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KP EDUCATION HD
KP NEWS HD कंवरपाल प्रजापति समाज ओबीसी for the ©कंवरपाल प्रजापति टेलर 👉अमेरिका के कैंब्रिज स्थित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी दुनिया की तीसरी बेस्ट यूनिवर्सिटी है. लेकिन जब लॉ और लीगल स्टडीज की बात आती है तो यह इस कैटे
Mahima Jain
मित्रता या दोस्ती हर किसी के जीवन में एक अहम भूमिका निभाती है। दोस्ती एक व्यक्ति के लिए प्यार, स्नेह और सम्मान की भावना है। एक अच्छा दोस्त आपके दुःख-सुख में आपका साथ देता है। जब आप मुश्किल में फंसे होते हैं तो वह मदद करता है। अगर सही मायने में देखें तो मित्रता जीवन को पूर्ण करती है। ये एक ऐसा रिश्ता है जो भगवान नहीं बल्कि हम खुद बनाते है। मेरा मानना है दोस्ती समय से नहीं भावनाओं से मज़बूत होती है। मेरी ज़िन्दगी में भी मेरे कुछ ऐसे दोस्त है, कोई जो 15 साल से साथ है और कोई जो मात्र 1.5 साल से। पर है सभी मेरे दिल के करीब। सबसे पहले मेरी बचपन की सहेली जो मुझे पांचवीं कक्षा में मिली थी। हम सिर्फ तीन साल एक क्लास में थे, पर आज 15 साल बाद भी हम लगभग रोज़ बात करते हैं। दूसरी मेरी कॉलेज की सहेली जो मुझे ग्रेजुएशन के पहले साल के पहले ही दिन मिली थी। उसने मुझे सीट ऑफर की और मैं तो उसके दिल में ही जा कर बैठ गई। तीसरा मेरा पहला प्यार जो अब भी सबसे अच्छा दोस्त है। हम चाहे जहां भी रहें, एक दूसरे के साथ हमेशा खड़े है। इसके अलावा मेरा एक ऐसा दोस्त है जिससे मैं कभी मिली नहीं हूं, पर उससे बात किए बिना जैसे दिन पूरा नहीं होता। और अंत में मेरे दो दोस्त जिनसे मैं थियेटर में मिली थी। वो तो मुझे ना दोस्त मानते है ना बहन, उनके लिए तो मैं उनका भाई हूं। ये दोस्त मेरी ज़िन्दगी का अहम हिस्सा है।। •| संक्षिप्त निबंध |• विषय :- मेरा प्रिय मित्र / मेरे सबसे अच्छे दोस्त मित्रता या दोस्ती हर किसी के जीवन में एक अहम भूमिका निभाती है। दोस्त
Ashok Mangal
राजनीति की हक़ीक़त यही, यही राज का व्यवहार है । जनता मालिक नाम की, लाठी की सरकार है ।। जब से बाबू विधायक बने उनके घर के सब सीना तान खड़े जो बारहवीं में चार बार फेल रहें वो पांचवीं बार सरकारी डाक्टर बने जिसको ना आता था जोड़ घटान
Shree
एक तुम! दूजा.. ये प्रेम तीजा आश्रा ख़ुदा का चौथी नेमतें और दुआएं पांचवीं उम्मीदों का कारवां छठी आहटें, इनायतें और इंतज़ार सातवां आसमान, बादलों का हुजूम आठों प्रहर का बनकर प्रहरी ये तन-मन नव निधि कम लगे, कुबेर निर्धन, नव रस कम दसों दिशाओं में दृष्टि विकल हो खोजें तुम्हें सोचें! एक तुम! दूजा.. ये प्रेम तीजा आश्रा ख़ुदा का चौथी नेमतें और दुआएं पांचवीं उम्मीदों का कारवां छठी आहटें, इनायतें और इंतज़ार सातवां आसमान, बादल
Jitendra Kumar Som
