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Anita Saini
[READ IN CAPTION] एक सोच, आरज़ू, सलाह ✊🤞💪 😍💓💕..!!! सम्मान बनो, अपमान नहीं..! इन्सान बनो, हैवान नहीं....!! निडर बनो, कायर नहीं..! तृप्ति बनो, तृष्णा नहीं...! प्रेम करो, घृणा नहीं...!! चिरा
Rajmani Dubey (Baahu)
love you इस छायाचित्र को "पिक ऑफ़ द ईयर" कहा जाय तो कुछ गलत नही है इसमें |इंसान और जानवर के बीच का ये खूबसूरत रिश्ता, इंसानों के बीच भी बमुश्
Anchal Pandey
श्रृंगारदानी....... दर्पण तो सामने है, मगर आज उसमें चेहरा नहीं है। अपरिचित - सा जान उसको, प्रश्न उससे पूछता है। जो सदा पलकें झपकते, देती थी उत्तर सारे। आज लेकिन..... देखती है श्रृंगारदानी!! Give a read once.. 🌼 /Full poem in caption / ... शोर है चारों तरफ, पर फिर भी बैठा मौन कोई। सजल लोचन आज छलके.. अंजन शनै : बहा रहे हैं। सि
Shree
ऐ जिंदगी तेरी वजह से मैं जाने क्या कुछ कर जाता हूं ऐ जिंदगी तेरी वजह से मैं जाने क्या-क्या बन जाता हूं अनुशीर्षक कभी करण बन जाता हूं कभी अर्जुन बन जाता हूं ऐ जिंदगी तेरी वजह से मैं जाने क्या कुछ कर जाता हूं कभी मोह भंग कर जाता हूं कभी मोह पाश बिछाता ह
दि कु पां
नोच खाया था किसी इंसानी कुत्ते ने उसे.. कुकर्मी बेधर्मी.. अपमान वो अपनी मां के कोख का कर गया था.. भीड़ भी बड़ी बेशरम थी.. आदमी जंगली थे माना किसी मां बहन के पास भी ना कोई कपड़े का टुकड़ा था.. जो ढाप देता उस शर्म से मरी औंधे मुंह पड़ी अबला का नग्न जिस्म 😓😓 वैन से उतरते ही मैं चकरा गई,,,, स्कूल के अन्दर बाहर ये भीड़ कैसे,मन आशंकित हो गया क्या हुआ है,,,,??? सब तरह-तरह की बातें कर रहे थे, पुलिस मी
Sachin Ratnaparkhe
चलो अब आगे की कहानी सुनाता हूं... (व्यंगपूर्ण कविता) चलो अब आगे की कहानी सुनाता हूं, अब चहुं और से घोर निंदाओ का दौर चलेगा, बेवकूफ़ राजनेताओं, देश विदेशो से सांत्वनाओं का ट्वीटीकरण, फेसबूकीकरण
Nitin Kumar
Anil Ray
मेरी दर्दनाक मौत पर भी जो आँखे आँसुओं से श्रृंगार नही कर पायी शायद! भ्रम में है कि शेष अभी, मुझमें जान है। पता नही शासन प्रशासन में भी कैसे बेदर्द इंसान है परन्तु...वे भी क्या करे उनके घर पर सब जिन्दा है मेरा उनसे क्या रिश्ता। आबाद रहो मेरे देशवासियों! भला शिकायत क्या है आपसे गिला सिर्फ यही मेरे साथ मेरे अरमानो को भी मारा था तो फिर मेरे और अरमानों के भारी ज़नाजे से मुझे दफनानें वाले दब क्यो नही गये? मेरे हमवतनों सच कहूँ कसूर क्या था मेरा मैं..मैं..मैं सिर्फ और सिर्फ एक भारतीय बेटी थी। बस फरियाद मेरी यही फिर कभी बेटी बनकर भारत में जन्म न हो। अलविदा..!!! ©Anil Ray आप जैसे विद्वानों के समक्ष मेरे जैसे अल्पज्ञ बालक द्वारा विचार प्रस्तुत करना विशाल जगमगाते हुये सूर्य को दीपक मात्र दिखाना है फिर भी 'संविधा
Aprasil mishra
"नारी अस्मितायें एवं सामाजिक सुरक्षा" एक वीभत्स अपराध के साये में आज हमारा शहर भी जीने को अग्रसर हो रहा है।अशिक्षा एवं बेरोजगारी में उर्ध्वगामी सर