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Prabhat Kumar
White चोरी चोरी देखूँ मैं तुमको चेहरे पर मुस्कान भर आता है न जाने दिल को कैसी ख़ुशी मिल जाता है खोता कुछ नहीं मेरा पर देख कर तुमको बहुत कुछ पा लेता हूँ कुछ लिखता हूँ तुम्हारे लिए बहुत कुछ सोचता हूँ तुम्हारे लिए रातों को चोरी-चोरी नींदे मेरी उड़ जाती है ख़्याल जब तुम्हारा आता है कल बातें तुमसे करूँगा क्या बातें करूँगा तुमसे यही रात भर सोता रहता हूँ ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
White कुछ तुम भूल गए, कुछ हम भूल गए यूँ ही दिल का रिश्ता तोड़ गए जीने मरने की कसमें खाते थे हम वादों पर वादे करते रहते थे हम न जाने ऐसा क्या हुआ कि हम तुमको तुम हमको भूल गए बातें बंद मुलाकातें बंद मिलना जुलना सब कुछ हो गया बंद इतने क्यों हम तुम बदल गए ये कैसी बेवफ़ाई हमने तुमने निभाई नज़रें मिली तो फिर क्यों नज़रें हम दोनों की झुक गई ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
उनकी ख़ुशबू ही कुछ ऐसी थी उनके दीवाने हम हो गए थे भूलकर सारी बातें उनके पीछे हो चले थे उनको भी कुछ समझ ना आया हम क्यों हो रहे हैं उनके दीवाने हमको तो लग रहा था सदियों से है उनका हमारा ये रिश्ता बातें पुरानी याद करने की कोशिश मैं करता रहा पर कुछ भी याद मुझको ना आया न जाने क्या राज़ था क्यों मैं उनका दीवाना हो रहा ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
रात भर आती रही तेरे भेजे फूलों की ख़ुशबू तन मन मेरा बेकाबू हो रहा था साथ तुम्हारा ख़ोज रहा था दिल कह रहा था चला जाऊँ पास तेरे तू अगर रहती पास मेरे दिल की सारी बातें कह देता तुमसे ये ठंडी हवा का झोंका फिर मेरे चेहरे पर मुस्कान लाता ये ख़ुशबू फिर मुझे बेकाबू ना करता ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
कितने दिनों के बाद खुली है खिड़की आज मेरे सामने वाली आ रही है उधर से ये कैसी ख़ुशबू मदहोश मुझको करने लगी है चेहरा तो नहीं उसकी परछाई कुछ-कुछ नज़र आने लगी है ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
ख़त जो तुमने मुझको लिखा मुझको मिला जिसमें तुमने अपने दिल का हाल लिखा आँसुओं से भरी जो रातें तुम्हारी बीती उसका फरियाद लिखा तेरे ख़त में मेरे दिल को बेहाल किया तुमसे मिलने को बेताब हुआ ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
ख़ूबसूरती तूने जो है पाई उस ख़ुदा की है मेहरबानी न देना कभी दगा किसी को है दिवाना तेरा हर कोई दिल जिसे चाहे तेरा प्यार निभा जाना उससे ख़ूबसूरती का न करना घमंड पल दो पल का है ये ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
कुछ मुलाक़ात रह जाती है याद ख़्वाबों ख़्यालों में आती है वो यादें बार-बार थी उनसे मेरी वो पहली मुलाक़ात नज़रें उनसे मिली और दिल मेरा खो गया कहीं कुछ उनसे कहता वो ओझल हो गई थी नज़रों से कहीं फिर नज़रें मिली नहीं उनसे कभी दिल आज भी ढूँढता है उनको तस्वीर उनकी नज़रों में लिए हुए ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
समाज बन तो गया मगर परस्पर प्रेम और सहृदयता का भाव इस समाज में दिखा नहीं अलग-अलग रस्मो रिवाजों के कारण एक दूसरे के हो न सके समाज जो कहे वही करना पड़ेगा चाहे क्यों ना घुट घुट कर मारना पड़े ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
भारत भूमि की मिट्टी कितने बलिदानों को देखी है अपने गोद में उनके लहू को समेटी है आँसू बहाती कुछ ना कहती बस सब कुछ चुपचाप देखती रहती ये मिट्टी, भारत भूमि की मिट्टी कहीं है ये उपजाऊ मिट्टी कहीं बेजान पड़ी है मिट्टी लहलहाते हैं जिस पर फसलें उगते हैं जिस पर कितने विशाल पेड़ें ये मिट्टी, भारत भूमि की मिट्टी मिल जाना है एक दिन सबको इस मिट्टी ©Prabhat Kumar #प्रभात