पांचवीं पुतली लीलावती की कहानी पांचवे दिन राजा भोज सिंहासन पर बैठने की तैयारी कर ही रहे थे कि पांचवीं पुतली लीलावती ने उन्हें रोक दिया। लीलावती बोली, राजन, क्या आप विक्रमादित्य की तरह दानवीर और शूरवीर हैं? अगर हां, तब ही इस सिंहासन पर बैठने के अधिकारी होंगे। मैं आपको कथा सुनाती हूं परम दानवीर विक्रमादित्य की। एक दिन विक्रमादित्य दरबार में राजकाज निबटा रहे थे तभी एक विद्वान ब्राह्मण दरबार में आकर उनसे मिला। उसने कहा कि अगर वे तुला लग्न में अपने लिए कोई महल बनवाएं तो राज्य की जनता खुशहाल हो जाएगी और उनकी भी कीर्ति चारों तरफ फैल जाएगी। विक्रम को उसकी बात जंच गई और उन्होंने एक बड़े ही भव्य महल का निर्माण करवाया। कारीगरों ने उसे राजा के निर्देश पर सोने-चांदी, हीरे-जवाहरात और मणि-मोतियों से पूरी तरह सजा दिया। महल जब बनकर तैयार हुआ तो उसकी भव्यता देखते बनती थी। विक्रम अपने सगे-सम्बन्धियों तथा नौकर-चाकरों के साथ उसे देखने गए। उनके साथ वह विद्वान ब्राह्मण भी था। विक्रम मंत्रमुग्ध हुए साथ ही वह ब्राह्मण मुंह खोले देखता रह गया। बिना सोचे उसके मुंह से निकला-'काश, इस महल का मालिक मैं होता!' राजा विक्रमादित्य ने यह सुनते ही झट वह भव्य महल उसे दान में दे दिया। ब्राह्मण के तो मानो पांव ही जमीन पर नहीं पड़ रहे थे। वह भागता हुआ अपनी पत्नी को यह समाचार सुनाने पहुंचा। इधर ब्राह्मणी उसे खाली हाथ आते देख कुछ बोलती उससे पहले ही उसने उसे हीरे-जवाहरात और मणि-मुक्ताओं से जड़े हुए महल को दान में प्राप्त करने की बात बता दी। ब्राह्मण की पत्नी की तो खुशी की सीमा न रही। उसे एकबारगी लगा मानो उसका पति पागल हो गया और यों ही अनाप-शनाप बक रहा हों, मगर उसके बार-बार कहने पर वह उसके साथ महल देखने के लिए चलने को तैयार हो गई। महल की शोभा देखकर उसकी आंखे खुली रह गईं। महल का कोना-कोना देखते-देखते कब शाम हो गई उन्हें पता ही नहीं चला। थके-मांदे वे एक शयन-कक्ष में जाकर निढाल हो गए। अर्द्ध रात्रि में उनकी आंखें किसी आवाज से खुल गई। सारे महल में महक फैली थी और सारा महल प्रकाशमान था। उन्होंने ध्यान से सुना तो लक्ष्मी बोल रही थी। वह कह रही थी कि उनके भाग्य से वह यहां आई है और उनकी कोई भी इच्छा पूरी करने को तैयार है। ब्राह्मण दम्पति का डर के मारे बुरा हाल हो गया। ब्राह्मणी तो बेहोश ही हो गई। लक्ष्मी ने तीन बार अपनी बात दुहराई। लेकिन ब्राह्मण ने कुछ नहीं मांगा तो क्रुद्ध होकर चली गई। उसके जाते ही प्रकाश तथा महक- दोनों गायब। काफी देर बाद ब्राह्मणी को होश आया तो उसने कहा- 'यह महल जरूर भुतहा है, इसलिए दान में मिला। इससे अच्छा तो हमारा टूटा-फूटा घर है जहां चैन की नींद सो सकते हैं।' ब्राह्मण को पत्नी की बात जंच गई। सहमे-सहमे बाकी रात काटकर तड़के ही उन्होंने अपना सामान समेटा और पुरानी कुटिया को लौट आए। ब्राह्मण अपने घर से सीधा राजभवन आया और विक्रमादित्य से अनुरोध करने लगा कि वे अपना महल वापस ले लें। पर दान दी गई वस्तु को वे कैसे ग्रहण कर लेते। काफी सोचने के बाद उन्होंने महल का उचित मूल्य लगाकर उसे खरीद लिया। ब्राह्मण खुशी-खुशी अपने घर लौट गया। ब्राह्मण से महल खरीदने के बाद राजा विक्रमादित्य उसमें आकर रहने लगे। वहीं अब दरबार भी लगता था। एक दिन वे सोए हुए थे तो लक्ष्मी फिर आई। जब लक्ष्मी ने उनसे कुछ भी मांगने को कहा तो वे बोले- 'आपकी कृपा से मेरे पास सब कुछ है। फिर भी आप अगर देना ही चाहती हैं तो मेरे पूरे राज्य में धन की वर्षा कर दें और मेरी प्रजा को किसी चीज की कमी न