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Nidhi Jarwal
जब मुझ में वो खालीपन होगा, खालीपन अर्थात् कोई रूप, भावना, ख्याल, चेतना न होगी, ना होगी कोई ज्ञान इन्द्रियां और ना ही छती इंद्री होगी, वस्तु भी न कोई होगी, कुछ देखना, सुनना, कहना नहीं होगा, ना महक ना आवाज़ ना ही कोई लालसा बाकी होगी, न शरीर का होना होगा, ना, मस्तिष्क भी नहीं होगा, तब मुझमें सिर्फ खालीपन होगा मेरा अपना स्वभाव भी ना होगा इस खालीपन में तू अर्थात् तब मुझमें बस तू होगा।। मेरा खालीपन तुझी से भरा होगा।। दर्शनशास्त्र। #philosophy #truth #brahm #wo_hai
Death_Lover
|| Disclaimer || ये केवल उन्हीं के लिए है जो व्यक्ति जीवनभर(हर समय) आंतरिक के साथ-साथ संसारिक उन्नति में लगे हुए हैं। ये बात common person के लिए नहीं है। कृपया वो आगे न पढ़े। %आज का प्रेम% पता है"हिमांश" यहाँ जो भी रो रहा है न, वो इसलिए नहीं रो रहा है कि उसको आपसे प्रेम है वो इसलिए रो रहा है कि आप उसके मनोविचार पर खरे नहीं उतरे, क्योंकि प्रेम उसके लिए बस एक विचार और एक ऐसा सामाजिक शब्द हो चुका है कि वो अब उसको बस दूसरों के लिये example(उदहारण) बनना है और ख़ुद की खुशी। ये खुशी भी उसके उसी समाज ने निर्धारित की है जिसमें वो पैदा हुआ है और अपने जीवन का अधिकांश समय उसी में निर्वाह कर चुका है। इसके विपरीत यह बात भी है जो भी प्रेम के साथ जीवनोपार्जन में लगा हुआ है उसके लिए ये समाज और सामाजिक व्यवस्था केवल मात्र एक व्यवस्था है और इसके सिवाय कुछ भी नहीं। ©Himanshu Tomar #मेरे_राम #प्रेम_दर्शन #दर्शनशास्त्र #philosophy #COMMON_MAN #love #betrayal
Death_Lover
दर्शन(उपनिषदों) के नाम पर अब हमारे यहाँ सिर्फ़ पाखंड और एक-दूसरे पर उछालने के लिए कीचड़ के सिवाए कुछ नहीं बचा है॥ (परमात्मान नमो) ©Death_Lover #मेरे_राम #प्रेम #परमात्मा #आध्यात्मिक #दर्शनशास्त्र #उपनिषद #WoNazar #Life #जीवंत_जीवन #Sprituality
Sunita D Prasad
#वर्तमान के अतिरिक्त.... जीवन पर अनेक दर्शनशास्त्र तब कम पड़ जाते हैं जब अतीत के विकल्प के अभाव में वर्तमान में बढ़ती रिक्तता से स्मृतियों की आमद बढ़ जाती है। . . मोक्ष देह और आत्मा से अधिक इन्हीं स्मृतियों से छूटने का प्रयास रहा। विशेषतः जिनकी पुनरावृत्ति से पीड़ा बार-बार मँझकर उभर आती हो। . . गत गुजरकर भी कहीं नहीं जाता आगत ढाँढ़स बँधाता तो है पर इस सत्य के साथ . . कि . . 'वर्तमान के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं..!!' --सुनीता डी प्रसाद💐💐 #वर्तमान के अतिरिक्त.... जीवन पर अनेक दर्शनशास्त्र तब कम पड़ जाते हैं जब अतीत के विकल्प के अभाव में
