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Krish Vj
आनन पर हैं सूरज की लाली माथे पर चँदा चमकता है आफ़ताब और माहताब के नगीनों से गला दमकता है प्रकृति रानी का भाल सुशोभित हिम-पर्वतो से होता है पैरों में शोभित होती वन उपवन की पायल छनकाती है खिले है रंग बिरंगे फूल ,खुशबू से अपनी मन महकाते है अनगिनत सुंदर पशु पक्षी, सुंदरता में चार चाँद लगाते है कल-कल नदियां बहती सागर उमड़ घुमड़ फिर आता है मेघराज मल्हार है गाते, वर्षा रानी का नृत्य फिर आता है कंचन सी काया दमकती, अनमोल हीरे-मोती सुहाते है जो निहारता सुंदरता इसकी नयन सुकून से भर आते हैं प्रकृति की सुन्दरता कविता आनन पर हैं सूरज की लाली माथे पर चँदा चमकता है आफ़ताब और माहताब के नगीनों से गला दमकता है प्रकृति रानी का भाल
amar gupta
वह जब मंद मंद मुसकाती है, उसकी हंसी मानो चंद्रिमा बन जाती है। जब-जब प्रत्यक्ष वो रहती मेरे, भय सा जगता तब मन में मेरे, जग जाग न जाए मधुर मोह स्वर से वो पायल कुछ ऐसे छनकाती है। वह जब मंद मंद मुसकाती है, उसकी हंसी मानो चंद्रिमा बन जाती है। तन तान बिखेरे, चुनर सजाए, मानो मधुघट का जाम हो हाय! लाली गालों पर चढ़ती जैसे नभ में निद्रा पश्चात सूर्य प्रभा इठलाती है। वह जब मंद मंद मुसकाती है, उसकी हंसी मानो चंद्रिमा बन जाती है। स्वर्ण कोमल वो, शीतल एक कली, सावनो के नीरव में भी अधखिली। शीत की साकल्य में है स्तब्ध, ग्रीष्म के किरणों में फिर पुष्प कमल हो जाती हैं। वह जब मंद मंद मुसकाती है, उसकी हंसी मानो चंद्रिमा बन जाती है। चंद्रिमा!❤️ वह जब मंद मंद मुसकाती है, उसकी हंसी मानो चंद्रिमा बन जाती है। जब-जब प्रत्यक्ष वो रहती मेरे, भय सा जगता तब मन में मेरे, जग जाग
kumar shivam hindustani
कुछ प्यार भरे मंद मुस्कान लिए, जब पनघट पर तू चल जाती है।। read in caption⬇ कुछ प्यार भरे मंद मुस्कान लिए, जब पनघट पर तू चल जाती है। तब रवि की प्रचण्ड किरणे भी, तुझे देख ढल जाती है।। नयनों में कुछ नशा लिए , जब पायल त
Shruti Gupta
वह जब मंद मंद मुसकाती है, उसकी हंसी मानो चंद्रिमा बन जाती है। जब-जब प्रत्यक्ष वो रहती मेरे, भय सा जगता तब मन में मेरे, जग जाग न जाए मधुर मोह स्वर से वो पायल कुछ ऐसे छनकाती है। वह जब मंद मंद मुसकाती है, उसकी हंसी मानो चंद्रिमा बन जाती है। तन तान बिखेरे, चुनर सजाए, मानो मधुघट का जाम हो हाय! लाली गालों पर चढ़ती जैसे नभ में निद्रा पश्चात सूर्य प्रभा इठलाती है। वह जब मंद मंद मुसकाती है, उसकी हंसी मानो चंद्रिमा बन जाती है। स्वर्ण कोमल वो, शीतल एक कली, सावनो के नीरव में भी अधखिली। शीत की साकल्य में है स्तब्ध, ग्रीष्म के किरणों में फिर पुष्प कमल हो जाती हैं। वह जब मंद मंद मुसकाती है, उसकी हंसी मानो चंद्रिमा बन जाती है। चंद्रिमा!❤️ वह जब मंद मंद मुसकाती है, उसकी हंसी मानो चंद्रिमा बन जाती है। जब-जब प्रत्यक्ष वो रहती मेरे, भय सा जगता तब मन में मेरे, जग जाग
Lovelorn Vinit
Piya Rathore
उसके कदमों की आहट को पहचानकर😍 वो पायल छनकाती हुई दरवाजा खोलकर☺️ जब कहती है "आ गये आप"💕 तब उसका मुरझाया हुआ चेहरा🥀 फूल की तरह खिल उठता है🌹 दि
Sumeet Pathak
कब से बैठा तेरे इन्तेज़ार में ये राह कमज़ोर तो नही , जिसका चेहरा है आठो पहर मेरे ध्यान में , ऐ जिन्दगी कहीं तू ग़म जुदा तो नही ! ? DQ : 380 "आकाश का सूनापन मेरे तनहा मन में पायल छनकाती तुम आजाओ जीवन में
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
Maa MY FIRST poetry on MOM HOPE YOU LIKE माँ क्या है? माँ नूर है,हूर है माँ बेटे का गुरूर है। माँ दीप है,रूप है,धूप है। माँ नदी है,रती है सती है। माँ मन है,धून है, जूनून है। माँ दूर है,पास है,एहसास है। माँ अस्ल है,नस्ल है,वस्ल है। माँ प्यार है,व्यवहार है,संसार है। माँ सागर है,साहिल है,सैलाब है। माँ मंजिल है,रास्ता है,वास्ता है। माँ दौलत है,हसरत है,इनायत है। माँ चाहत है,आदत है,मोहब्बत है। माँ इबादत है,इज्ज़त है,इजाजत है। माँ सजदा है,मेहताब है,आफताब है। माँ अभेद्य है,अखंड है,प्रचंड है। माँ शब्द का अंत नही, माँ तो अनंत है। ~अंकुर (Dear Comrade) माँ क्या है? माँ नूर है,हूर है माँ बेटे का गुरूर है। माँ दीप है,रूप है,धूप है। माँ नदी है,रती है सती है। माँ मन है,धून है, जूनून है। माँ द