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Parasram Arora
सैकड़ो जन्मजन्मातरो का मानसिक मलबा उलीचने का वही सही वक़्त था ज़ब मेरे दामित आवेगो. का ज्वालामुखी फूट पड़ा था और मेरी सख्त संवेदनाये पिघल कस्र लावे की शक्ल में बाहर बहने लगी थीं कदाचित यही उचित समय भी था कि मेरा ज़नाज़ा उठने से पहले तृप्ति के सरोवर में डुबकी लगाने का मै ये अवसर व्यर्थ न जाने दू ©Parasram Arora मानसिक मलबा
Parasram Arora
मनमे इतना मलबा भरा पडा है तो वातायन दूषित होगा ही हवा और रौशनी के लिये मन की बंद खिड़किया तो खोलनी पड़ेगी अच्छे दिनों की आस करते रहने से अच्छे दिन नही आएंगे अच्छे दिन लाने के लिये सोच की दिशा तुम्हे बदलनी पड़ेगी किसी भी नए काम को आरम्भ करना और उसमे सफल होना इनता आसान तो नही है इस नए सफऱ के लिये कुछ मशवरे कुछ तज़ुरबों की भी जरूरत पड़ती है ©Parasram Arora मन मे मलबा..... #Ocean
Tireless Soul
यूं तो हम भी ढूंढ़ लेते मंजिल नयी मोहब्बत की, तुमने यादों का मलबा जो मेरे दिल के आंगन से हटाया होता ©Tireless Soul #यादों का मलबा
अरफ़ान भोपाली
क़दम अंदाज़े से ही रखना हमारी मसनद तक तुम हमारे कमरे में अंधेरों का मलबा बिखरा पड़ा है ©अरफ़ान भोपाली #क़दम #अंदाज़ा #मलबा #poetry #poem #indianwriters #Life_experience #Nojoto #nojotowriters #writersofinstagram
ILYAS KHAN
अख़बार जरा सा ध्यान क्या भटका हमारा// हम ही पर गिर गया मलबा हमारा// इलियास खान जरा सा ध्यान क्या भटका हमारा// हम ही पर गिर गया मलबा हमारा//
साहिर उव़ैस sahir uvaish
तुम इस ख़राबे में चार छे दिन टहल गई हो सो ऐन-मुमकिन है दिल की हालत बदल गई हो तमाम दिन इस दुआ में कटता है कुछ दिनों से मैं जाऊँ कमरे में तो उदासी निकल गई हो किसी के आने पे ऐसे हलचल हुई है मुझ में ख़मोश जंगल में जैसे बंदूक़ चल गई हो ये न हो गर मैं हिलूँ तो गिरने लगे बुरादा दुखों की दीमक बदन की लकड़ी निगल गई हो ये छोटे छोटे कई हवादिस जो हो रहे हैं किसी के सर से बड़ी मुसीबत न टल गई हो हमारा मलबा हमारे क़दमों में आ गिरा है प्लेट में जैसे मोम-बत्ती पिघल गई हो उमैर नजमी ©साहिर उव़ैस sahir uvaish #adventure हमारा मलबा हमारे क़दमों में आ गिरा है प्लेट में जैसे मोम-बत्ती पिघल गई हो#उमैर_नजमी
feelings365
"यादों का मलबा" अब उस जगह #यादों का मलबा ही तो है.....जिस जगह #इश्क़ ने बुनियादें मकाँ रखी थी..!! ฮหδฮฮż-ĕ-şђฮγฮѓเ/£ỡυĕ & ĕmỡτเỡหş #hindipo
Uttam Dixit
वो तेरे घर भी है, वो मेरे घर भी है, हर एक मलबे में, कुछ जेवर भी है, रात भर है भटकता, चांदनी के लिये, बस ये आशिक़ नहीं, चाँद बेघर भी है..!! फिर से चाँद पर लिखने की एक कोशिश......✍💕 मुक्कमल करना आपका कम है.... #udquotes #udshayari #चाँद #मलबा #आशिक़