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I'm Doctor
रहता वो साथ में लेकिन बहुत ही दूर है शायद वो ये रिश्ता निभाने को बहुत ही *मजबूर* हैं शायद सड़क पर रोल नं. *01* ने उसे आवाज दी लेकिन वो आंखे मूंद कर निकला कोई *मगरुर* है शायद लगाई जो तुमने लागत *इमारत* ढह ही जानी थी दबा जो लेकिन मलबे में नाम *अमजद* हैं शायद बिछड़ते जा रहे रिश्तों को तन्हा रोक ना पाया मोहब्बत के नशे में वो बड़ा ही *चूर* हैं शायद, *ख्याल - ए - एम्मी* एम्मी तुर्क
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी तुर्क मिजाजी के शब्द संसद को अमर्यादित लगते थे तौहीन ना हो जाये सांसदों की स्पीकर को शब्दबाण चुभते थे अब मुँह सिले बैठे है बिधूड़ी के शब्द अमृत जैसे लगते है अमृत काल है भैया सत्ता पक्ष के लोगो के अशब्द किया तबाही मचायेंगे देश मे मगर मुँह सिले सब बैठे है कारवाही के नाम पर संसद की कितनी बढ़ी तौहीन कर बैठे है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Likho तुर्क मिजाजी के शब्द संसद को अमर्यादित लगते थे #nojotohindi
Satya Mitra Singh
भारतीय राजनीति में " युवा तुर्क " के नाम से विख्यात राष्ट्रपुरुष, पूर्व प्रधानमंत्री श्री चन्दशेखर जी को नमन। 17 अप्रैल
अदनासा-
Anita Saini
जद युद्ध की टनकार हुई राणा न हुँकार भरी भाला फरसा आली सेना त्यार करी लहू सुं हळदी घाटी लाल हुई गिनती के राजपूत तुर्क मारया हजार राणा प्रताप नै कर वार पर वार आंख्यां से आगे मौत नाचती देख भाग्या उल्टे पाँव अस्त्र शस्त्र फेंक सोच्या राजपुता सूं जीतनो मेंवाड़ कोनी हँसी खेल कोनी खिलवाड़ शत्रु बी जिनका गुण गाता होवे जद युद्ध की टनकार हुई राणा न हुँकार भरी भाला फरसा आली सेना त्यार करी लहू सुं हळदी घाटी लाल हुई गिनती के राजपूत तुर्क मारया हजार राणा प्रताप
Divyanshu Pathak
'राजस्थानी कहावतें' खर घुघू मूरख नरां सदा सुखी प्रथिराज। अज़गर करे न चाकरी पंछी करे न काज। छोटी-मोटी कामणी सगळी विष की बेल ! जो मन होय उतावलौ तो बिगड़ें ही काज। अग्गम बुद्धि बाणियो पच्छम बुद्धि जाट! तुर्क बुद्धि तुरकड़ो , बामण संपट-पाट । खेती करे न बिणजी जाय, विद्या के बल बैठो खाय। सेल घमोडा जो सहै - सो जागीरी खाय । राजस्थानी कहावतें' खर घुघू मूरख नरां सदा सुखी प्रथिराज। अज़गर करे न चाकरी पंछी करे न काज। छोटी-मोटी कामणी सगळी विष की बेल ! जो मन होय उता
kaushik
पाटण की रानी रूदाबाई Caption में पढ़ें गुजरात से कर्णावती के राजा थे, राणा वीर सिंह वाघेला (सोलंकी), इस राज्य ने कई तुर्क हमले झेले थे पर कामयाबी किसी को नहीं मिली, सुल्तान बेघारा
Nadbrahm
सारी दुनिया को जो अपने ज्ञान से सिंचित किया सबको अपना बंधु कह कर जिसने मानव हित किया जिसने धरती सूर्य और नक्षत्र की गति माप दी वो भला क्यों मिट रहा यवनों के अत्याचार से मैं खरा हूं यक्ष सा पूछुंगा यह संसार से क्यों कटी वह क्षत्र जिसने वंचितों को छाऊ दी क्यों जला नालंदा गुरुकुल जिसने सब को ज्ञान दी क्यों नही कोई रोक पाया असुरों के उन्माद को क्यों नही कोई रोक पाए सभ्यता के हार को पूछता हूँ आज सब से हो मनुज तो तुम बताओ रक्त कि नदियां बही क्यो भूल कर आभार को क्यू भुलाऊँ मैं भला उस दानवों के वार को सिंध की बेटी बिकी थी तुर्क के बाजार को बोलिया मेरी लगी थी श्री नगर के चौक पर फिर भी हैं जम के खरे ये अपने जिहादी शौक पर सब मिटा कर क्यों चला है फिर अमन की गीत गाने बज चुकी रणभेरी है फिर क्यों नही गांडीव ताने छोर कर इस युद्ध को क्या मिल सका है आज तक लाक्षागृह की हर कहानी पूछती हर पार्थ से तुम नही अब भी जागे तो घोर पातक छायेगा पूर्वजो का शौर्य और उत्सर्ग फिर काम किसके आएगा पितृ द्रोहि बन के क्या तुम चैन से जी पाओगे कितनी भी दौलत कमा लो दास ही कहलाओगे थे सभी दौलत तुम्हारे सिंध में मुल्तान