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Anindya Dey
..ये मिसरा मकां यूं महज़ मुकर्रर न हुआ होगा, सुबह सा उल्फ़त की तलाश को अता हुआ होगा..! .. खुशामदीद..💞 .. माने, हाथों हाथ कुछ न मिला, जो जो मिला वो आस तलाश तरस को मिला..!
Lokesh Mishra
खुशियां अमीर गरीब देखकर नही आती, नही तो खरीद लेते लोग,हाथों हाथ ये बिक जाती, जो है जैसे है,बस उसको ही संजो लो, खुद को खुश रखने का, कोई बहाना ढूंढ लो, खुशियां अमीर गरीब देखकर नही आती, नही तो खरीद लेते लोग,हाथों हाथ ये बिक जाती,✍️✍️❤️
Technocrat Sanam
शीर्षक - "सबका कटेगा.." (आख़िर तक पढ़े मजा न आए तो like वापस.. 😇) तुम ग़रीब हो न? इतना ही काफ़ी है यहां सिर्फ़ भद्रजनो को ही माफ़ी है बता तेरे 'आगे-पीछे' कौन है भैय्या.. कौन किससे कहेगा- "नाइंसाफी है" तुम जान लो बात ये बिल्कुल सीधी- तुम्हारा कलेजा तो फट के कटेगा.. तुम में आख़िर जान ही कितनी, देखते जाओ कितना झट से कटेगा.. मेरा देश बदल रहा है, सबका कटेगा। जो ये सोच रहे के अपने 'सगे-संबंधी' हैं 'कुछ कौमें' तो देश में बिल्कुल ही अंधी हैं अमीरों के बाजार में भाव क्या - भावों का? जहां इंसानी जज़्बातों की सामाजिक मन्दी है, जो समझ रहे हैं ख़ुद को क़रीबी.. रुको उनका थोड़ा हटके कटेगा, मेरा देश बदल रहा है सबका कटेगा। कहीं किसी बाबू का शोना से तो कहीं किसी शोना का बाबू से किसी का हाथों-हाथ रे भैय्या तो किसी का रिश्तों के तराजू से किसी का फोकट में शक से कटेगा तो किसी का बड़े ही हक से कटेगा मेरा देश बदल रहा है सबका कटेगा। सबका कटेगा.. ©technocrat_sanam शीर्षक - "सबका कटेगा.." 😇 😅 😂 (आख़िर तक पढ़े मजा न आए तो like वापस.. 😇) तुम ग़रीब हो न? इतना ही काफ़ी है यहां सिर्फ़ भद्रजनो को ही माफ़ी ह
ANIL KUMAR
#Nojotovoice तेरी जिंदगी की दौड़ में,क्या तुम्हें तालीमें मिलीं; नसीहतों के साथ मे कभी चाहतें भी खिलीं। जिंदगी की राह में दर-दर भटके कभी-कभी
ANIL KUMAR
रजनीश "स्वच्छंद"
जो बोया वही तो काट रहा।। क्या खोया क्या पाया मैंने, जो बोया वही तो काट रहा। क्या था संचित जीवन मे मेरे, जो बैठ आज मैं बांट रहा। निजसुख के एक लालच में, रिश्तों की होली जलाई थी। अर्थ-मुग्ध इस दुनिया मे, अपनी ही बोली लगाई थी। कहाँ ख़बर और कब ये पता था, क्या बोली लगी, किस भाव बिका। बस हाथों हाथ रहा बदलता, किस बाजार गिरा, किस ठाँव टिका। रिश्तों के पुराने ज़ख्म वही, हूँ बैठ आज मैं चाट रहा। क्या खोया क्या पाया मैंने, जो बोया वही तो काट रहा। पतझड़ का मौसम कब बदला, कब इन बागों में बहार रही। हाथों में बस मेहंदी रचती रही, दुल्हन-डोली बिना कहार रही। कुसुम कली ने लिया जन्म कब, गर्भ से ही चीत्कार रही। कुछ पल्लव ऐसे भी होते, अर्ज़ी जिनकी अस्वीकार रही। दोनों ध्रुवों की ये खाई चौड़ी, पकड़ कलम मैं पाट रहा। क्या खोया क्या पाया मैंने, जो बोया वही तो काट रहा। दर्द का भी दो पत्थर ले, मैं घीस उनको आग लगाऊंगा। पकड़ सभी के सूक्ष्म नशों को, दे टीस उनको आज जगाऊंगा। हकदार रहे वो भी पापों के, जो तान के चादर सोये हैं। दोष रहेगा उनका भी, निज को, जो मान के कातर रोये हैं। कुछ तो धृत अब निकलेगा, जो मैं छाली को घांट रहा। क्या खोया क्या पाया मैंने, जो बोया वही तो काट रहा। ©रजनीश "स्वछंद" जो बोया वही तो काट रहा।। क्या खोया क्या पाया मैंने, जो बोया वही तो काट रहा। क्या था संचित जीवन मे मेरे, जो बैठ आज मैं बांट रहा। निजसुख के
Shankarsingh rajput
OMG INDIA WORLD
Contd...... Story Do'nt Miss ©OMG INDIA WORLD #OMGINDIAWORLD 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 50 वर्ष से अधिक उम्र वाले इस पोस्ट को सावधानी पूर्वक पढें, क्योंकि यह उनके आने वाले जीवन के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्
अज्ञात
