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Hemant latta

मैं मांझी को ही जानता हू. चरित्र की ही बात है चरित्र की करामात है ... चरित्र के आगे नतमस्तक है दुनिया.. चरित्र से सौगात है| कुछ हद तक शाह

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Deepak Hindustani

।। अखण्ड।। मेरा रहा जब राष्ट्र अखंड विश्व में था छाया इसका प्रचंड ईरानी आक्रांता सर्वप्रथम यहां आए अपनो को समझा, अपने बनाए फिर जाकर यहां लू #जानकारी

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VATSA

#किसान #vatsa #dsvatsa #illiteratepoet #yqbaba #hindipoetry #HindiPoem बढ़ चला धुँध का घेरा है  दिखता क्या तेरा मेरा है ज़रा देख के बताना

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बढ़ चला धुँध का घेरा है 
दिखता क्या तेरा मेरा है
ज़रा देख के बताना मुझे 
कहाँ उजाला है कहाँ अँधेरा है 
बंद कर विकास की ये दुकान 
रुक ज़रा सोच ले इंसान 

यहाँ बस बेचने वाली टोली है 
ख़रीदारी भी बनती भोली है
पंछियों ने नाता तोड़ दिया 
हवाएँ भी उस ओर हो ली है 
प्रकृति खड़ी है लहू लुहान
रुक ज़रा सोच ले इंसान

जले जंगल तो आंसू आए
कर्मठ नहीं सब जिज्ञासु आए 
वही जो बात बहुत करते हैं 
अंधेरों में बग़ीचे कटवाए 
ठूँस रखा है बस अभिमान 
रुक ज़रा सोच ले इंसान 

इन शहरों ने निगला गाँव को 
खेतों को पेड़ों की छाओ को 
मैं शाम से उनको ढूँढता हूँ 
पूछा कितने नेताओं को 
सुनने वालों में कोई है किसान?
रुक ज़रा सोच ले इंसान #किसान #vatsa #dsvatsa #illiteratepoet #yqbaba #hindipoetry #hindipoem 

बढ़ चला धुँध का घेरा है 
दिखता क्या तेरा मेरा है
ज़रा देख के बताना

sidaq_rizaq_sabar

कभी-कभी हम सोचते है ,कभी-कभी हम खुद को खोजते है... टकराते है दीवारों से माथा पटकतें है , कूरेदते हैं बिखरे हुए ज्जबीतों को तो... कभी बन्द ह #Dil #yqdidi #Soch #kabhikabhi #Ghutan #Aansoo #newwritersclub

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कभी-कभी हम सोचते है ,कभी-कभी
हम खुद को खोजते है...
टकराते है दीवारों से माथा पटकतें है ,
कूरेदते हैं बिखरे हुए ज्जबीतों को तो...
 कभी बन्द हुई किताबो को खोलते हैं ,
पलटते हैं पन्नों को तो दर्द के सिवा कुछ नहीमिलता...
कहीं देखते है खुद को घुट-घुट 
कर जीते हुए...पल-पल हर पल खुद को ,
खुद के हाथों खत्म करते हुए...
मिलते हैं बीती हुई यादों से ,उन खोखले हो 
चुके इरादों से ,उन बचकाने वादों से...
आँसुओं का इक गहरा समन्दर है यहाँ, 
कभी उस दरवाजे,को खोलतें हैं,
झांकते हैं अन्दरतो पता चलता है कि कैसे एक...
युग बीत गया लेकिन, अपनाअसर 
हम पर छोड गया...
टूटी हुई उम्मीदों को देखा!..
झूठी शानों को देखा!!.. कि कैसे हम ने 
खुद को तोड लिया...पंख कटवाए,
लेकिन.. सब से नाता तोड लिया ,
छोड आए दिल को, उस बन्द किताब में,
हर मंजर से मुख मोड लिया...
जब सुरखरू हुए हम खुद से,तो हर दर्द से...
नाता तोड लिया,आजाद हैं ,
हम अब उस घुटन से ,जिस दिन का 
उसको छोड दिया। कभी-कभी हम सोचते है ,कभी-कभी
हम खुद को खोजते है...
टकराते है दीवारों से माथा पटकतें है ,
कूरेदते हैं बिखरे हुए ज्जबीतों को तो...
 कभी बन्द ह

रजनीश "स्वच्छंद"

मेरा एक यार रहता था।। इस गली के, उस चौक पे, मेरा एक यार रहता था। मेरी तन्हाइयों का दस्तक, मेरा साया मेरा सार रहता था। वर्षों बीते, पर याद ध #Poetry #Life #kavita

