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Rinkoo Singh
कुछ नशा तो आपकी बात का है, कुछ नशा धीमी वर्षात का है | हमें आप यूं ही शराबी ना कहिये, यह नशा तो पहली मुलाकात का है || अल्कोहल शायरी
अल्कोहल शायरी
read moreKhushboo Singh(कलम_a_ आजाद)
जुबां न लगना मेरे मै नागिन से भी जहरीली हूं कभी गमों में हो तो आ जाना मै मैखाने की बोतल नशीली हूं #feather #अल्कोहल
Dr.Vinay kumar Verma
मेरी दो बातें:सेल्फ मैनेजमेंट के सूत्र-18वां संकल्प- आय बढ़ाने के दीर्घकालिक व लघुकालिक योजना बनाना #Motivation #विचार
read moreOMG INDIA WORLD
#5LinePoetry कुदरत के खिलाफ "गुनाह" तो हुए है हम सभी से, वरना "गंगाजल" के बजाय "अल्कोहल" से हाथ धोने न पडते.. कोई तो "जुर्म" था जिसमें हम सभी शामिल थे, तभी तो "हर" शख्स "मुह छिपाए" घूम रहा है। ©OMG INDIA WORLD कुदरत के खिलाफ "गुनाह" तो हुए है हम सभी से, वरना "गंगाजल" के बजाय "अल्कोहल" से हाथ धोने न पडते.. कोई तो "जुर्म" था जिसमें हम सभी शामिल थे,
कुदरत के खिलाफ "गुनाह" तो हुए है हम सभी से, वरना "गंगाजल" के बजाय "अल्कोहल" से हाथ धोने न पडते.. कोई तो "जुर्म" था जिसमें हम सभी शामिल थे, #समाज #5LinePoetry
read moreLamha
जद्दोजहत में मशगूल हैं, जिंदगी में बहाने कम हैं। अपने हैं बहुत सारे, अपनों में हमारे कम हैं। जो खंजर दिख रहे हैं पीठ पर मेरी, अपने हैं सारे बेगाने कम हैं। मैं वो मकान हूं जिसमें, खिड़कियां ज्यादा, दरवाजे कम हैं। तलबगार देखा है मैंने हर इंसान में, शायद इस शहर में मयखाने कम हैं ©Tanya Sharma (लम्हा) #waiting मयखाने और तलबगार का मतलब अल्कोहल से नहीं। नशा किसी का भी हो सकता है जैसे किताबें और मयखाना स्कूल जो सभी को नसीब नहीं हो पाता।। र
Sunil itawadiya
जाने कोरोना से जुड़ी कुछ सच बातें *झूठ :* नया कोरोना वायरस बच्चों और बुजुर्गों को प्रभावित करता है, युवाओं को नहीं। *सच :* सभी उम्र के लोग इस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं।
*झूठ :* नया कोरोना वायरस बच्चों और बुजुर्गों को प्रभावित करता है, युवाओं को नहीं। *सच :* सभी उम्र के लोग इस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं।
read moreरजनीश "स्वच्छंद"
मन को देखो टटोलकर।। जीवनकाल के उत्तरार्ध पर, मन को मैं हूँ टटोलता, ज्ञान भिक्षा जो मिली थी, मुख खोल मैं हूँ बोलता। दीर्घकालिक हूँ नहीं मैं, नश्वरता का कुल बोध है, अनुभवों की चाभी भर, बन डुगडुगी हूँ डोलता। ज्ञान का ये दायरा, ना सीमित ना संकुचित हुआ, वाणी को कर शिरोधार्य, ले ज्ञान-तराजू हूँ तोलता। विवेक पर कुमति थी भारी, उदंडता अमरत्व पर, विष मन्थित कंठ धारे, मैं निज को ही हूँ कोसता। सुचितोचित प्रश्नवाचक, चढ़ दुर्ग था ललकारता, विनिमयी इस मेले में, निज त्रास को हूँ मोलता। कंठाग्र जो थी संस्कृति, आंदोलित रही उदगार को, हो कुपित मनोभाव से, संग शुष्म रक्त हूँ खौलता। ह्रस्व था या दीर्घ था, मैं दिन था या दीन हुआ अब, आकंठ क्रंदन-स्वर में डूब, स्याही में नाद हूँ घोलता। ©रजनीश "स्वछंद" मन को देखो टटोलकर।। जीवनकाल के उत्तरार्ध पर, मन को मैं हूँ टटोलता, ज्ञान भिक्षा जो मिली थी, मुख खोल मैं हूँ बोलता। दीर्घकालिक हूँ नहीं मैं
Bharat Bhushan pathak
