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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मैं तो जीवन से हूँ हारा , ढूढे़ से न मिलता किनारा । लुढ़क रहा हूँ लोटे जैसा , कोई भी न होता सहारा ।। मैं तो जीवन से हूँ हारा .... कितने अच्छे दिन बचपन के , खेला कूदा खाया सोया । जो चाहा वो पा लेता था , बेशक थोड़ा सा था रोया ।। लेकिन इस पन में है देखा, कर लेते हैं सभी किनारा । मैं तो जीवन से हूँ हारा ... रिश्तों में भी प्रेम बसाया , बहुत जगत में नाम कमाया । टूटी पतंग तो देखा हमने , इसी धूल ने मुझे उठाया ।। चलो पढ़े रामायण गीता , वह ही सबको पार उतारा । मैं तो जीवन से हूँ हारा ..... जब तक कर्म बुरे था करता , हर पल हर दम सब था चोखा । तब जितना हमने सोचा था , आँख खुली तो सब था धोखा ।। वह भी न देते है सहारा , जिनको था प्राणों से प्यारा ।। मैं तो जीवन से हूँ हारा .... मैं तो जीवन से हूँ हारा , ढूढ़े से न मिलता किनारा । लुढ़क रहा हूँ लोटे जैसा , कोई भी न होता सहारा ।। ०९/१२/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मैं तो जीवन से हूँ हारा , ढूढे़ से न मिलता किनारा । लुढ़क रहा हूँ लोटे जैसा , कोई भी न होता सहारा ।। मैं तो जीवन से हूँ हारा .... कितने
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ram lala ayodhya mandir 🚩जय श्री राम🚩 राम-राम सब जपते रहना , सुनो यही हनुमत का कहना । कलयुग की माया से बचना , राम-नाम की मिश्री चखना ।। जब से रघुपति अवध पधारे , देख अवध में हैं उँजियारे ।। हम सब रघुपति आप सहारे , होय कष्ट तो आप पुकारे ।। रामचंद्र भगवान हमारे , भव से सबको पार उतारे । जिनकी अब तक राह निहारे , आय गये वो पालन हारे ।। मन में उनकी प्रतिमा रखना , समय-समय पर तकते रहना । उनकी मार्यादा को रखना , आदर्शों पर उनके चलना ।। सत्य सनातन धर्म हमारा , एक यही है आज सहारा । कर लो तुम ही आप किनारा , हमको तो प्राणों से प्यारा ।। थाम इसी की उँगली चलना , राम-राम नित भजते रहना । इज अवध हमको है जाना , यही हृदय ने मेरे ठाना ।। २०/०१/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR *🚩जय श्री राम🚩* राम-राम सब जपते रहना , सुनो यही हनुमत का कहना । कलयुग की माया से बचना , राम-नाम की मिश्री चखना ।। जब से रघुपति अवध पधारे ,
सविता सिंह राजपूत
//कविता// अनुशीर्षक में देखो कविता बात सुनो तुम ही तो एक सहेली हो मैं अंदर से घुट बैठी हूं तुम मुखमंडल पर खेली हो याद तुम्हारी आई है फिर दिल का हाल सुनाने को म
सविता सिंह राजपूत
//कविता// अनुशीर्षक में पढ़ें देखो कविता बात सुनो तुम ही तो एक सहेली हो मैं अंदर से घुट बैठी हूं तुम मुखमंडल पर खेली हो याद तुम्हारी आई है फिर दिल का हाल सुनाने को म
Divyanshu Pathak
कोश कोश पे बदले पानी चार कोश पे वाणी .. मेरा मन है राजस्थान दिल मेरा हिंदुस्तानी.... 💕👨 Good morning ji 💕🍸🍨☕☕☕💕💕🐒🍵🍓🍉🍉🍨🍨🍸💕🍫🍫🍫🍉🍉🍓🍓💕💕🍉🍓🍫💕👨 : 👉राजस्थान क्यों है खास ? : 1. भारत के 100 सबसे अमीर व्यक्तियो में से 35 राजस्थानी व्यापारी
Vikash Kamboj
"प्राणों से प्यारी" याद तेरी जब आती है, आंख मेरी भर जाती है। कहना चांहू जो मै तुझको, जुबां नहीं कह पाती है। तुझसे प्यार मै करता हूं, कितना तुझपे मरता हूं। पास मेरे जब आए तू, कहने से क्यों डरता हूं। कितने सपने बुनता हूं, कितने लम्हे गिनता हूं। पलकों को मिचें निश दिन, तेरी याद में जिंदा हूं। आज फिर नजरें टकराई, जुल्फ उसने कुछ यूं लहराई। होश की तो बात कहे क्या, देख मुझे जब वो मुस्काई। हिम्मत आई मुझमें घनघोर, रोक सके तो कोई रोक। हाथ में फूल गुलाब का, ये चला मै उसकी ओर। आज मै दिल की बात कहूंगा, आज नहीं चुपचाप रहूंगा। ना कह देगी जो वो मुझको, उस का दर्द भी मै सहूंगा। मै गया जो उसके पास, लेकर अपने प्यार की आस। आंख उठाकर उसने देखा, शायद पलटे किस्मत की रेखा। जमीं पे बैठा घुटने डाल, फूल दिया हाथों में लाल। दिल मेरा धड़के धक धक, खिल उठे उसके भी गाल। फूल लिया फिर उसने हाथ, करने लगी मुझसे वो बात। कहती छोड़ ना देना हाथ, अब जिंदगी तुम्हारे साथ। मै बोला तेरे साथ चलूंगा, हाथ में लेकर हाथ चलूंगा। तुझमें मेरी दुनिया सारी, तू मुझको प्राणों से प्यारी। VIKASH KAMBOJ "प्राणों से प्यारी"
Anuj Ray
" प्यार से प्यारा" शुक्र करती हूं, बहारों का जिन्होंने रुख़ मेरे घर का किया, शुक्र करती हूं, सितारों का जिन्होंने घर मेरा रोशन किया। शुक्र करती हूं ,नज़ारों का जिन्होंने प्यार से दिल भर दिया, शुक्र है मालिक ए, जहां का जिन्होंने" प्यार से प्यारा" दिलबर दिया। # प्यार से प्यारा
Mandeep Ghoyal
ज़िन्दगी से अब किनारा सा हो गया कोई है जो अब खुद से ज्यादा प्यारा हो गया😍 Ghoyal खुद से प्यारा
Rajinder Raina
साथ रहकर पता पड़ा वो हसीं दिलकश नजारा आज भी है, तू हमें जां से पियारा आज भी है। मर गये होते मगर मर भी न पाये, याद तेरी का सहारा आज भी है। रुक न पाये कदम चलते ही रहे हैं, ख्वाब मेरा वो सितारा आज भी है। खोल जुल्फे बेहिजाबा वो खडे़ हैं, हो रहा छत से इशारा आज भी है। गर रहे उसकी रजा में खुश भला सा, मस्त जो उसका गुजारा आज भी है। जो किये तूने सितम हम भूल बैठे, वो सितम हमको गवारा आज भी है। काश रैना तू वफा की बात करता, है तुझे उसने पुकारा आज भी है।रैना" ©Rajinder Raina जां से प्यारा