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Kanav Kumar
हरी हरी वसुंधरा नीला नीला ये गगन जिस पे बादलों की पालकी उड़ा रहा पवन दिशाएं देखो रंग भरी चमक रही उमंग भरी ये किसने फूल फूल पे किया श्रृंगार है ..ये कौन चित्रकार है चित्रकार
Aनुभा
हर रंग खुश नुमा है,ये कौन चमत्कार है।धरती को किसने रचा,ये कौन चित्र कार है। चित्रकार...
अज्ञात
कलम की धुरी से रेखाओं को मिलाते हुये वो मुक्तहस्त महारत अक्श मेरा बनाता है.... कभी श्वेतपटल पर कभी अंतःकरण पर निमग्न होकर .. नयन नक्श उकेरता हुआ कुछ सोचता हुआ बढ़ते जाता है.. चित्त की छवि को स्व-भावों के सादृश में पटल पर गढ़ते जाता है.... कभी रुकता, क्षुब्ध होता मन टटोल त्रुटियां सुधारकर फिर कोई गीत गुनगुनाता है.... कभी केश कर्ण भृकुटि बनाते हुये लबों पे कलम दबाता है.... रेखाओं को रेखाओं से मिलाते हुए.... स्याह फैलाते हुये.... श्वेत श्याम रंग रंग जाता है... इस तरह वो धीर गंभीर रचियेता निज लक्ष्य की ओर बढ़ते चला जाता है.. वो शब्दकार होकर भी चित्रकार बन जाता है.... कलम की ताकत से चित्र विचित्र गढ़ जाता है... ©अज्ञात #चित्रकार
Sunil Kumar Maurya Bekhud
दूर करता है जो धरती अंधेरा आते ही उसके होता है सबेरा ख्वाबों में सजा करके उसको हूबहू तस्वीर बनाया है चितेरा अपना सर्वस्व लुटाया इसमे हुनर जो आज दिखाया उसने दूर रहता जो सामने करके आज प्रत्यक्ष दिखाया उसने नहीं शब्दों में बयां हो सकती वाह क्या खूब है उकेरा जनता है वो कला जीने की उसको पहचान है नगीने की कोई कीमत न चाहता है वो अपने बहते हुए पसीने की देख दंग रह रंग होते हैं ऐसा जादू है वो बिखेरा ©Sunil Kumar Maurya Bekhud # चित्रकार
Eron (Neha Sharma)
चित्रकार ●●●●● इस पेपर पर कलम से आ एक तस्वीर तेरी उतारूँ। कलम से छूकर तेरी काया एक एक अंग उभारुं। मेरी नजर से न बच पाए। ऐसे तुझको कुछ यूं पुकारूँ। बोलते लब बोलती आंखों को। आज मैं पल पल निहारूँ। खिंचती आड़ी टेढ़ी लकीरों में तेरे अस्तित्व को यूँ उभारुं। इस पेपर पर कलम से आ एक तस्वीर तेरी उतारूँ। - नेहा शर्मा #NojotoQuote चित्रकार