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komal Gupta
सुख और दुख तकदीर के लिखे होते हैं। यह दोनों गरीबी अमीरी से नहीं मिलते हैं। रोने वाले महलों में भी रोते हैं। झोपड़े में भी हंसते हैं। किस्मत का लिखा कोई नहीं मिटा सकता। ©komal Gupta #Remember सुख दुख तो भाई
पूर्वार्थ
White सुख-दुःख की कशमकश में जीवन सुख का आनंद, दुःख का समाधान,जीवन है इन दोनों का ही तालमेल, मिलकर ये बुनते हैं जीवन का तारतमाल। सुख के क्षण हैं मधुर इत्र की बूंदजो महकाते हैं मन को, करते हैं ह्रदय को मस्त। दुःख के क्षण हैं कड़वे आंसू की बूंदजो धोते हैं आँखों को, करते हैं मन को पवित्र। सुख में खिलते हैं होंठों पर मुस्कानदुःख में भर आते हैं आँखों में आंसू। सुख में नाचते हैं पैर खुशी के ताल पर दुःख में थम जाते हैं कदम निराशा के जाल में। लेकिन क्या सुख के बिना जीवन है सार्थक?क्या दुःख के बिना जीवन है सुखद?नहीं! दोनों ही हैं जीवन के दो पहलूएक दूसरे के पूरक हैं, एक दूसरे के साथी। सुख हमें सिखाता है जीवन का आनंद लेना दुःख हमें समझाता है जीवन का मूल्य। सुख हमें भर देता है उत्साह से दुःख हमें देता है धीरज और सब्र। इसलिए ना खोएं हिम्मत जब आए दुःख के पलक्योंकि ये भी हैं जीवन का एक अंग। और ना भूलें जब आए सुख के पलक्योंकि ये भी हैं जीवन का एक वरदान। जीवन है सुख-दुःख की कशमकशजिसमें जीत उसी की होती है जो इन दोनों को स्वीकार करता है और जीवन को जीता है पूरी शक्ति से ©पूर्वार्थ #सुख #दुख
NK Nagpure
जिंदगी मे इस कदर दुख मिला मुझे.... की मै हस भी नहीं पाया ज़ब सुख मिला मुझे ©NK Nagpure दुख - सुख
Parasram Arora
सुख दुख हमारे दो कंधे हैं और कर्ता का भाव हमारी अर्थी हम बदलते रहते हैं कंधे और जुड़ जाते हैं कभी सुख के साथ कभी दुख के साथ ©Parasram Arora दुख सुख
Parasram Arora
ज़ो खुद दुखी है वो किसी और का दुख अपनी झोली में क्यों डालेगा दुखी आदमी किसी और का दुख दर्द समझता कहाँ है इस जहाँ में वही खुश किस्मत है जिसे थोड़ा सुख मिल गया हो सच तो यह है कि इस दुनिया में सच्चा सुख मिलता कहाँ है इस जहाँ में न कोई पूरा सुखी हो पाया न कभी पूरा दुखी जिसे न पूरा सुख मिला हो न पूरा दुख ऐसा आदमी इस दुनिया में मिलता कहाँ है ज़ो भी दिखता है यहां उसने मुखोटा लगा कर असली चेहरा छुपा रखा है वो हँसता भी है तो नकली हंसी.. . असली हंसी उसकी न जाने रहती कहाँ है ©Parasram Arora दुख सुख
Parasram Arora
वह भूल ये हो रही है क़ि हम दुख को अस्वीकार करके सुख को खोज लेना चाहते हैजबकि सुख दुख का ही दूसरा रूप है यानि हम जन्म खोज रहे हैँ और हम मरने से इंकार कर रहे हैँ या यूं कहें क़ि हम जवानी बरकरार रखना चाह रहे हैँ और बूढ़ा होने से आँख चुरा रहे हैँ सुखी और दुखी होना हमारी आकांक्षाओं क़े आरोपण से तय होता है ©Parasram Arora #सुख दुख....