में थे तिजोरी भर के बैठे बंग पाकिस्तान में वो तेरी दौलत तेरे कोई काम आ पाई नही बेटीयाँ भी लौट कर निज धाम आ पाई नही बेटियों की को पुकारे कान में घोलु तेरे बैठ मेरे पास अब तो आँख को खोलू तेरे काट दी दो हाथ इस धरती की उन जल्लाद ने फिर क्यों भारत को हैं घेरे फैलते जिहाद ने वो बना शिशुपाल सा गिनती यहां दुहरायेगा कोन है जो कृष्ण बन कर चक्र फिर से चलाएगा । अस्तित्व रक्षा हेतु प्रेरित करने को मेरी रचना के कुछ अंश आप सभी को समर्पित पढ़िए और स्वयं से पूछिए । ©Nadbrahm सारी दुनिया को जो अपने ज्ञान से सिंचित किया सबको अपना बंधु कह कर जिसने मानव हित किया जिसने धरती सूर्य और नक्षत्र की गति माप दी वो भला क्यो
Balkrishna Ashish
*बागी बलिया का हूं मै लाल।* *जिसके रक्षक स्वयं महाकाल।।* प्रथम प्रणाम करता हूं जन जन को।दूजे बंदन है भृगु मुनि को।। सुनो भारत के वाशी।। बलिया स्वयं में काशी।। दर्दर भृगु पाराशर की भूमि है यह पावन। विश्व विख्यात दरदरी मेला लगता यहां है मनभावन।। गंगा सरयू की निर्मल धारा । कितने संत जनो को तारा।। सुरहा ताल, है यहां का निर्मल। द्वाबा में बहे गंगा की धारा अविरल। वीरो की जन्म भूमि, मंगल पाण्डेय जिसकी पहचान है। फक्र आज भी बलिया पर है युवा यहां की शान है।। प्रथम कलक्टर भारत में चितू बाबा की पहचान है। हजारी प्रसाद और केदारनाथ की धरती बागी महान है।। जान नहीं मेरे शब्दो में जो इसका गुड़गान करूं। बागी बलिया के लोगो से जिसने हाथ मिलाया है, । साक्ष्य इतिहास के पन्नों में श्रेष्ठ पद को पाया है।। सिंहासन है इसकी दासी, । बसता है यहीं मथुरा और काशी।। संविधान के पन्नों में एक अलग पहचान बनाया है, स्वतंत्र भारत का पहला जिला अपना नाम लिखवाया है।।युवा तुर्क चंद्रशेखर ने भारत में परचम लहराया था भोला पांडेय के टेनिस बम से सारा भारत थरया था।। , दो लोक सभा है इसके अंदर। जन जन में बसता है सिकंदर।। सत्रह ब्लाक ,और 7 विधान सभा इसके अंग है। 8 नगर पंचायतों और एक नगर पालिका का अद्भुत ही एक रंग है।। यहां राजनीति घर घर में बसता । चुनावी रंगो का मेला सजता।। लोकतंत्र का पहला उदाहरण देख बलिया को सीख लो । कोई हारे कोई जीते , प्रेम धरा का चीख लो।। आशीष वर्णन कर रहा,देख विरोधी जल रहा।। प्रेम सभी से आश सभी से। बलिया को विश्वास सभी से।। शंकरपुर की धरा से गीत बलिया का गा रहा हूं। रामगढ़ की सुंदर टिकरी आंनद से अब खा रहा हूं।। रसड़ा की प्रसिद्ध राम लीला नगवा में है अच्छे पात्र। सतीश चन्द्र, टि डी और कुंवर कालेज में है होनहार छात्र। मनियर में परशुराम का सुंदर सा स्थान है। बालेश्वर मन्दिर भृगु मन्दिर से बलिया की पहचान है।। लिट्टी चोखा , सतुवा यहां के सबसे अच्छे पकवान है। तभी तो बलिया के युवाओं के बाजुओ में जान है।। हे बलिया के लोगो सुन लो बाबा भृगु की जय करो। बलिया रहे सबसे आगे गमछा चुनौती तय करो।। जय बलिया जय भारत।। *बागी बलिया का हूं मै लाल।* *जिसके रक्षक स्वयं महाकाल।।* प्रथम प्रणाम करता हूं जन जन को।दूजे बंदन है भृगु मुनि को।। सुनो भारत के वाशी।। बलिय
Divyanshu Pathak
"बप्पा-रावल" ( क्रमशः-02 ) जब उस युवा लड़को को नागदा का सामन्त बना दिया गया तो वहाँ के जो पुराने सामन्त थे विद्रोह करने लगे उसी दौरान किसी विदेशी आक्रमण की सूचना मिली अन्य सामन्त इस अवसर का फ़ायदा उठाना चाहते थे नव सीखिए सामन्त को सेनापति बनाकर युद्ध में भेज दिया।मैदान में जाकर नए जोश के साथ सेनापति ने आक्रमणकारियों को खदेड़ दिया और विजय प्राप्त की साथ ही उन विरोधी सामन्तों को भी समझाया तब किसी ने उनको सम्बोधित किया भई- ये है सबका बाप और वही बाप आगे चलकर 'बप्पा' हो गया। ऐसा सुना गया है कि मोहम्मद-बिन-क़ासिम की फ़ौज लेकर यज़ीद ने सिंध प्रदेश को जीत लिया और अपने क्षेत्र को विस्तार देने के लिए उसने चित्तोड़ पर आक्र