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Stories related to करणीयम् प्रत्यय

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जगदीश कैंथला

उपसर्ग,प्रत्यय #बात

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Rakesh Yadav

लोकहितम् मम करणीयम् ॥ #GaneshChaturthi

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जगदीश कैंथला

उपसर्ग व प्रत्यय #बात

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Anupama Jha

"काश" इच्छाओं का उपसर्ग है और 
"आस" प्रत्यय । #काश #आस #उपसर्ग #प्रत्यय #yqdidi #hindiquote #हिंदीकोट्स

तुषार"आदित्य"

अटल शिव पसंद है मुझे। वो हठी इंद्र नही। स्वाभिमान पसंद है। कोई झूठा घमंड नही। तांड़व देख सकता हूँ मैं। अप्सराओं का नृत्य नही। खुशी से हलाहल प #पसन्द #Shiv #lordshiva #नहीं

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अटल शिव पसंद है मुझे।
वो हठी इंद्र नही।
स्वाभिमान पसंद है।
कोई झूठा घमंड नही।
तांड़व देख सकता हूँ मैं।
अप्सराओं का नृत्य नही।
खुशी से हलाहल पी लूंगा।
मगर छल का अमृत नही।
मुझे अपना हिमालय चाहिए।
कोई दहशत वाला स्वर्ग नही।
उपयुक्त सारे प्रत्यय स्वीकार है।
अनुपयुक्त कोई उपसर्ग नही।
अटल शिव पसंद है मुझे।
वो हठी इंद्र नही। अटल शिव पसंद है मुझे।
वो हठी इंद्र नही।
स्वाभिमान पसंद है।
कोई झूठा घमंड नही।
तांड़व देख सकता हूँ मैं।
अप्सराओं का नृत्य नही।
खुशी से हलाहल प

Divyanshu Pathak

'इकायल' एक नया शब्द है जिसका निर्माण आदर्णीय Ritu Vemuri ji ने किया है - मैंने इसे अर्थ देने की कोशिश की है आओ देखते हैं- यह एक मिश्रित शब्द #yqdidi #YourQuoteAndMine #yqaestheticthoughts #ATcouplebg106

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हमें इश्क़ के तीर से  घायल कर दिया।
हूर हुई धड़कन दिल पायल कर दिया।
एक से दूसरे की बढ़ती शोभा कहते हैं!
चाहतों के  ज़ोर ने  इकायल कर दिया। 'इकायल' एक नया शब्द है जिसका निर्माण आदर्णीय Ritu Vemuri ji ने किया है - मैंने इसे अर्थ देने की कोशिश की है आओ देखते हैं- यह एक मिश्रित शब्द

Divyanshu Pathak

प्रेम पंथ की बनकर किताब तुम मेरे सामने आती हो ! एक अल्हड़ से मस्त भ्रमर को तुम पाठक कर जाती हो !! स्वर व्यंजन के शब्द जाल को चुपके से यार बि #पंछी #व्याकरण #गुलिस्ताँ #पाठकपुराण #येरंगचाहतोंके

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प्रेम पंथ की बनकर किताब
तुम मेरे सामने आती हो !
एक अल्हड़ से मस्त भ्रमर को
तुम पाठक कर जाती हो !!

स्वर व्यंजन के शब्द जाल को
चुपके से यार बिछाती हो !
सन्धी कर खुद हो समास
तुम प्रत्यय मुझे बनाती हो !!

क्रियाविशेषण सर्वनाम सब
तुम उपसर्ग लगाती हो !
महाप्राण का कारक बन
अन्तःस्थ हृदय हो जाती हो !! प्रेम पंथ की बनकर किताब
तुम मेरे सामने आती हो !
एक अल्हड़ से मस्त भ्रमर को
तुम पाठक कर जाती हो !!

स्वर व्यंजन के शब्द जाल को
चुपके से यार बि

vishnu prabhakar singh

परा-एक प्रत्यय जो विपरीत अर्थ देता है।जैसे,पराजय 💕🐰प्रकृति🐰🍫प्रथा🍫🐿☕ 💕अपरा💕🐇🍫स्त्री🐰🐿🌧🐰🍫परी🐿🐇🌧🐰💕शक्ति🍫🐿 शिव को अपने पैरों से रौंदने वा #yqdidi #YourQuoteAndMine

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कैसी शिष्टता
परा सी
जो घर,आँगन के अनुकूल हो
जिसकी व्याख्या तो दूर
घर,आँगन विचार भी न करता हो
इस अनोखी असंवेदनशीलता में
मेरी शिक्षा समर्पित है
मेरे अंश को
चन्द्रकला बनकर
मेरे वंश को
लक्ष्मीबाई बनकर
मेरा स्वरूप स्वयमेव प्रविष्ट है।

     परा-एक प्रत्यय जो विपरीत अर्थ देता है।जैसे,पराजय
💕🐰#प्रकृति🐰🍫#प्रथा🍫🐿☕
💕#अपरा💕🐇🍫#स्त्री🐰🐿🌧🐰🍫#परी🐿🐇🌧🐰💕#शक्ति🍫🐿
शिव को अपने पैरों से रौंदने वा

AK__Alfaaz..

#पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #अग्निशिखा ​आग्रह की वाणी, ​अवसादित हो गयी, ​जब विखंडन रचित किया गया, ​उसके हृदय का, #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqquotes #bestyqhindiquotes

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आग्रह की वाणी,
​अवसादित हो गयी,
​जब विखंडन रचित किया गया,
​उसके हृदय का,
और..उसके जीवन के,
​​प्रत्यय की आत्मियता,
​उपसर्ग की पगड़ियों मे लिपट,
​मर्यादा के बंधेज मे,
​बँधकर रह गयी,
​कि..जैसे,
​आँखों से बहता नमक,
​हृदय के घावों पर उसके,
​अपना वियोग मलता है,— % & #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे 

#अग्निशिखा

​आग्रह की वाणी,
​अवसादित हो गयी,
​जब विखंडन रचित किया गया,
​उसके हृदय का,

Ratan Singh Champawat

♦️♦️अनुभूति के आंगन से♦️♦️ 💓 कुछ स्पंदन 💓 जागा था भाव एक दिन मुझ में भी कि जीवन ऊर्जा का उपयोग करूं और मैं भी सत्य के साथ कुछ प्रयोग #hindikavita #dilkideharise

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 सत्य के साथ  प्रयोग 

✍️✍️✍️✍️✍️

शेष अनु शीर्षक में पढ़े ♦️♦️अनुभूति के आंगन से♦️♦️
    💓 कुछ स्पंदन 💓
जागा था भाव एक दिन 
मुझ में भी
कि जीवन ऊर्जा का उपयोग करूं 
और मैं भी 
सत्य के साथ कुछ प्रयोग
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