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Sandeep Kothar
स्वच्छ भारत.. एक कदम स्वच्छता की ओर.. मेरे विचार... (०१) इस दिन को मनाने के पीछे स्वच्छता के प्रति जागरूकता फैलाना एक अहम योगदान है। यदि आपमें समझने की क्षमता है तो ही पढ़ें और अपनी प्रतिक्रिया दें। दोस्तों इस सदी में लोगों को स्वच्छता के बारे में बताया जा रहा है। क्या यह हमारे लिए आलोचना या शर्म की बात है? स्वयं निर्णय लें! हमारे पर्यावरण में फैली गंदगी कई बीमारियों का घर है। अगर हम अपने पर्यावरण को अच्छा रखें, अगर हम इसे घर की तरह समझें, तो निश्चित रूप से एनएमसी को हमें यह नहीं कहना पड़ेगा कि डेंगू से बचने के लिए घर के आसपास पानी जमा न रखें, लेकिन फिर भी हम आज इतनी भी बात नहीं समझ रहे हैं। दूसरों को अंधभक्त और खुद को भक्त कहने वाले अगर कभी अपनी आंखों से नफरत और आलोचना का चश्मा उतार दें तो आप ऐसे आयोजनों की गंभीरता को समझ पाएंगे! जिस दिन से मैंने स्वच्छ भारत मिशन में भाग लिया, आज तक मैंने अपने आसपास कभी कूड़ा नहीं फैलाया और जैसा कि मैंने देखा है, मेरा 5 साल का बेटा भी कूड़ा फेंकने से पहले कूड़ादान ढूंढता है, ये बदलाव हमें अपने अंदर और अपनी पीढ़ी में लाना है और मोदी जी के इसी प्रयास से मैं अपनी सोच में बदलाव ला पाया हूं। यदि मेरी बातों से किसी को ठेस पहुंची हो तो कृपया मुझे क्षमा करें..! संदीप कोठार ०६–१०–२०२३ ©Sandeep Kothar स्वच्छ भारत.. एक कदम स्वच्छता की ओर.. मेरे विचार... (०१) इस दिन को मनाने के पीछे स्वच्छता के प्रति जागरूकता फैलाना एक अहम योगदान है। यदि आ
Asif Hindustani Official
नफ़रतों के फ़ूल खिलाने से अच्छा है , मोहब्बत कांटों के बीच फैलाया जाए ! ©Asif Hindustani Official नफ़रतों के फ़ूल खिलाने से अच्छा है , मोहब्बत कांटों के बीच फैलाया जाए ! #phool #AsifHindustani #Nojotoimageprompt #Nojoto2liner #MithilaKaS
Devesh Dixit
शब्दों की देहलीज़ शब्दों की देहलीज़ को, करना मत तुम पार। नियंत्रित रखो शब्द को, हो जायेगा उद्धार। हृदय में होती तब पीर है, जब शब्द करें आघात। कभी चुभता तीक्ष्ण तीर है, स्थिति है अब आपात। शब्द ही ईश्वर है शब्द ही काल, समय पर छोड़ें इसकी धार। फैलाया है इसने ऐसा अब जाल, न जाने कैसा हो व्यवहार। यही है मरहम और यही तलवार, कौन जाने क्या है आसार। मन पर चढ़ गया कुछ ऐसा भार, लगा ऐसे जैसे गया मैं हार। शब्दों की देहलीज़ को, करना मत तुम पार। नियंत्रित रखो शब्द को, हो जायेगा उद्धार। ......................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #शब्दों_की_देहलीज़ #nojotohindipoetry शब्दों की देहलीज़ शब्दों की देहलीज़ को, करना मत तुम पार। नियंत्रित रखो शब्द को, हो जायेगा उद्धार।
Mahima Jain
\\ आज़ाद भारत की पहली सुबह // (पढ़े अनुशीर्षक में) दिनांक - 15 अगस्त 1947 आज सुबह हमने एक आजादी देश में सांस ली। कल आधी रात को ही आजाद भारत का एलान हो चुका था। खुशी में रात भर मुझे नींद ही न
एक इबादत
गुदडी़ के लाल (लाल बहादुर शास्त्री)..✍️ Full piece in caption.... कद छोटा परन्तु हौसला अनन्त अडिग विशाल था सूर्य सा तेज ,समुन्दर का उमड़ता भीषण तूफान था, 1964 में जब सत्ता पर वह आसित हुआ देखकर उनके शारीरिक
sanjana Bhardwaj
मेरी "वफ़ा" तेरी "बेवफ़ाई" से ऊंची निकली.. ये बाज़ार तंत्र है। हर रोज़ कुछ न कुछ झूठ फैलाया जाता है। कभी आप भी इससे प्रभावित हुए होंगे! आज इसी विषय पर एक व्यंग्य कविता लिखें। #झूठीख़बर
Abid
की वो हमसे प्यार करती थी, वो तो Dosti मे हमसे आँखे चार करती थी ये बाज़ार तंत्र है। हर रोज़ कुछ न कुछ झूठ फैलाया जाता है। कभी आप भी इससे प्रभावित हुए होंगे! आज इसी विषय पर एक व्यंग्य कविता लिखें। #झूठीख़बर
Krish Vj
चुन-चुन कर कलियां लाए है, घर आँगन सजाएँ है कमल, गुलाब चम्पा और चमेली सब खुशबू लाए है अवसर है पावन, अवतरण दिवस सखी का आया है खुशी और मस्ती आयी है, सूर्य ने उजाला फैलाया है माँ की लाड़ली, पिता की दुलारी, सखियों की प्यारी मन चंचल, नटखट अदाएं है, मासूम शरारतें प्यारी कामयाबी का द्वार सजाये है, उन्नति को भी लाए है सपनों को मंज़िल से मिलने की 'दुआ' कर आए है उपहार नहीं, "जज़्बात" है, महके तू और परिवार है अवतरण दिवस यह खास हो "माँ' का आशीर्वाद हो Dedicating a #testimonial to Dr.GARGI GUPTA😇 चुन-चुन कर कलियां लाए है, घर आँगन सजाएँ है कमल, गुलाब चम्पा और चमेली सब खुशबू लाए है अवसर
thvachl ;
ये कैसा रिश्ता रंगो से.......................................................◇.— % & रिश्ता गहरा जबतक उसका लाल रंग से था , उसकी ज़िंदगी में महत्व तबतक हर रंग का था .. त्यौहारों की रौनक जहा उसकी मुस्कान से थी , घर-आंगन में भी
Durgesh Tiwari Payesh
कि वह हमसे नाराज है 😅😅😅😉😉😉😂😂😂😂😙😙😙 ये बाज़ार तंत्र है। हर रोज़ कुछ न कुछ झूठ फैलाया जाता है। कभी आप भी इससे प्रभावित हुए होंगे! आज इसी विषय पर एक व्यंग्य कविता लिखें। #झूठीख़बर