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} 'सनातन धर्म' एवं 'भारतीय संस्कृति' का मूल आधार स्तम्भ विश्व का अति प्राचीन और सर्वप्रथम वाड्मय 'वेद' माना गया है। मानव जाति के लौकिक (सांसारिक) तथा पारमार्थिक अभ्युदय-हेतु प्राकट्य होने से वेद को अनादि एवं नित्य कहा गया है। अति प्राचीनकालीन महा तपा, पुण्यपुञ्ज ऋषियों के पवित्रतम अन्त:करण में वेद के दर्शन हुए थे, अत: उसका 'वेद' नाम प्राप्त हुआ। ब्रह्म का स्वरूप 'सत-चित-आनन्द' होने से ब्रह्म को वेद का पर्यायवाची शब्द कहा गया है। इसीलिये वेद लौकिक एवं अलौकिक ज्ञान का साधन है। 'तेने ब्रह्म हृदा य आदिकवये'- तात्पर्य यह कि कल्प के प्रारम्भ में आदि कवि ब्रह्मा के हृदय में वेद का प्राकट्य हुआ। आत्मज्ञान का ही पर्याय वेद है। 1 वेदवाड्मय-परिचय एवं अपौरुषेयवाद 2 मनुस्मृति में वेद ही श्रुति 3 वेद ईश्वरीय या मानवनिर्मित 4 दर्शनशास्त्र के अनुसार 5 दर्शनशास्त्र का मूल मन्त्र 6 वेद के प्रकार 7 टीका टिप्पणी और संदर्भ 8 संबंधित लेख श्रुति भगवती बतलाती है कि 'अनन्ता वै वेदा:॥' वेद का अर्थ है ज्ञान। ज्ञान अनन्त है, अत: वेद भी अनन्त हैं। तथापि मुण्डकोपनिषद की मान्यता है कि वेद चार हैं- 'ऋग्वेदो यजुर्वेद: सामवेदो ऽथर्ववेद:॥'[5]इन वेदों के चार उपवेद इस प्रकार हैं— उपवेदों के कर्ताओं में 1.आयुर्वेद के कर्ता धन्वन्तरि, 2.धनुर्वेद के कर्ता विश्वामित्र, 3.गान्धर्ववेद के कर्ता नारद मुनि और 4.स्थापत्यवेद के कर्ता विश्वकर्मा हैं। ©N S Yadav GoldMine #Rajkapoor {Bolo Ji Radhey Radhey} 'सनातन धर्म' एवं 'भारतीय संस्कृति' का मूल आधार स्तम्भ विश्व का अति प्राचीन और सर्वप्रथम वाड्मय 'वेद' माना
Jyotish Jha
सभी मित्रों को प्रणाम,उनके माता को प्रणाम 🙏 जय श्री राम, जय जय परशुराम 🔻 #drjyotishwrites #mothersdayspecial (Read captions for MaakiGyaan Series) Today I am gonna write a couples of post on the occasion of Mother
Divyanshu Pathak
🤓हरे कृष्ण🌹🐦 🤓🌹🍉#पंछी🐇🐦😊#पाठक☘🍹🍫#शिक्षक🍧🍵☕🍫🍹#शिष्य🍧🍵☕😊#भारतीय🍉🌹🤓🐦🍵☕😝😜☘😊🐇🌹🌹🤓🐦🤓🌹🍉#ज्ञान🍵☕🍫#शिक्षा☕🐇🍉🌹#दर्शन🤓🤓🐦🍧🐦🤓😅🐰🌾🍫🍹🌿🤓🌹 5 सितंबर यानी शिक्षक दिवस। यह दिन
Anuj Jain
फ्लैट नंबर 13 In Caption गली से ये कैसी आवाज़ें आ रही हैं? रामू ज़रा खिड़की खोल के देखना तो मुरलीधर पलंग पे लेटे लेटे बोले। दर्शनशास्त्र के रिटायर्ड प्रोफेसर मुरलीधर भा
SK pant
ज्षधद्ध sdjsjs सके स्कीस डीजेडीजेडी सक्सिस्ज्स sjdjsjss सेक्स डिड सक्सक्स सेक्स dnskss सन आस ©MK Madhav #सनातन_धर्म : #हिंदू_परम्पराओं में #विज्ञान कैसे जुड़ा है? एक दिन डिस्कवरी पर जेनेटिक बीमारियों से सम्बन्धित एक ज्ञानवर्धक कार्यक्रम देख रह
Vandana
एक स्त्री महका देती है अपने आसपास का संसार और कई कलियों को पुष्पों में अवतरित कर देती है अपनी व्यवहार कुशलता से कहते हैं कि एक स्त्री में ही वो शक्ति है जो पुरुष के आवेग को संभाल सकती है। उसके गर्म धधकते हुए ज्वालामुखी को शीतल जल की वर्षा कर कर शांत कर