Korgaonkar  Anupriya  Raksha S

dilkibaatwithamit

बड़े मायूस हो हमदर्द का दर देख आये क्या किसी की आसतीं में तुम भी खंजर देख आये क्या बड़े खामोश बैठे हो बड़े गमगीन से हो तुम कि

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White बड़े  मायूस  हो  हमदर्द  का  दर  देख  आये क्या 
किसी की आसतीं में तुम भी खंजर देख आये क्या 

बड़े  खामोश  बैठे  हो  बड़े  गमगीन  से  हो तुम 
किसी  की  आँख  में डूबा समन्दर देख आये क्या 

बड़े मगरूर थे कल तक  कि अब मजबूरियाँ कैसी 
कहीं  हारा  हुआ  तुम भी सिकन्दर देख आये क्या 

लुटाने  पर  तुले  हो  क्यों कमाई है जो’ बरसों में
फकीरों  की  अमीरी  में  कलन्दर  देख आये क्या 
__________

©dilkibaatwithamit बड़े  मायूस  हो  हमदर्द  का  दर  देख  आये क्या 
किसी की आसतीं में तुम भी खंजर देख आये क्या 

बड़े  खामोश  बैठे  हो  बड़े  गमगीन  से  हो तुम 
कि

Diya

#ऐसी #कौन #सी #दुआ करूं, #तेरे लिए। की तुझ पर #खुदा मेहरबान हो जाए।। तेरी सांसों के हर एक तार में ठहर के। तेरी धड़कनों को होले से जगा जाए।

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ऐसी कौन सी दुआ करूं, तेरे लिए।
की तुझ पर खुदा मेहरबान हो जाए।।

तेरी  सांसों के हर एक तार में ठहर के।
तेरी धड़कनों को होले से जगा जाए।।

बिना मन्नत धागा बांधे खुदा के दर पर।
तुझ पर की मेरी इबादत पूरी हो जाए।।

खुदा करे तुम्हारे दिल की तमन्ना पूरी हो।
ऐसी मेरी कही हुई जुबा का असर हो जाए।।

दुआ करूं बार-बार तुम्हारे लिए हर पल।
तुम को हर घड़ी मेरी भी उम्र लग जाए।।

©Diya #ऐसी #कौन #सी #दुआ करूं, #तेरे लिए।
की तुझ पर #खुदा मेहरबान हो जाए।।

तेरी  सांसों के हर एक तार में ठहर के।
तेरी धड़कनों को होले से जगा जाए।

Praveen Jain "पल्लव"

#Newyear2025 दस्तक है नवबर्ष की

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New Year 2025 पल्लव की डायरी
दस्तक है नये बर्ष की
उत्साह उमंग और आनन्द 
हर दिल मे फूटेगा
करुणा दया संवेदना ही धर्म है
आडम्बर मिथ्या का छूटेगा
परस्पर सब को गले लगाओ
उत्साह से जन जन महकेगा
प्रकृति के कण कण पर सबका अधिकार
सूरज चाँद सब के लिये महकेगा
आओ नवबर्ष का संकल्प ले
हर परिवार समाज तरक्की की राह पर हो
स्वाभिमान से भारत में चेतना का स्वर फूटेगा
                                           प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #Newyear2025 दस्तक है नवबर्ष की

theABHAYSINGH_BIPIN

#boat तुमने मुझे छू क्या लिया नजरों से, मेरे सपनों को एक पैगाम दी है। सोचता हूं मैं फुरसत में काम टालकर, वर्षों से दबी जज़्बात को हवा दी ह

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तुमने मुझे छू क्या लिया नजरों से,
मेरे सपनों को एक पैगाम दी है।
सोचता हूं मैं फुरसत में काम टालकर,
वर्षों से दबी जज़्बात को हवा दी है।

अब तो करवटों में कटती हैं रातें मेरी,
तुमने सपनों में आकर रातें आधी की हैं।
बेसब्र भटक रहा था मैं दर-ब-दर,
मेरी टूटती उम्मीदों को राहत दी है।

उदासियों में बीत रहा था दिन मेरा,
मेरे सूखे होठों को हंसी दी है।
पूरा बचपन जो अंधेरों में कटा मेरा,
तूने आकर मेरे जीवन को रोशनी दी है।

©theABHAYSINGH_BIPIN #boat 

तुमने मुझे छू क्या लिया नजरों से,
मेरे सपनों को एक पैगाम दी है।
सोचता हूं मैं फुरसत में काम टालकर,
वर्षों से दबी जज़्बात को हवा दी ह

RUPESH Kr SINHA

#बुलनदी की कहानी खुद की

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Mohan Sardarshahari

# दस्तक

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Unsplash जो होते हुए भी नहीं आते
उनसे मिलने की कसक
जो नहीं रहे हैं वो आज भी
बसे हुए हैं दिलों में बेशक
यह टीस ही हमें बुला लाती है
देने पुराने दरवाजों पे दस्तक।।

©Mohan Sardarshahari # दस्तक
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