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Urmeela Raikwar (parihar)

लौटकर वही आता, जो दिया #विचार

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Vickram

#CrescentMoon सब कुछ लौटकर आता है एक दिन,,,, #मोटिवेशनल

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Gopal Pandit

छोड़कर तेरे शहर को मैं कुछ यूं चला जाऊंगा तू बेशक कितना भी बुलाना मुझे मगर मैं लौटकर नहीं आऊंगा #गोपाल_पंडित #शायरी #बेवफ़ा_ज़िंदगी dear_ज़ #Life #gopal_pandit #dear_ज़िंदगी

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Shivkumar

Love love❤ Life दुनिया का सबसे अच्छा #तोहफा#वक्त ” है। क्योंकि जब आप किसी को #अपना वक्त देतें है, तो आप उसे अपनी “। ज #पल #जिंदगी #loveshayari #लौटकर

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Bhanu Priya

गहरी निशा खटखट किबाड़ बदली मेरी दिशा वो पल बनाएं छल को निश्चल बताएं उल्टे पन्नों को सुलटाएं मिटे अक्षरों को लिख जाएं कल्पनाओं से भी अदभुत #Poetry

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Ravindra Singh

#navratri हे माँ भवानी हे माता रानी , हे माँ भवानी तूने समझा मुझे, दिल की बात मेरी जानी । मुझको बुलाया तेरे दर पर , दिया आशीर्वाद तेरा बे #Bhakti

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हे माँ भवानी

हे माता रानी , हे माँ भवानी 
तूने समझा मुझे, दिल की बात मेरी जानी ।

मुझको बुलाया तेरे दर पर ,
दिया आशीर्वाद तेरा बेटा समझ कर ।

उठाया ज़मीन से ,इस लायक़ बनाया ,
ज़रूरतें हुई पूरी, माँ तूने रास्ता दिखाया ।

टूट गया था एक रोज़ मैं माँ ,
थे दरवाज़े सभी के, मेरे लिये बंद यहाँ ।

एक तू ही थी जो मेरे साथ खड़ी थी ,
थामी मेरी अंगुली जब मेरी कठिन घड़ी थी ।

तेरा उपकार माँ मैं सदैव याद रखूँगा ,
तेरे बुलाने पर तेरे दरबार आऊँगा ,मैंने है ठानी ।

हे माता रानी , हे माँ भवानी 
तूने समझा, दिल की बात मेरी जानी ।

©Ravindra Singh #navratri हे माँ भवानी

हे माता रानी , हे माँ भवानी 
तूने समझा मुझे, दिल की बात मेरी जानी ।

मुझको बुलाया तेरे दर पर ,
दिया आशीर्वाद तेरा बे

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल वो सभी तो धनी से मिलते हैं । वो कहाँ आदमी से मिलते हैं ।।१ #शायरी

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ग़ज़ल

वो सभी तो धनी से मिलते हैं ।
वो कहाँ आदमी से मिलते हैं ।।१
रात दिन की बेकसी से मिलते हैं ।
फिर नहीं वो किसी से मिलते हैं ।।२
यार सागर समझ ले तू उनको ।
आजकल वो सभी से मिलते हैं ।।३
क्या उन्हें हम समझ ले अब कान्हा ।
इस तरह जो बासुरी से मिलते है ।।४
जाने क्या हो गया सनम को अब ।
आजकल बेरुखी से मिलते हैं ।।५
वो दिखाकर गये हमें तारा ।
लौटकर हम तुम्ही से मिलते हैं ।।६
ख़्व़ाब आकर चले गये सारे ।
अब गले हम ख़ुदी से मिलते हैं ।।७
अब कहीं और जी नहीं लगता ।
चल उसी जलपरी से मिलते हैं ।।८
यूँ तो घड़ियां गुजार दूँ तुम बिन ।
डर है की ज़िन्दगी से मिलते हैं ।।९
बीवियाँ अब नहीं सँवरती घर ।
चल खिली फिर कली से मिलते हैं ।।१०
प्यार में इस तरह प्रखर पागल ।
छोड़ जग गृहिणी से मिलते हैं ।।११

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल


वो सभी तो धनी से मिलते हैं ।

वो कहाँ आदमी से मिलते हैं ।।१

AJAY NAYAK

#परिंदे परिंदो से सिखो परिंदो से सिखो बैठकर उड़ जाना वापस फिर से वहीं लौट आना परिंदो से सिखो एक एक तिनका जमा करना जमा करके ख़ुद का नया आश #lover #कविता

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