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SHIVRAJ SAHRIYA
White तलाश मेरी थी और भटक रहा था वो, दिल मेरा था और धड़क रहा था वो। प्यार का ताल्लुक भी अजीब होता है, आंसू मेरे थे और सिसक रहा था वो। ©Shivraj Singh #sad_quotes भटक रहा था वो
#sad_quotes भटक रहा था वो
read moreKuldeep KumarAUE
White ज़माना सिर्फ दूसरों की खुशी देखकर जलता है अपननी खुशी देखकर सिर्फ दुखी होता है ©Kuldeep KumarAUE #sad_quotes ज़माना सिर्फ दूसरों की खुशी देखकर जलता है अपननी खुशी देखकर सिर्फ दुखी होता है #kuldeepkumaraue
#sad_quotes ज़माना सिर्फ दूसरों की खुशी देखकर जलता है अपननी खुशी देखकर सिर्फ दुखी होता है #kuldeepkumaraue
read more- Arun Aarya
White काफ़ी दिनों से उदास रहा है , भूखा दिल इश्क़ तलाश रहा है..!! - अरुन आर्या ©- Arun Aarya #love_shayari #तलाश रहा है
#love_shayari #तलाश रहा है
read more- Arun Aarya
उसको जीताने के वास्ते मैं हार रहा हूँ ज़िंदगी , महज़ मैं मयकदे में अपनी गुजार रहा हूँ ज़िंदगी ! माँ-बाप ने कभी नहीं उठाये मुझपर हाथ अपनी ,, मग़र मैं रोज ख़ुद को एक थप्पड़ मार रहा हूँ ज़िंदगी..!! - अरुन आर्या ©- Arun Aarya #AloneInCity #गुजार रहा हूँ
#AloneInCity #गुजार रहा हूँ
read moreSrinivas
एक बार जलना तक़दीर थी, दूसरी बार जलना तेरी भूल होगी। जो आग लगा चुका, वो बुझाने नहीं आएगा! ©Srinivas एक बार जलना तक़दीर थी, दूसरी बार जलना तेरी भूल होगी। जो आग लगा चुका, वो बुझाने नहीं आएगा!
एक बार जलना तक़दीर थी, दूसरी बार जलना तेरी भूल होगी। जो आग लगा चुका, वो बुझाने नहीं आएगा!
read moreranjit Kumar rathour
कितना सही कितना गलत इसका हिसाब क्या करना आज के आज़ जीना कल को क्यों मरना जो अतीत को झाकूंगा तो रोना आएगा भविष्य कि सोचूँ तो और भी डराएगा वर्तमान थोड़ा ख़ुशी देता उसे क्यों न संभालू इसीलिए आज़ मे जी रहा हुँ हा थोड़ा थोड़ा ही सही दिल ने दी इज़ाज़त तो हल्का हल्का सा जाम किसी के नाम का उसके हा उसके लबों से आहिस्ता आहिस्ता पी रहा हुँ हा पी रहा हुँ अच्छा है आज़ मे जी रहा हुँ ©ranjit Kumar rathour आज़ मे जी रहा हुँ
आज़ मे जी रहा हुँ
read moreShashi Bhushan Mishra
आज, कल, परसों पे टलता जा रहा, साईं पल-पल दिन निकलता जा रहा, तैरने वाले गये उस पार कबके, कुछ किनारे हाथ मलता जा रहा, भूलने वाले भुला बैठे अदावत, टीसने वाले को खलता जा रहा, जम गई है बर्फ़ सी संवेदनाएं, वेदना से ग़म पिघलता जा रहा, कोई बच पाया नहीं इस काल से, समय की चक्की में दलता जा रहा, संभलकर ही कर्म करना जगत में, भाग्य बनकर बीज फलता जा रहा, ज्ञान दीपक से मिटे अंधियार 'गुंजन', हृदय में सुख-शांति पलता जा रहा, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra #दिन निकलता जा रहा#
#दिन निकलता जा रहा#
read moreF M POETRY
Unsplash लोगो को लग रहा है मैं ज्ञान पढ़ रहा हुँ.. गुज़रे हुए दिनों कि दास्तान पढ़ रहा हुँ.. यूसुफ़ आर खान... ©F M POETRY #लोगों को लग रहा है....
#लोगों को लग रहा है....
read moreShashi Bhushan Mishra
दीप जलता है सदन में, अंधेरा है व्याप्त मन में, चलाता है श्वास सबका, वही रक्षक है भुवन में, प्रेम और विश्वास से ही, प्रकट होते ईश क्षण में, कर रहे गुणगान सारे, धरा से लेकर गगन में, सिंधु से जलश्रोत लेता, वही भरता नीर घन में, जागता है साथ हरपल, साथ रहता है सयन में, हृदय में है व्याप्त गुंजन, बसा ले उसको नयन में, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra #दीप जलता है सदन में#
#दीप जलता है सदन में#
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