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Rupam Rajbhar
पेड़ की छांव में एक झूला अकेला झूल रहा है। हवा के वेग से कुछ कह रहा है, मुझे भूल गए वो बचपन नए जिनके साथ झूलना था । झूलना #विचार #कविता
Technocrat Sanam
तुझसे शिकायत नहीं मग़र हाँ ये पूछना है, तूने जो किया सनम बता उसे कैसे भूलना है.., कभी मेरा दिल तेरा आँगन और बाँहें तेरा झूला थीं, किस दिल में रहोगे अब किसकी बाँहों में झूलना है तुझसे शिकायत नहीं मग़र हाँ ये पूछना है.. ©technocrat_sanam तुझसे शिकायत नहीं मग़र.. 😇 हाँ बस ये पूछना है.. किसके दिल में रहोगे अब.. किसकी बाँहों में झूलना है.. #middaythoughts #sadshayari
Anita Saini
मेरा नाज़ुक दिल था छुईमुई है जैसे फूलों में..! झूलना चाहता था ये ख़्वाबों के हसीन झूलों में..! प्यार की सपनीली वादियाँ भर दी तूने कँटीले शूलों में...! पत्थर कर लिया मैंने कि अब रहेगा अपने उसूलों में..! मेरा नाज़ुक दिल था छुईमुई है जैसे फूलों में..! झूलना चाहता था ये ख़्वाबों के हसीन झूलों में..! प्यार की सपनीली वादियाँ भर दी तूने कँटीले शूल
RituRaj Gupta
पहचानते हो मुझे, वो सुबह जल्दी उठना, खेलना, कूदना, दिन भर, कूलर में पानी भरना, माँ के हाथों का खाना हो या हो उनकी मार, .. .. Rest read in caption पहचानते हो मुझे, वो सुबह जल्दी उठना, खेलना, कूदना, दिन भर, कूलर में पानी भरना, माँ के हाथों का खाना हो या हो उनकी मार, शाम को पिता के हाथों
JALAJ KUMAR RATHOUR
सुनो कॉमरेड, ये सावन का महीना हमेशा मेरे जीवन में खास रहा है। क्युकी यही वो महीना था। जब मैंने तुमसे प्रेम के सावन में प्रवेश किया था। जिस प्रकार एक अबोध बालक किसी विद्यालय में प्रवेश लेता है। जिस प्रकार वो धीरे धीरे विद्यालय के मोह में पड़ता जाता है और फ़िर ताउम्र गर्व करता है खुद के उस विद्यालय का पूर्व छात्र होने में, कुछ इसी प्रकार का प्रगाढ़ प्रेम मैंने तुमसे किया था। आज भी मुझे गर्व है कि मेरे पहले प्रेम की पाठशाला तुम थी पर अब जब भी तुम सामने से गुजरती हो तो वो वक्त वापस लौट आता है।जिस वक्त में ,मै तुम्हारे हाथो को थाम घूमता था पूरे शहर में, जैसे कोई बालक रुक जाता है। अपने पुराने विद्यालय के सामने और खो जाता है। उसकी दीवारो से जुडी याद में,सावन का आना मेरे लिए और खास था। क्युकी सावन के सोमवार के दिन जब तुम मंदिर जाती थी तो मैं इंतजार में रहता था मंदिर की सीढ़ियों पर तुम्हारे,अक्सर मंदिर ही तो सहारा होते है। छोटे शहरो में बचपने और सपनो से परिपूर्ण प्रेम के पनपने के, तुम्हे शायद याद हो हमने साथ मिल कर झूला डाला था। नीम की डाल पर, उस कड़वे नीम की शाखाये भी प्रेम पूर्वक झुक जाती थी। जब हम साथ झूलते थे। झूलना जिंदगी के भूतकाल,वर्तमान और भविष्य से वाक़िफ़ कराता है। जब हम थमे हुए होते है तो वर्तमान में होते है, जब हम खुद को पीछे की ओर लेते है तो भूतकाल में और जब आगे जाते है तो भविष्य में, मैं चाहता था। हर सावन के झूले पर साथ तुम्हारे झूलना, परंतु चाहते पूरी कहाँ होती है। पर इन निगाहों को आज भी इंतजार रहता है। तुम्हारे दीद का, जैसे चाँद को इंतजार रहता है ईद का, सुनो तुम इस बार भी मेरे साथ चलकर बहाओ भुजरियाँ,जैसे हम बचपन मैं बहाते थे। .... #जलज _ कुमार _राठौर #feather सुनो कॉमरेड, ये सावन का महीना हमेशा मेरे जीवन में खास रहा है। क्युकी यही वो महीना था। जब मैंने तुमसे प्रेम के सावन में प्रवेश किय
Nir@j
गाँव की याद कुछ यूँ आ रही है। हर चीज़ ही अब दूर जा रही है।। दादा-दादी से कहानी सुनते रहना। हमेशा ही उनकी देखभाल करना।। खेतों में गेहूँ के फ़सल कट रहे होंगे। कहीं पटवन हेतू रहट चल रहे होंगे।। महुआ का वो पेड़, लटकते हुए आम। सुबह में डाल-पात, गुलिडण्डा शाम।। चरती हुईं गायें, वो विचरते हुए भैड़। झड़ते हुए पत्ते, रंग बदलते हुए पेड़।। दोस्तों के साथ खेलना, छत पर सोना। आँधी आ जाने पर बिस्तर नीचे ढोना।। चने के खेत से, जाकर चना उखाड़ना। खेलने जाने के लिए दोस्त को पुकारना।। कुल्फ़ी वाले का आना, बर्फ़ देकर जाना। बर्फ़ ख़त्म हो जाने पर भी डंटी चबाना।। गाँव घर की शादी, वो पत्तल पर खाना। दोस्तों के साथ मिलकर मौज उड़ाना।। गाँव घर में ढेर सारे, मेहमानों का आना अजनबी रिस्तेदारो को परिचित कराना।। #yqdidi #yqbaba #yqlove #gaav #गाँव #गाँव_की_यादें #छूटता_हुआ_बचपन #nirajnandini गाँव की याद कुछ यूँ आ रही है। हर चीज़ ही अब दूर जा रही है।।
Drg
देखती हूँ अक़्सर बंद रहती है तुम्हारी ख़्वाहिशें अपनी नज़्मों में कहीं आख़िर क्यूँ? क्यूँ डरते हो अपने ही एहसासों से इतना? पढ़ती हूँ अक़्सर तुम्हें, समझने लगी हूँ इस भोले दिल को कुछ कुछ आख़िर क्यूँ? क्यूँ क़ैद कर लेते हो अपने जज़्बातों को इतना? (कैप्शन में पढ़े) देखती हूँ अक़्सर बंद रहती है तुम्हारी ख़्वाहिशें अपनी नज़्मों में कहीं, आख़िर क्यूँ? क्यूँ डरते हो अपने ही एहसासों से इतना? पढ़ती हूँ अक़्सर तुम्
मेरी आपबीती
ये वक़्त , ये जिंदगी थोड़ा ठहर जा जरा , थोड़ा और जी भर के जीने तो दे जरा । बचपन बहुत प्यारा और खूबसूरत था मेरा , झूला झूलना , बारिश में भीगना