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HintsOfHeart.
"इस देश के लोग पीढ़ियों से सिर्फ जाति देखते आ रहे हैं, व्यक्तित्व देखने की उन्हें न आदत है, न परवाह है।"¹ ©HintsOfHeart. #Curse_of_Casteism 1.हजारी प्रसाद द्विवेदी
#Curse_of_Casteism 1.हजारी प्रसाद द्विवेदी
read moreSidhar AJay
वो शिरीष, नव रगों में साहस भर रहा जो खुद थकने का नाम नहीं ले रहा, वो शिरीष, ज्येष्ठ की आग-सी धरा में खङा जो चिलचिलाती धूप में भी छाया दे रहा, आकाश से अपना सार निचोङता हुआ पुष्पों से मन में उमंग अर्जित करता हुआ जो विकटता में भी अजेयता का प्रचार कर रहा, वो शिरीष, हर मनुज के हौंसले को चेता रहा हर विपदा में भी उसे निडरता सिखा रहा, वो शिरीष, सरस है, कोमल है और फ़क्कङ भी जो हर मुश्किलों को चुनौती दे रहा, वो शिरीष, नव रगों में साहस भर रहा जो खुद थकने का नाम नहीं ले रहा। शिरीष # हजारी प्रसाद द्विवेदी # शिरीष के फूल # Sidhar AJay
शिरीष # हजारी प्रसाद द्विवेदी # शिरीष के फूल # Sidhar AJay
read moreDr. Govind dhar Dwivedi
My Bicycle पांचवी तक चपरासी लेकर आता जाता था। छठवीं से आठवीं तक मैं अपना कदम बढ़ाता था।। एक दिन बोला हे मैया चलते चलते हम थक जाते हैं। सात किलोमीटर्स आना जाना दर्द बहुत दे जाते हैं।। इकलौता होने के कारण मैया मुझ पर स्नेह करती थीं करती हैं। मेरा तिल भर दुख दर्द पीड़ा बर्दाश्त नहीं कर सकती हैं।। बनिया को बुलवाकर मैया गेहूं को बेच दिया। 24 सौ का नई साइकिल मुझे खरीद एक दिया।। मां की ली हुई साइकिल नहीं वह मेरी जान थी। अंतरात्मा में खुश थे सभी बच्चों में बन गई पहचान थी।। कुछ दिन बीते ही थे तभी घर में मेरे चोरी हो गई। सभी वस्तुओं के साथ प्राणों से प्यारी साइकिल खो गई।। इंटर तक कॉलेज व कोचिंग पैदल आते जाते थे। अपने पहली साइकिल के बारे में सोच कर बहुत उदास हो जाते थे।। नोजोटो पर मैंने पहली साइकिल के बारे में लिखा सत्य कहानी है। मानव जीवन होता है संघर्ष मय शायद हर जीव की अपनी अपनी अलग कहानी है।। ©Govind dhar Dwivedi लेखक-जी डी द्विवेदी #WorldBicycleDay2021
लेखक-जी डी द्विवेदी #WorldBicycleDay2021
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वह नाराज है मुझसे तो नाराज ही रहने दो। यूं ही उनको मुझसे एतराज ही रहने दो।।किस कदर बेगुनाही की उन्हे सबूत दें।ऊपर मुझसे उन्ही के आवाज रहने दो।। वह मुझको समझते हैं इंसान गलत है । बात गलत है मगर यह राज ही रहने दो।।सत्य सदा परेशान होता पर हारता नही।खुदा के सामने झूठ का अलफाज ही रहने दो। मुद्दतों मांगेंगे रब से उनके लिए खुशियां। जो आता है इल्जाम हम पर तो इल्जाम ही रहने दो।। उनकी शर्ते हैं मैं बदनाम रहूं। अगर खुशी मिले उनको तो मुझे बदनाम ही रहने दो।। ©Govind dhar Dwivedi सत्यता। लेखक- जी डी द्विवेदी
सत्यता। लेखक- जी डी द्विवेदी
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कुछ दर्द हमारे भी हैं, कुछ दर्द आप के भी हैं। मेरा कोई हमदर्द नहीं, अनेकों हमदर्द आप के हैं।। कुछ भूल हमारी है, कुछ भूल आप के हैं। गुनाहगार हमें बना दिए, यह सलूक आप के हैं।। मानव प्रेम धर्म है मेरा, यही इंसानियत आपके हैं। आप हमें गलत समझ बैठे, यही खासियत आप के हैं।। पवित्रता मुझ में भी समाहित है, बहुत अच्छे संस्कार आप के हैं। सरेआम बदनाम कर दिये, यह परोपकार आप के हैं।। ©Govind dhar Dwivedi एक पीड़ा । लेखक- जी डी द्विवेदी
एक पीड़ा । लेखक- जी डी द्विवेदी
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कोई कैसे किसी को समझाता,ए दिखा दो मुझे। हम कैसे उनको समझाएं, कोई बता दो मुझे।। किसी की एहसान जीवन भर, भूल पाते नही । कैसे उनकी गलतफहमी दूर करें, मुझे आते नहीं।। वह थोड़ा सा झुके मेरे लिए ,यह उनकी अच्छाई है। हम सदैव नमन वंदन करते रहे, यह भी एक सच्चाई है।। ©Govind dhar Dwivedi ग़लत -सन्देह! लेखक- जी डी द्विवेदी
ग़लत -सन्देह! लेखक- जी डी द्विवेदी
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