रहने दें।' सुबह उठकर उन्हें पता चला कि सारे राज्य में धन वर्षा हुई है और लोग वर्षा वाला धन राजा को सौंप देना चाहते हैं। विक्रमादित्य ने आदेश किया कि कोई भी किसी अन्य के हिस्से का धन नहीं समेटेगा और अपने हिस्से का धन अपनी सम्पत्ति मानेगा। जनता जय-जयकार कर उठी। इतना कहते ही पुतली लीलावती बोली, बोलो राजन, क्या इस कथा के बाद तुम इस सिंहासन के योग्य अपने आपको पाते हो? राजा भोज निराश हो गए और अपने कक्ष में लौट गए। अगले दिन राजा को रोका छठी पुतली रविभामा ने। ©Jitendra Kumar Som #City पांचवीं पुतली लीलावती की कहानी
DrLal Thadani
एक खुली किताब है दिल से लिखा अल्फ़ाज़ है संवेदनाओं का शिल्पकार है गीतों-नज़्मों की फुआर है सबके लिए अभिव्यक्ति है अंदाज़ है, जज़्बात है । डॉ लाल थदानी #अल्फ़ाज़_दिलसे 🎊 योरकोट को पांचवीं वर्षगांठ पर बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं..😊🙏💐🎊 💱रचना का सार..📖 के साथ Collab करें..√..√ 🔻#Rks_रचना_संग्रह_95 💫रचना को
Shravan Goud
बाते इस प्रकार करो कि सामने वाला मंत्र मुग्ध हो जाय यही पहली कला व्यापार की। दुसरी कला माल की गुणवत्ता। तीसरी कला सेवा। चौथी कला समय पर माल की आपूर्ति। पांचवीं शिकायत दुर करना। इससे आपका बाजार में कीमत बढ़ेगी। बाते इस प्रकार करो कि सामने वाला मंत्र मुग्ध हो जाय यही पहली कला व्यापार की। दुसरी कला माल की गुणवत्ता। तीसरी कला सेवा। चौथी कला समय पर माल
Unconditiona L💓ve😉
"ये उन दिनों की बात है" कुछ यादें सजा रखे है उन दिनों की जब मुझे ख़ुश होने के लिए, किसी को ख़ुश करने की ज़रूरत नहीं होती थी बस होती थी तो सच्ची वाली फ़िक्र! सुबह माँ की डाँट और शाम को किसी कूचे पे दोस्तों के साथ जिक्र! आओ ले चलू आपको, उस बचपन की यादों के धूल में जो आपको मिट्टी की तरह अपनी सोंधी खुशबू से सुकून दें जाएगी l 🌺ये उन दिनों की बात है 🌺 😃 *पहले भटूरे को फुलाने के लिये उसमें Eno डालिये .....* *फिर भटूरे से फूले पेट को पिचकाने के लिये Eno पीजिये* ज
Raveena
एक गलती... कभी कभी एक भूल ज़िन्दगी बदल देती है। लेकिन एक भूल से हमेशा नुकसान ही नहीं होती। बचपन में कि एक गलती, मेरी सोच ही बदल दी। मै पांचवीं कक्ष म
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साहस की बात साहस की है बात होती,जब एक बेटी को उसके सपनों की उड़ान भरने में सारे जहां में उसके माँ-पापा ही हैं होते जो उसका सम्पूर्ण समर्थन हैं करते,कर सके एक अच्छा मुकाम हासिल बिटिया उनकी, जब समाज सारा समाज बिटिया की कामयाबी के क्षेत्र में जाने के खिलाफ है हो जाता,तब करके बगावत सारे समाज से चट्टान से बन बिटिया के समक्ष खड़े हैं हो जाते,चुभते तीर से कम न लगते इन कटाक्षों का सारे समाज से सामना करना, एक तपस्या से कम न लगती माँ-पापा का अपनी बिटिया की कामयाबी भरे सफ़र का पथ प्रदर्शक बन जाना,तब कहीं जाकर एक बेटी है कर पाती हर एक क्षेत्र में साकार अपनी सफलता की ख़्वाहिश,जिसमें उसको कामयाब है होना होता, रमज़ान_कोरा_काग़ज़_2022 पांचवीं_रचना👉_साहस_की_बात #tarunasharma0004 #hindipoetry #trendingquotes #KKRसाहसकीबात #collabwithकोराकाग़ज़ #रमज़