Nojoto: Largest Storytelling Platform

New इब्तदा Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about इब्तदा from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, इब्तदा.

    PopularLatestVideo

Sk Sarafat Ali

नफ़्स, ईबादत, रहमत बाक़ी: eternal नफ्स: soul मादियत: materialistic इब्तदाई: initially

read more
जब अपने क़ल्ब उस बाक़ी से जुड जायेंगे, 
तब आप ख़ुद अपनी नफ़्स पे काबू पायेंगे;
सिर्फ अहद की ज़िक्र होगी हमेशा इन लबोँ पे,
सारी मादियत ख़्वाहिशें दिल से छूट जायेंगी;
इब्तिदाई ये कोशिशेँ थोड़ी मुश्किल लगेंगी जरुर,
पर तहजीब से करोगे तो रहमत बरसेंगे उसकी बा-दस्तूर।

 नफ़्स, ईबादत, रहमत 
बाक़ी: eternal 
नफ्स: soul
मादियत: materialistic 
इब्तदाई: initially

Raj Shekhar Kumar

#ग़ज़ल#हिंदी *जानिब-की ओर *इब्तदा-शुरुआत,beginning *हबीब-प्रिय,dear *एहतराम-respect,आदर

read more
मैंने किया हैं हर काम,काम समझके
पिया लब सनम का ,जाम समझके

उस हूर की ख़ातिर,उसकी नूर की ख़ातिर
किया इबादत अल्लाह का,राम समझके

इंतज़ार,हिज़्र,जफ़ा, रुस्बाई
जो मिला उनसे,रख लिया,इनाम समझके

क्या करते वो भी,संग मेरे हबीब को देख
झुका कर सर गुजर गए,एहतराम समझके

किसी मंजिल की जानिब निगाहें थी,पर
रुके पैर कूचे में उसके,मक़ाम समझके

कैसा प्यार था,कैसा यार था जिसपे मर के
अपनी वफ़ा देखते हैं,इल्ज़ाम समझके

इब्तदा से ये आलम हैं,वजूद तुझसे कायम हैं
मैं गज़ले लिखता हूँ तेरा,नाम समझके #ग़ज़ल#हिंदी
*जानिब-की ओर
*इब्तदा-शुरुआत,beginning
*हबीब-प्रिय,dear
*एहतराम-respect,आदर

Bhushan

उफुक - क्षितिज इब्तदा - शुरुआत इन्तेहा - अंत रबाब- एक तरह की सारंगी। लेखक - राजेश रेड्डी। #laidback #शायरी

read more
mute video

Anita Saini

इब्तदा ए इश्क़ में ना पूछिए हुज़ूर आलम दिल की तलबगारी का! बेचैन हुए रहते हैं मिलकर भी उनसे बयाँ न हो पाएगा हश्र अपनी बेक़रारी का! गुमाँ था ह #Poetry #Love #English #Feeling #Good #Hindi #poem #लव #8LinePoet

read more
इब्तदा ए इश्क़ में ना पूछिए हुज़ूर
आलम दिल की तलबगारी का!

बेचैन हुए रहते हैं मिलकर भी उनसे
बयाँ न हो पाएगा  हश्र अपनी बेक़रारी का!

गुमाँ था हमें कि कभी कम ना होगी अना
परचम लहराएगा सदा हमारी ख़ुद्दारी का!

और अब हाल ये है कि बात न हो तो
मौका ढूँढते है उस बुत की ताबेदारी का!

©Anita saini इब्तदा ए इश्क़ में ना पूछिए हुज़ूर
आलम दिल की तलबगारी का!

बेचैन हुए रहते हैं मिलकर भी उनसे
बयाँ न हो पाएगा  हश्र अपनी बेक़रारी का!

गुमाँ था ह
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile