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Dhaneshdwivediwriter
अधिकांश वो लोग स्वयं के साथ बड़े ही कठोर होते हैं, जो अस्वीकृति व्यक्त नहीं कर पाते हैं एवं जो अत्याधिक संवेदनशील होते हैं । @Dhanesh.Dwivedi . ©Dhaneshdwivediwriter #GingerTea अधिकांश वो लोग स्वयं के साथ बड़े ही कठोर होते हैं, जो अस्वीकृति व्यक्त नहीं कर पाते हैं एवं जो अत्याधिक संवेदनशील होते हैं ।
Devesh Dixit
शब्द (दोहे) शब्द मिलें जब भी मुझे, करता यही विचार। क्या बखान अब मैं करूँ, पूरे हों उद्गार।। जोड़-जोड़ कर शब्द को, देता मैं आयाम। राज हृदय में वह करे, हो मेरा भी नाम।। जन जन तक पहुँचे कभी, ये मेरे अरमान। पुस्तक का मैं रूप दूँ, शब्दों में उत्थान।। शब्दों की माया बड़ी, ये सबको अनुमान। कुछ इससे हैं सीखते, पाते भी सम्मान।। गलत तरीके से करें, शब्दों का उपयोग। होता भी नुकसान है, कब समझेंगे लोग।। झगड़ों का कारण यही, अब समझो नादान। शब्दों का यह जाल है, कहते सभी सुजान।। शब्दों से जो खेलते, उनको ही है बोध। उचित चयन उसका करें, करते देखो शोध।। ....................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #शब्द #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi शब्द (दोहे) शब्द मिलें जब भी मुझे, करता यही विचार। क्या बखान अब मैं करूँ, पूरे हों उद्गार।।
Manish Jakhmi
एक परिस्थिति के भले बुरे अंजाम का पता उस परिस्थिति के अंत में ही पता चलता है, परंतु एक से एक धुरंधर उस समय में इंतजार नहीं कर पाते भले वे बड़े बड़े प्रवचन ही क्यों ना सुनाते हो एक दूसरे को समझते वक्त। देखा जाए तो होता सब कुछ है बस एक शब्द शर्त किरदार निभाता है व्यक्ति उस शर्त को पूरा भी कर सकता है जिसमें वो धैर्य है कि वह परिस्थिति के परिणाम का इंतजार कर सके। परंतु उसके लिए आपको विद्वान बनना होगा और एक विद्वान बुरी परिस्थिति में कभी भी बैरागी नहीं होता अपितु वह उस परिस्थिति में कोई झलक भी नहीं दिखाता जिससे उसे कोई सहानुभूति का अनुभव हो तभी वह एक सटीक जीवन का आनंद ले पाता है या मान लो सब कुछ सुलझा हुआ दिखता है।बाकी व्यक्ति की प्रवर्ती पर निर्भर करता है। ©Manish Jakhmi एक परिस्थिति के भले बुरे अंजाम का पता उस परिस्थिति के अंत में ही पता चलता है, परंतु एक से एक धुरंधर उस समय में इंतजार नहीं कर पाते भले वे बड
AwadheshPSRathore_7773
White . बची थी जो शेष जिंदगी उसी को विशेष बनाने के चक्कर में कब यह जीवन भूत से वर्तमान,वर्तमान से भविष्य में कहीं खो गया, पता ही नहीं लगा... तुम्हारा कसकर हाथ पकड़ने की चाह में नमी जिंदगी.. कब सूखी रेत सी हो हाथों से फिसल गई पता ही नहीं लगा न मै..मेँ रही,ना तुम.. तुम रहे तुम्हारी जो जिंदगी थी मैँ..कब -कैसे - क्यूं रास्ते का पत्थर बन गई पता ही नहीं लगा...x कांच के टुकड़ों को क्यूँ हीरोँ का नाम दे...देकर यूं ही सहेजते रहे हम जबकि अपना शीशे सा दिल कब पत्थर हो गया पता ही नहीं लगा.. एक मुलाकात के इंतजार में तुम्हारे ख्यालों को कब कस्तूरी..मृग.. मन..से जिंदगी..ऐ..रुह में उतार लिया... पता ही नहीं लगा.... दीवारों को दर्द सुनाते सुनाते तन्हा दिल ने तन्हा-तन्हा सी जिंदगी में कब..तन्हा..शहर बसा लिया पता ही नहीं लगा...पता ही नहीं लगा... ©AwadheshPSRathore_7773 #nightthoughts शेष विशेष के जैसे चक्की के दो पाटों के बीच फंसती यह जिंदगी,किस तरह सादे मनुष्य से उसके जीवन की सारी सादगी छिन लेती है और अंतत
AJAY NAYAK
कैसी दौड़ लगी है हर कोई भागने में लगा है रुकने का कोई नाम नहीं ले रहा यह सच है दौड़ ही जिंदगी है लेकिन कब और कितना दौड़ना चाहिए यह भी पता होना जरूरी है शेर भी दौड़ता है घोड़ा हिरण भी दौड़ते हैं दोनो को बखूबी पता होता है कब दौड़ना होता है कब रुकना होता है यही वजह है एक साथ रहकर ख़ुद को जंगल में जिंदा रख पाते हैं –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #दौड़ #Run #कविता कैसी दौड़ लगी है हर कोई भागने में लगा है रुकने का कोई नाम नहीं ले रहा यह सच है दौड़ ही जिंदगी है लेकिन
Kuldeep KumarAUE
अक्सर मैंने देखा है लोगों को लोग अपनी जाति और धर्म के अलावा कुछ सोच ही नहीं पाते हैं ऐसे लोग अनपढ़ होते हैं ©Kuldeep KumarAUE #retro अक्सर मैंने देखा है लोगों को लोग अपनी जाति और धर्म के अलावा कुछ सोच ही नहीं पाते हैं ऐसे लोग अनपढ़ होते हैं #kuldeepkumaraue
Prerna Singh
Men walking on dark street वह मेरे दोस्त खरीदने चले हैं, अरे बावले वह दोस्त मेरे नहीं हैं जो बिक गए ... शर्मिंदा करना नहीं चाहती पर तुम्हें जानना भी तो जरूरी हैं, मेरे दोस्त को खरीदना चाहते भी तो नहीं खरीद पाते इतनी हैसियत ही कहां तुम्हारी हैं जो बिक गए दरअसल वो हिस्सेदार थे... ©Prerna Singh वह मेरे दोस्त खरीदने चले हैं, अरे बावले वह दोस्त मेरे नहीं हैं जो बिक गए ... #शर्मिंदा करना नहीं चाहती पर तुम्हें जानना भी तो जरूरी हैं,
i_m_charlie...
जो हमे पसंद नही करते वो भी हमें जरूरत पड़ने पर याद कर लेते है, और एक हम है जो बिना सोचे उनकी मदद भी कर देते है, पर जैसे ही उनका काम खत्म होता है तो वो लोग फिरसे अपना असली रंग दिखाने लगते है, पर हम अपने स्वभाव से मजबूर है जो किसी मजबूर को देखकर उनसे मुंह नही फेरते पर उनकी मदद करते है। ©i_m_charlie... #truecolors हम कभी भी उनके जैसा नहीं बन पाते। मतलबी
Mukesh Poonia
असंभव वह नहीं जो हम कर नहीं पाते असंभव वह है जो हम करना नहीं चाहते . ©Mukesh Poonia #lakeview #असंभव वह नहीं जो हम कर नहीं पाते असंभव वह है जो हम करना नहीं चाहते
Kammal Kaant Joshii