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Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी घर्षण होने लगे सभ्यताओं में अराजक व्यवस्ताये पनपने लगी हो हिंसाओं के बल पर भूख की बिजलियाँ आम जन पर गिरने लगी हो सताने की हद तक सत्ताएँ रावण और कंस की प्रवर्ती करने लगी हो दुराचारी भी भगवान बन चुनोतियाँ सृष्टी को देने लगे हो तब आकाशवाणी आकाश में गर्जना कर,पापियों के संहार के लिये राम औऱ कृष्ण को अवतरित करने का उद्यघोष कर रहे हो प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #GarajteBaadal घर्षण होने लगे,सभ्यताओं में #nojotohindi
Sankalp Shukla{योगी}
दिल में शोर बहुत होता है मन, भावों के घर्षण से । तस्वीरे धुंधली प्रतिबिंबित होती ,नयनों के दर्पण से । दिल में शोर बहुत होता है मन, भावों के घर्षण से । तस्वीरे धुंधली प्रतिबिंबित होती ,नयनों के दर्पण से ।
vishnu prabhakar singh
देखो, मन का दर्पण देखो सुस्पष्ट प्रतिबिम्ब का अर्पण देखो मात्र मानव को प्राप्त तर्पण देखो देखो, विकास का गर्जन देखो देखो, मन का दर्पण देखो अपनी उपयोगिता का दर्शन देखो मात्र मूल्यांकन ही नहीं समर्पण देखो देखो, इंद्रियों पर नियंत्रण देखो देखो, मन का दर्पण देखो सामाजिक प्राणी होने का आमंत्रण देखो मात्र सहयोग में रचा-बसा गणतंत्र देखो देखो, मन का अभिमंत्रण देखो। देखो, सुधार का घर्षण देखो! सुप्रभात। मन का दर्पण देखिए, देखिए सब संसार। #मनदर्पण #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote D
Mr.HARINARAYAN GURJAR
खुद को माचिस की तिली की तरह मत बनाओ, जो थोड़े से घर्षण से सुलग जाती है, बनाना है तो खुद को शांत सरोवर की तरह बनाओ, जिसमें अगर कोई अंगारा भी फेंके तो वो भी बुझ जाए। ❤️🙏 ©Mr.HARINARAYAN GURJAR खुद को माचिस की तिली की तरह मत बनाओ, जो थोड़े से घर्षण से सुलग जाती है, बनाना है तो खुद को शांत सरोवर की तरह बनाओ, जिसमें अगर कोई अंगारा भी
Narayan Miri
*माचिस की तीली का सिर तो होता है, मगर दिमाग नहीं, इसलिये थोड़े से ही घर्षण से वह जल उठती है,* *किंतु, हमारे पास तो सिर भी है और दिमाग भी, फिर
Bhavesh Thakur
प्रेम और आकर्षण ©Bhavesh Thakur "Rudra" आकर्षण और प्रेम मै गुजर रहा था एक पथ से एक पथिक ने मुझसे पुछा क्या है ये आकर्षण? मै अज्ञानी झट बोल पड़ा ये प्रेम है या हैं दो हृदयों का घर्
अशेष_शून्य
(शेष अनुशीर्षक में) ~©Anjali Rai मुझे तुम्हारे भावों की, या शब्दों की "शून्यता" से कोई परहेज नहीं; ना कोई शिकायत है, तुम्हारे मौन से ... तुम्हारी "निःशब्दता" से । मैं समझती
Dadhich Praveen Sharma
✍सुन ले बैरी✍ बहुत हुई शांति वार्ता, सुन ले बैरी अब तो निश्चित रण होगा... बहुत सहा तेरी नापाक हरकतों को, अंजाम इसका अब भीषण होगा। तेरी करतूतों से आँसू सबके छलकते थे, तेरी करतूतों से अपने बहुत बिलखते थे, जाग गया सोया बब्बर शेर इस बार, हर आँसू का यह बदला लेगा... पत्थर से पत्थर टकराया है, निश्चित ही अब घर्षण होगा...। बहुत हुई शांति वार्ता, सुन ले बैरी, अब तो निश्चित रण होगा... ©dadhichpraveensharma #NojotoQuote ✍सुन ले बैरी✍ बहुत हुई शांति वार्ता, सुन ले बैरी अब तो निश्चित रण होगा... बहुत सहा तेरी नापाक हरकतों को, अंजाम इसका अब भीषण होगा। तेरी करत
Writer1
घोर घर्षण करने पर भी, सफ़लता हासिल ना हुई, तो समझ लेना, कोशिशों में यक़ीनन कमी है। Hellowwww Writers ❤ Welcome to the Tenth week of ALPHA Series 😍🎉 Task - 5 WEEK - 10 घर्षण : संघर्ष
vibrant.writer
#patekibaat ©vibrant.writer दर्द और मुश्किल दो अलग-अलग बातें है, दर्द में रो लो ठीक मुश्किलों में रोना गलत। किसी परिस्थिति से दर्द का जन्म हो तो रोकर हल्का किया जा सकता है, जिससे दिमाग का संतुलन फिर से सही हो सकता है। लेकिन मुश्किल का सामना करते वक्त रोना ठीक नहीं क्योंकि मुश्किलें तभी आती है जब इंसान कोई लक्ष्य तय करता है और मुश्किलों के सामने घुटने टेक कर रोना शुरू कर देने से या कोई शॉर्टकट लेने से लक्ष्य मिलना और भी कठिन हो जाता है। उसे आसान बनाने के लिए जीवंत रहकर संघर्ष करते हुए घर्षण की स्थितियों में मुश्किलों को मुंहतोड़ जवाब देकर अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ा जा सकता है। #patekibaat ©vibrant.writer #दर्द और #मुश्किल दो अलग-अलग बातें है, दर्द में रो लो ठीक मुश्किलों में रोना गलत। किसी परिस्थिति से दर्द का ज