पेज-30 आज मानक के घर अलग ही रौनक दिख रही है.. घर पर बच्चों की खिलखिलाती मुस्कान.. सबके चेहरे खिले हुये... आज लड़कीवाले देखने आ रहे हैं... भगवान ने चाहा और रिश्ता पक्का हो गया तो इस कालोनी में पहली शादी की धूम धाम होगी कितना हर्ष उल्लास होगा... सबके मन में उमंग और मानक की शादी के ख़्वाब, शॉपिंग की लिस्ट.. सब कुछ मन मस्तिष्क में अपना असर छोड़ने लगा...! मेहमानों के आने के पहले ही मानक की बहन प्राजक्ता और पारिजात अपने भाई के घर मदद करने पहुंच चुकी थी.. धीरे से चंद्रमुखी बहन भी आ पहुंची जिनकी खुशी का ठिकाना ही ना था.... अभी बात पक्की भी नहीं हुई मगर यहाँ मानक के पिता जी से पूरी योजनाओं का विस्तार से वर्णन होने लगा.. हम ऐसा करेंगे हम वैसा करेंगे... आप तो बस देखते जाना पापा जी... और मम्मी आप.. आपको कोई भी काम करने की जरूरत नहीं दूल्हे राजा की सारी बहनें मिलकर सब काम हाथों हाथ कर लेंगी.. तभी पीछे से प्राजक्ता ने आवाज़ दी-फिलहाल थोड़ी मदद हमारी भी कर दो दीदी... चंद्रमुखी जी-जे लो इनको अभी से फफोले पड़ने लगे जरा सी बात क्या की इनको लगने लगा हमें तो कोई पूछ ही नहीं रहा है... अरे बहना तुम्हें भी अवसर मिलेगा... जरा हमें रुपरेखा तो बनाने दो..तभी पारिजात ने कहा-कुछ कुछ मशविरा हमसे भी ले लेना दी.., छोटे हैं पर मानक भाईसा पर हम भी उतना ही हक़ रखते हैं जितना आप.. इतने में प्राजक्ता बोल पड़ी-अरे अभी बात पक्की तो होने दो... अभी दिल्ली दूर है...! इनकी आँखों में अभी से नूर है...! यहाँ आओ वरना पापाजी.. के कानो से..! चंद्रमुखी जी- देखा पापा जी कैसे मिर्ची लग रही है इन दोनों को... और इसे अकेले नहीं कई होंगे आप तो किसी की सुनना ही नहीं... आप तो बस मेरे हिसाब से सब काम करना बस.. ये सब ना आगे आगे होंगी कुछ भी करने को.. आप तो इन्हें इतना कह देना मेरी चंद्रमुखी बिटिया से बात हो गई है.. सबको मेरे पास ही भेजना... प्राजक्ता-हाँ हाँ भेज देंगे तुम्हीं संभाल लेना सारा काम...! हमें तो नाच गाने से ही फुरसत ना मिलेगी... चंद्रमुखी जी-(🤔हाय हाय..प्लान चेंज )- क्यूँ रे नाच गाना मेरे बगैर....हो ही नहीं सकता..! पापा जी आप ना अपने हिसाब से निर्णय लीजिये.. मुझे क्या है..😔..मैं तो मारे खुशी के यूँ ही कह रही हूं मुझसे कहां इतना सब सम्भल पायेगा.. पापा जी...ओ पापा जी...! प्राजक्ता- बहुत देर से सुन रहे थे ना तो नींद आ गई होगी उन्हें.. अब माता जी को और देख लो..!अगर थक गये बताते बताते तो जरा कुछ काम धाम कर लें.. मेहमान आते ही होंगे...! कुछ देर तीनों की मीठी नोंक झोंक के बीच ही बाहर से बच्चों से आवाज़ दी मेहमान आ गये..मेहमान आ गये..! बच्चों की आवाज़ सुनते ही पिता जी उठ गये..! मगर बच्चों ने कहा वो गाड़ी तो रुकी ही नहीं..! अब नटखट बच्चों को क्या पता मेहमान कब और काहे में आने वाले हैं.. लेकिन उसी क्षण करीब दोपहर तीन बजे.. लड़कीवाले मानक के घर पहुंचे...! खुले हृदय से मेहमानों का स्वागत हुआ...! मानक के घर में बहनों का ताँता लगता चला.. सामने मेहमान बैठे थे इसलिये पिछले दरवाज़े से किचिन और किचिन से बैठक रूम के पर्दे से नज़ारा देखा जा रहा था, पिछले दोनों कमरे ठसाठस भर चुके थे.. बहनों में कोई नाश्ते की ट्रे सजा रहा है..कोई गिलासों में पानी भर रहा है कोई फल काटकर सजा रहा है..! कैसी उमंग है यहाँ.. ! कितना उत्साह है सबमें..! कथाकार दृश्य देखता है और आगे का हाल बताता है- सामने कमरे में बड़े बुजुर्गों के साथ विशाल जी यशपाल जी संगत दे रहे हैं.... कथाकार इस दृश्य को पलकों पर रखता हुआ आगे बढ़ रहा है... आगे पेज-31 ©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी पेज-30 आज मानक के घर अलग ही रौनक दिख रही है.. घर पर बच्चों की खिलखिलाती मुस्कान.. सबके चेहरे खिले हुये... आज लड़कीवाले देखने
entertainment intertenment&intertenment
हक़ीक़त कौन जाने🙂 (आज के कैप्शन में) बहुत पुरानी बात है शायद!पर आज भी जिंदा है. आज से 30 साल पहले, 2 अक्टूबर 1990 को रेखा के पति मुकेश की आत्महत्या से मृत्यु हो गई... मुकेश के