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मेरा एक यार रहता था।।

इस गली के, उस चौक पे,
मेरा एक यार रहता था।
मेरी तन्हाइयों का दस्तक,
मेरा साया मेरा सार रहता था।
वर्षों बीते,
पर याद धूमिल, अभी ताजी है।
उसने,
उसी छोटू नाई की दुकान पर,
कटवाए थे बाल अपने।
वो छोटू नाई,
जो लिए उस्तरा आज सड़कों पर,
पत्थरों से पटी सड़कें,
लाठी, तलवार, भाले,
पेट्रोल भरे जलते बोतल,
चारों ओर बिखरे थे।
विलाप का स्वर भी नहीं,
किसी आतंक का ज्वर भी नहीं।
आग और धुएं की लपटें,
मानो प्रतिस्पर्धी हुए थे।
कर खाक, जिंदगियां,
लहराते आसमां छुए थे।
बदहवास सड़क पर,
मैं बस भागता जा रहा।
हाय,
आज मेरा धर्म ही सालता जा रहा।
वो सीमेंट का चबूतरा,
हमारे जवान होने का गवाह।
कहीं लाल, कहीं कालिख रंग सना,
मानो दर्द में डूबा हो अथाह।
कलेजा मुख को,
धड़कनों की आवाज़ सन्नाटा चीरती।
कहाँ गयी वो दार जी की आवाज़,
जो देख हमें साथ थी चीखती।
सन्न हुआ, नज़रें कुछ खोज रहीं थी,
हवाएं, नासिका में, गोलियां बोज रहीं थीं।
लगता है कुछ है वहां,
कुर्ते का बाजू, रंग बदल लाल हुआ था।
टायरों संग भुनती गोश्त की बदबू,
आग की लपटों से जो लाल हुआ था।
मैं आधा खड़ा देखता,
आधा टायरों में फंस जल रहा था।
अपने आप को मानो कह अलविदा,
किसी और सफर पर चल रहा था।
आज मैं हार गया अपने आप से,
थे अलग दोनों बस नाम से।
किसकी हत्या का दोषी हूँ मैं,
हुंकारता रावण है पूछता राम से।
अश्रुधार पलकों से पहले सूख गए,
ये दृश्य देखने से पहले।
मैं था अकेला नहीं,
जमीं आसमां दोनों थे दहले।
हृदय का घाव था गहरा,
लिख रहा भर कलम में स्याही।
मैं ही मरा, मैं ही खड़ा था,
कौन था दोषी, कौन देता गवाही।

©रजनीश "स्वछंद" मेरा एक यार रहता था।।

इस गली के, उस चौक पे,
मेरा एक यार रहता था।
मेरी तन्हाइयों का दस्तक,
मेरा साया मेरा सार रहता था।
वर्षों बीते,
पर याद ध

thvachl ;

सवाल तो उठाए जाएगे !! अरे लड़की हो अपनी हद में रहो जैसे शब्दों से मिलना-झुलना भी लगा ही रहेगा_ चार इधर की और चार उधर की सुननी भी पड़ेगी पर सु #Struggle #girl #yqbaba #yqdidi #royal #girlpower #strongwoman

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सवाल तो उठाए जाएगे...............................................!!! सवाल तो उठाए जाएगे !!
अरे लड़की हो अपनी हद में रहो जैसे शब्दों से मिलना-झुलना भी लगा ही रहेगा_ 
चार इधर की और चार उधर की सुननी भी पड़ेगी पर सु

Tushar Jangid

मैं तुषार, नाम तो सुना होगा। जगह जगह पोस्टर जो लगे हैं मेरे। मेरा काम है लोगों को सबसे कीमती चीज देना ' खुशी' और उनसे उनकी सबसे कीमती चीज ले #Humour #story #yqdidi #mystory #Rio #longform #aestheticthoughts #yqaestheticthoughts

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मैंने पूछा:-"हां जी आंटी, आप कुछ कह रहीं थीं?"
आंटी बोलीं:-"हां मैं ऐसे कह रई तोकू साड़ी लियाऊं का?

अनुशीर्षक में मैं तुषार, नाम तो सुना होगा। जगह जगह पोस्टर जो लगे हैं मेरे। मेरा काम है लोगों को सबसे कीमती चीज देना ' खुशी' और उनसे उनकी सबसे कीमती चीज ले
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