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Stories related to शिक्रापूर पोलीस स्टेशन

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Dnyanesh Gutte

महाराष्ट्र पोलीस

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पूनम शशिकला देवीदासराव कुलकर्णी

काही लोक द्वेष करत तर काही लोक भ्रष्ट्र म्हणून मोकळी व्हायची,
खर सांगतो लोकहो तुमच्यासाठी लढायचो आम्ही भावना कधीच दृष्ट नसायची..
तुम्हाला मारताना आम्हालाही व्हायचा त्रास,
आम्ही ते करायचो जिवंत ठेवण्यासाठी तुमचा श्वास...
आम्हालाही कुटुंब आहे तरीही फिरतो वणवण,
कारण आम्ही जीवन देशाला केलय अर्पण...
आम्ही लढत राहतो अन आमचा कधी जीवही जातो,
बापाशिवाय जगण्याचं सामर्थ्य आमच्या लेकरासी देऊन जातो...
खर सांगते लोकहो पोलीस होणं जीवन मरणाचा खेळ असतो,
कधी काय होईल याचा काही मेळ नसतो... 
✍️पुनम शशिकला देवीदासराव कुलकर्णी
(13/06/2020) #पोलीस 
#nojotomarathi

somnath gawade

विशेषतः पोलीस खात्यासाठी

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 अधिकारी मित्रांनो,
 पदाबरोबर येणारा
अहंकार 'कुरवाळत'
 बसाल तर तुमच्या
नात्यांमधील ओलावा
 कधी 'वाळत'जाईल
हे कळणार सुद्धा नाही. विशेषतः पोलीस खात्यासाठी

Swapnil Parab

गोवा क्रांती दिनाच्या पार्श्वभूमीवर कोलवाळ येथे नवीन पोलीस स्टेशन चे उद्घाटन मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत यांच्या हस्ते झाले #News #Goa

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Lata Sharma सखी

जिंदगी गुजरती है कई सारे स्टेशनों से,
कुछ में हम ठहरते हैं कुछ हममें ठहर जाते हैं,

सुनो! तुम मेरा ऐसा ही कोई स्टेशन हो,
जिसमें मैं जरा ठहरी तो वो मुझमें ठहर गया।

©सखी

©Lata Sharma सखी #स्टेशन

Nidhi Pant

लंबे अरसे से घर में रहते हुए जब अचानक बाहर निकलो तो लगता है दुनिया कितनी आगे निकल चुकी है। और हम वहीं के वहीं हैं। पर सच तो ये है कि जो दुनिया हम  देख रहे हैं वो भी घर के अंदर जाने का ही इंतज़ार कर रही होती है।अंदर होते हैं तो बाहर जाने के बारे में सोचकर बाहर निकल आते हैं और बाहर से अंदर जाने की राह देखते रहते हैं। घर को हम सबने एक स्टेशन  मान लिया है, जो आने और जाने के बीच एक सुस्ताने भर की जगह है। कभी अगर शहर बदल लिया तो  स्टेशन भी बदल जाता है।दूसरी जगह जाकर भी वो घर  नहीं बन पाता।उसी तरह दुनिया वहीं की वहीं है बस चेहरे नए हैं। हम भी वहीं हैं और दुनिया भी।😊 #स्टेशन

Neelam bhola

स्टेशन

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बचपन,जवानी,बुढ़ापा
जैसे स्टेशन हो कोई,
रेलवे स्टेशन!!
या रेलवे स्टेशन में सिमट आये हो ये दौर जिंदगी के,

सुबह का स्टेशन मानो
नन्हा बच्चा हो कोई,
कभी शांत,कभी चाय चाय की किलकारी
सा गूंजता,
सौंधी सी खुशबु लिये,
बच्चे कि हँसी सा,
कभी खिलखिलाता,कभी चुपचाप स्टेशन,

बचपन का सा स्टेशन,हल्के से आँख मूँदता-खोलता सा दिखता है,
न आने-जाने की होड़ कहीं,
आदमी ना भागता सा,ज़रा रुका सा दिखता है,

दोपहर होते होते स्टेशन पे भीड़ बढ़ती जाती है,
जवानी की ही तरह जिम्मेदारी 
हर तरफ नज़र आती है,
कहीं कूली,कहीं चाय,कहीं लोगों का सामान,
जवानी का पहर है,
ये है मुश्किल,है नही आसान,

चारों तरफ रिश्तों और जिम्मेदारियों की तरह लोग नज़र आते है,
ना जाने कहाँ जाते है,कहाँ से लौट के आते हैं,
कुछ न आने के लिये वापिस,
कुछ न जाने के लिये आते है,

जवानी भी कुछ इसी तरह के पहलुओं को समेटें है,
कहीं खड़े हैं लोग,कहीं बेबस से लैटे हैं,

बुढ़ापे की तरह ही ढलती है 
हर एक शाम स्टेशन पर,
कुछ लोगों के लिये खास,
कुछ लोगों के लिये आम स्टेशन पर,
बुढ़ापे की तन्हाई  की तरह,
स्टेशन की शाम भी तन्हा होती जाती है,
स्टेशन पे अब गाड़ी भी कुछ कम ही आती हैं,

न कूली,न चाय न साजो-सामान होता  है,
बुढ़ापे की ही तरह तन्हा स्टेशन,
हर रोज़ आम होता है।।।।

©Neelam bhola स्टेशन

Darsh Verman

स्टेशन

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स्टेशन सी हो गई है जिंदगी

जहाँ लोग तो बहुत हैं
      पर अपना कोई नहीं 💔 स्टेशन

Shantilal Kamble.

पोलीस. - कवी शांतीलाल कांबळे. #poem

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Mairi AawaZ Suno

#पोलीस पर शर्म आती है

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शरीफों की शराफत से डर नहीं लगता साहब 
अब तो पोलिस से डर लगता है

अब जब भी खिड़की दरवाजों पर दस्तक होती है
चोर उचक्के गुंडों से नहीं साहब पोलिस से डर लगता है

अब आलम यह है जब भी गुजरता हो रास्तों से
कोई पत्थर आ जाए पैरों में
तो दंगाइयों से नहीं साहब पुलिस से डर लगता है

जिन्हें मुल्क की हिफाज़त के लिए रखा है
उन्हीं ने हमारे घरों को लूटा है साहब

खाई है रिश्वत बे हिसाब
और गरीब मासूम मजलूमों को पीटा है साहब

यही वक्त था तुम्हारे पास 
अपने किरदार को बदल देते साहब

इंसानियत जिंदा है अभ्भि दिलों में तुम्हारे
ये मुल्क को बता देते साहब

पर किया ना तुम ने अब भी ऐसा
ना बुढ़े ना बच्चे देखें ना मां बहनों को देखा साहब

हाथों को तोड़ा पैरों को तोड़ा किसी का तुमने सर है फोड़ा
हद कर दी तुमने तो देखो किसी को जान से ही धोडाला साहब

ना कहेना था ये सब मुझको पर हद कर डाली तुमने तो साहब
पर अब कहना पड़ता है मुझको शर्म बड़ी आती है साहब

अब बड़ी शर्म आती है बड़ी शर्म आती है
मैं अपनी हिफाज़त के लिए किसके पास जाऊं साहब
अब तो पुलिस ही जुल्म ढाती है

जो बिक चुकी चंद सिक्कों में साहब
ऐसी पुलिस पे शर्म आती है

जो संविधान की बात ना करती जो संविधान से कामना करती

                  उस पुलिस पे शर्म आती है उस पुलिस पे शर्म आती है।               
 
 ( खान रिज़वान ) #पोलीस पर शर्म आती है
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