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"सीमा"अमन सिंह
White .. क्यूँकि, मन का भी अपना एक मन होता है! ❤️ ©"सीमा"अमन सिंह #banarasi_Chhora
"सीमा"अमन सिंह
White मौसम ने अंगड़ाई ली थोड़ा ज्यादा ही धूप दिखाई दी।। ©"सीमा"अमन सिंह #banarasi_Chhora
"सीमा"अमन सिंह
White प्रेम की प्रतीक्षा में जीवन बहा जाता है, हर सांस तेरे मिलने की आस लगाए जाता है। समर्पण की सीमा पर दिल ठहर सा गया, तेरी राह तकते-तकते वक्त भी थम गया। चांदनी रातों में तेरी यादें सहलाती हैं, तारे भी मानो तेरा पता बताती हैं। प्रेम कोई बंधन नहीं, ये तो आत्मा का गीत है, समर्पण की गहराई में छुपा तेरा ही मीत है। प्रतीक्षा के हर पल में एक सुकून है, तेरे बिना भी, तेरा होना ही जुनून है। प्रेम में खोकर पाया है खुद को मैंने, समर्पण ने सिखाया, तू ही है मुझमें। ©"सीमा"अमन सिंह #banarasi_Chhora
"सीमा"अमन सिंह
White थोड़ा सोचूं फिर एक बात लिखूं, जज़्बात लिखूं या फिर हालात लिखूं। लफ़्ज़ों में छिपी जो तस्वीरें हैं, उनमें अपने दिल की कायनात लिखूं। ख़्वाबों के रंगों से सजा दूं पन्ने, या हकीकत के दागों की सौगात लिखूं। हर बात में एक कहानी बसी है, क्या तेरा ज़िक्र या अपनी बात लिखूं? थोड़ा सोचूं फिर एक बात लिखूं, जज़्बात लिखूं या फिर हालात लिखूं। दिल के समंदर से उठा कुछ लफ़्ज़, तूफान लिखूं या फिर जज़्बात लिखूं। चमकते सितारों की कहानी कहूं, या टूटते सपनों की सौगात लिखूं। ख़ुद को बयां करूं इस स्याही में, या दुनिया के नक़्शे की बात लिखूं। थोड़ा सोचूं फिर एक बात लिखूं, जज़्बात लिखूं या फिर हालात लिखूं। दुनिया को देखूं तो दर्द ही दिखे, चाहूं तो खुशियों की सौगात लिखूं। सच है मगर फिर भी मुश्किल बहुत, सोचूं कि इस दिल की औकात लिखूं। हर शख्स उलझन में जीता रहा, इस दौर की कैसी मैं कायदात लिखूं। थोड़ा सोचूं फिर एक बात लिखूं, जज़्बात लिखूं या फिर हालात लिखूं। चुपचाप जो दिल में दबा है कहीं, उस राज़ को खोलूं या सौगात लिखूं। बेचैनियों का कोई हिसाब लिखूं, ख़ुशियों का झूठा सा नक़ाब लिखूं। जो गुज़री है मुझ पर, वही कह दूं, या औरों के किस्सों से बात लिखूं। ©"सीमा"अमन सिंह #banarasi_Chhora
"सीमा"अमन सिंह
White धुंध कुहासा फैला है चारों ओर, चुप है पंछी, थमा है हर शोर। सूरज भी छुपा बादलों की ओट, धरती का मन भी हुआ है कठोर। सर्द हवा की चुभन सी बात, खो गए रंग, बुझ गई हर बात। कोने में बैठी है इक गरम चाय, सुकून लिए जैसे कोई साथ। हाथ में प्याली, खिड़की के पास, धुंध के संग चलता वक्त का हास। चाय की खुशबू में घुलती है ठंड, जीवन में जैसे लौट आया छंद। ©"सीमा"अमन सिंह #banarasi_Chhora
"सीमा"अमन सिंह
White मौसम की सरगोशियां, पहाड़ों का गुमान, गांव की मिट्टी में बसता प्रेम का अरमान। जहां मृत्यु भी आकर प्रेम से जीवन पाती है पहचान। ©"सीमा"अमन सिंह #banarasi_Chhora
"सीमा"अमन सिंह
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset हवा चले तो खनक तेरी, फिजा महक से महक जाए। जहाँ भी देखूँ, बस तू दिखे, ये दिल सदा तेरा हो जाए। ©"सीमा"अमन सिंह #banarasi_Chhora
"सीमा"अमन सिंह
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset उसकी गालों का रंग "चाय" जैसा था फिर क्या था आंख बंद किया और ले लिया चुस्की.... 😁🍵☕☕😍🥰 ©"सीमा"अमन सिंह #banarasi_Chhora
"सीमा"अमन सिंह
Unsplash तू हमें उन दिनों में क्यों नहीं मिला, जब ज़माना न इतना ख़फा था, न गिला। जब हमारी नज़र में थे ख्वाब नए, और दिल में था बस मोहब्बत का सिलसिला। वो गली, वो चौराहे बुलाते रहे, तेरे आने की आहट सुनाते रहे। हम खड़े थे वहीं बेसबब उम्र भर, तू मगर रास्ते ही बदलता रहा। आज मिलता तो शायद कुछ और बात थी, दर्द कम, और दिलों में मुलाकात थी। अब तो बस ये ग़म है, सवालों का बोझ, तू हमें उन दिनों में क्यों नहीं मिला? ©"सीमा"अमन सिंह #banarasi_Chhora
"सीमा"अमन सिंह
Unsplash सुनो जाना, दिसंबर फिर से जा रहा है, तेरी यादों का मौसम लिए आ रहा है। वो दहलीज़ जहां तुमसे मिलना हुआ, हर कोना वो आँखों में लाए जा रहा है। चाँदनी रातों में बातों का सिलसिला, ठंडी हवाओं का वो पहला नशा। तेरे स्पर्श की गर्मी, वो ख़ामोश पल, दिल के अंदर कुछ जलाए जा रहा है। तुम्हारी हँसी के साए में जो दिन गुज़रे, उन लम्हों की खुशबू चुरा रहा है। पर हर जुदाई में छुपा है एक वादा, नया जनवरी तुम्हें बुला रहा है। सुनो जाना, ये पल को संभाल कर रखो, दिसंबर तो बस कहानी सुना रहा है। वो बीते दिनों की किताब का सफ़ा, नई उम्मीदें लिखने का हौसला बढ़ा रहा है। ©"सीमा"अमन सिंह #banarasi_Chhora