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Anjali Singhal
Ankit Singh
क्या आप जानते हैं कि नरसंहार में जीवित बचे अधिकांश लोग शाकाहारी क्यों हैं? ऐसा इसलिए है क्योंकि वे जानते हैं कि एक जानवर की तरह व्यवहार करना कैसा होता है। ©Ankit Singh क्या आप जानते हैं कि नरसंहार में जीवित बचे अधिकांश लोग शाकाहारी क्यों हैं? ऐसा इसलिए है क्योंकि वे जानते हैं कि एक जानवर की तरह व्यवहार करना
Shivkumar
[ ** सड़क सुरक्षा **] सड़क पर सावधान होकर चलेंगे गति मीमा का हम ध्यान रखेंगे दुपहिया वाहन तभी जब हेलमेट लगाएंगे मड़क मंकेतों का पालन करेंगे ओवरलोड वाहन नहीं चलाएंगे ओवरटेक मंभलकर करेंगे अन्य वाहनों मे निश्चित दूरी बनाकर चलेंगे तभी तो हम दुर्घटना से बचेंगे लाल पर रुकेंगे, हरे पर चलेंगे पीले पर मूझबूझ से धीरे-धीरे चलेंगे चौपाया वाहन में मीट बेल्ट लगाकर चलेंगे अब हम दुर्घटना को कम करेंगे [ ** हिंदी यात्रा ** ] शराब, सिगरेट, दारु से ध्यान भंग होगा दुर्घटना और यमराज मंग होगा मड़क नियमों का जब पालन नहीं होगा अपना और अपनों का जीवन खतरे में होगा मोबाइल पर बात वाहन रोककर करेंगे बिना इंडिकेटर दिए नहीं मुड़ेंगे पहले पैदल यात्रियों का सड़क पार करने देंगे सड़क नियमों का पालन करके दुर्घटनाओं को कम करेंगे ©Shivkumar #trafficcongestion #traffic #Signal #Nojoto #nojotohindi [ ** #सड़क #सुरक्षा **] सड़क पर #सावधान होकर चलेंगे गति मीमा का हम ध्यान रख
Rabindra Kumar Ram
*** ग़ज़ल *** *** फ़ुर्क़त *** " आज इक दफा उस से मुलाकात हुई , फ़ुर्क़ते हयाते-ए-ज़िक्र अब जो भी हो सो हो , मुहब्बत में बचे शिकवे शिकायतें आज भी हैं , आज उसे इक दफा गले लगाने को दिल कर रहा हैं , फकत अंजुमन कुछ भी तो कुछ बात बने , फ़ुर्क़त में उसे दाटने को जि कर रहा है , क्या समझाये की अब मुहब्बत नहीं हैं तुझसे , फकत तुझे महज़ इक याद की तरह रखी , तेरी तस्वीर आज भी इक पास रखी हैं , फिर जो कहीं मुहब्बत और नफ़रत की गुंजाइश हो तो याद करना , आखिर हम रक़ीबों से दिल लगा के आखिर करते क्या . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** *** फ़ुर्क़त *** " आज इक दफा उस से मुलाकात हुई , फ़ुर्क़ते हयाते-ए-ज़िक्र अब जो भी हो सो हो , मुहब्बत में बचे शिकवे शिकायतें
AwadheshPSRathore_7773
Banarasi..
जीवन की यात्रा रास्ता था लम्बा हम खड़े किनारे हम चलें रास्ता चला हो बेसहारे। रुका हुआ अम्बर देख रहा जमी पे चल रहे ये खुद को सम्हाले। हर कोई एक दूसरे को नहीं जानते पर पथिक के नाम मिली पहचानें। जानें पहचाने के इस चक्कर में थक रहे हम सारे के सारे। लक्ष्य एक ही अंतिम मंजिल तक अब चाहे जिंदा बचे या जाएं मारे। परिश्रम और प्रयास के द्वंद में चलो टूट पड़े हम सारे के सारे। बनारसी नहीं चाहता इस खेल में बिन अंतिम प्रयास हम सब जाएं मारे। लड़ो! उठो! बस चलते रहो तोड़ डालो! किस्मत की ये दीवारें। ©Banarasi.. जीवन की यात्रा रास्ता था लम्बा हम खड़े किनारे हम चलें रास्ता चला हो बेसहारे। रुका हुआ अम्बर देख रहा जमी पे चल रहे ये खुद को सम्हाले। हर