अन्त में जब विशू ने यह सम्मोहन भुरभुरा के गिर गयी कहकर तोड़ा था तो जो लोग इसे एक अप्सरा समझकर चाँद तारे तक की बात समझ कर सपने में उसके पीछे चल दिए थे,वही लोग भुरभुरा के शब्द सुनकर जमीन पर धड़ाम से गिर गए थे और तब तो उनका प्राणान्त ही हो जानेवाला था जब उन्हें पता चला वह कल्पना एक नमक की बोरी की थी, तो क्यों आपका भी पढ़ा-लिखा यहाँ फेल होता नज़र आ रहा था न!!! तो इस अल्कोहल की महिमा इतनी है तो क्यों न खोला जाएगा भैया मदिरालय विद्यालय की जगह। खैर लगता है कि मैं विषयवस्तु से भटक गया था,अब लौट आया हूँ:- एक शिक्षक ऐसा होना चाहिए जो बच्चों को समझे,उन्हें न पढ़ने की इच्छा पर भी पढ़ने पर विवश कर दे अपनी छड़ी या डाँट से नहीं ,अपितु अपने बुद्धि कौशल से ऐसा ही कुछ मैंने अपने सहकर्मी शिक्षक में देखा मतलब बिना अल्कोहल के सेवन के,मदिरा के बिना सेवन के जो मैं भी नहीं करता उपरोक्त महानुभाव की तरह ... उस बुद्धि -कौशल वाले शिक्षक और मेरे प्रिय मित्र का नाम है दीपक सर जिन्हें लोग भले ही मस्तीखोर कह ले मैं तो एक आदर्श शिक्षक कहुँगा क्योंकि जब उन्हें विद्यालय में बच्चों को नवीं कक्षा में सामाजिक अध्ययन के अंतर्गत गणित शिक्षक होने पर भी इतिहास पढ़ाते देखा तो उनके बुद्धि -कौशल का मैं भी कायल हो गया,क्योंकि वह बच्चा जिसने पढ़ने में अभिरुचि न हो और वो बच्चा जब ऐसे विषय को पढ़ना चाहे जिस विषय के बारे में ये भ्रान्तियाँ प्रसिद्ध हैं कि ये ऐसा विषय है जो रात से दिन तक का सफ़र भी तय नहीं करता तो शिक्षक में तो बात है । ©Bharat Bhushan pathak अन्त में जब विशू ने यह सम्मोहन भुरभुरा के गिर गयी कहकर तोड़ा था तो जो लोग इसे एक अप्सरा समझकर चाँद तारे तक की बात समझ कर सपने में उसके पीछे
अन्त में जब विशू ने यह सम्मोहन भुरभुरा के गिर गयी कहकर तोड़ा था तो जो लोग इसे एक अप्सरा समझकर चाँद तारे तक की बात समझ कर सपने में उसके पीछे
read morePriyanjali
मुक्त कर मुझे............ के मैं उड़ चलूँ...........! मुक्त गगन में........... पंछियों संग पँख खोलूँ..............!! आज मुक्त कर मुझे.......... थोड़ा खुलकर जी लूँ............! स्वतंत्रता का मय मीठा लागे मोहे.... थोड़ा पी लेने दे मुझे................ पीकर थोड़ा मदहोश हो लूँ...... मत बाँध मुझे................ आज किसी बंधन में.......... पँख फैलाने दे मुझे आज.......... मुक्त आकाश के आंगन में.....!! मुक्त कर मुझे दोषारोपण के पिंजरे से.......... समाज के दृष्टिकोण के परे मुझे जाने दे....... खुदमें ही खुद से मुझे बस खो जाने दे..........🙏🙏🙏 कुछ पल छीन..... कुछ भावपूर्ण.... कुछ भावविभोर...... कुछ भावविहीन...... थोड़ा रो लूँ........ थोड़ा हँस लूँ..... ख़ुदको........ खुद की बाहों में लिपट कर.............. आज मैं किसी की नहीं..... बस खुद की हो लूँ.............. आज सुगंध सी पवन संग क्रीड़ा करूँ..... उलझुँ, सुलझुँ संग मिश्रित हो जाउँ........ कुसुमित, प्रस्फुटित पुष्पों से........ दीर्घकालिक वार्तालाप हो मेरी..... उन वार्तालापों में खो जाउँ....................!! उन पुष्पों की सुगंध में तुम्हें पाऊं............... बस मौन ही बातें करें तुम संग................... मुख से मैं कुछ न बोलूँ.........!! मुक्त कर मुझे............... के मैं उड़ चलूँ..................! मुक्त गगन में.............. पंछियों संग पँख खोलूँ.................!! ©Priyanjali मुक्त कर मुझे............ के मैं उड़ चलूँ...........! मुक्त गगन में........... पंछियों संग पँख खोलूँ..............!
मुक्त कर मुझे............ के मैं उड़ चलूँ...........! मुक्त गगन में........... पंछियों संग पँख खोलूँ..............! #कविता #nojotohindi #nojotowriters #NojotoWriter #HandsOn
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