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@aliwriters_
ज़ुल्म की हिमायत के लिए मज़लूम का मज़हब काफी था|| क़ातिलों के तर्फदारों ने कहा मकतूल के जिस्म पर सर ही नहीं था..! उल्लू की अध्यक्षता में चमगादड़ों की एक सभा हुई|| तय यह हुआ कि अन्धकार ही परम सत्य है..! #Pahlu_Khan #तमाम_क़ातिल_बाइज़्ज़त_बरी #पाक़ीज़ा_इंसाफ 😢 #pahlu_khan #तमाम_क़ातिल_बेइज़्ज़त_बरी #पाक़ीज़ा_इंसाफ 😢
Rukhsar Khanam
💞💞जितना पाक़ीज़ा मेरा ईमान हैं💞💞 💞उतना ही पाक़ीज़ा मेरा इश्क़ भी हैं सनम तुझसे💞 ✍️मेरे अल्फ़ाज़✍️ ©Rukhasar Khanam 💞जितना पाक़ीज़ा मेरा ईमान हैं💞
💞जितना पाक़ीज़ा मेरा ईमान हैं💞 #शायरी
read moreSaifrahmankhan786official
Dost Ko Kabhi Daulat Ki Nigahon se mat Dekhna Janaab.. Wafa Nibhane Wale Hamesha Gareeb Huaa Karte Hain ...☆ ©Saifrahmankhan786official सबसे बेहतर और पाक़ीज़ा रिश्ता दोस्ती से अलावा कुछ नहीं #OneSeason
सबसे बेहतर और पाक़ीज़ा रिश्ता दोस्ती से अलावा कुछ नहीं #OneSeason
read moreHarshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️. #Jazzbaat# औरत उस गुलिस्तान ए महफ़िल में। रहती है जहां औरतों की पाक़ीज़ा ज़िन्दगी । का पायमना उसके लिबास से मापा जाता है। कुदरत के इस करिशमे को बेढियों में जकड़ा जाता है। मरदानगी की इस हेवानियात। को रिश्तों के तराज़ू में तोला जाता है। कब इस मगरूरियत को मासूमियत की एहमियत का इल्म होगा। बस खुदा इन मगरूरो को औरतों की शकसियात का तकाज़ा होगा । हया की मूरत को इज्जत से नवाज़ा जाएगा। इज्जत को इज्जत मिलेगी। जहां में खुशनुमा माहौल होगा। #aurat #dil #mohabbat #izzat #yqdidi #yqbaba Written by Harshita ✍️✍️. #Jazzbaat# औरत उस गुलिस्तान ए महफ़िल में। रहती है जहां औरतों की पाक
aurat dil mohabbat izzat yqdidi yqbaba Written by Harshita ✍️✍️. Jazzbaat# औरत उस गुलिस्तान ए महफ़िल में। रहती है जहां औरतों की पाक
read moreSharukh Moin
शरीफ लोगों से कभी सियासत नहीं होती, तभी तो जुल्म के खिलाफ बगावत नहीं होती। पाक़ीज़ा लहज़ा, पाकीजा ही रहता है, सच्चे लोगों में दिखावत नहीं होती। खुश्क लब तर होंगे ख़ुद से ही ख़ुद, औरो के पिलाने से तराबट नहीं होती। कहते हैं अमृत है गंगाजल और जमजम, फिर खुन में क्यों इसकी मिलावट नहीं होती। भूखे, नंगे, वेघर, यतीम दुनियां के लोग, को खौफे खुदा में तुझसे क्यों शरारत नहीं होती। आईने चटक जाते हैं, ऐसे चेहरे देख के, जिनके चेहरे पर निशान ए इबादत नहीं होती। इंकलाबी लोगों का लहज़ा ही बदला होता है, दर्द में डूबे लोगों से हमें शिकायत नहीं होती। शहर की गलियों में, बारूद बहुत है, तभी तो हमसे कोयलें की तिजारत नहीं होती। शाहरुख नेकी करके दरिया में डाले जा तू, इस दौर के लोगों में मरौव्वत नहीं होती। शाहरुख मोईन अररिया बिहार 9534848402 शरीफ लोगों से कभी सियासत नहीं होती, तभी तो जुल्म के खिलाफ बगावत नहीं होती। पाक़ीज़ा लहज़ा, पाकीजा ही रहता है, सच्चे लोगों में दिखावत नह
शरीफ लोगों से कभी सियासत नहीं होती, तभी तो जुल्म के खिलाफ बगावत नहीं होती। पाक़ीज़ा लहज़ा, पाकीजा ही रहता है, सच्चे लोगों में दिखावत नह #शायरी
read moreNakhat Praween Zeba
एक कविता (Full piece in the caption) जब सारे नाते टूट गए हो गमों का हर पर्दा बेपर्दा हो चला हो जब खुशियों की गहराई से आंसू छलके मोती बनके नशीली सी उन आंखों से जाम बरसती पैमाना ब
जब सारे नाते टूट गए हो गमों का हर पर्दा बेपर्दा हो चला हो जब खुशियों की गहराई से आंसू छलके मोती बनके नशीली सी उन आंखों से जाम बरसती पैमाना ब #Poetry
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