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Amit Singhal "Aseemit"
तुम्हारी आँखों का रंग जो है सुरमई, मेरे दिल पर गिराता बिजलियाँ कई। क़हर ढाती हैं सुरमई आँखें मुझ पर, होश खो जाता मेरा, न जाने किधर। ©Amit Singhal "Aseemit" #सुरमई
Vivek
रोज़ -रोज़ वही सुरमई ऑंखें----लेकिन उनमें बातें नई ------सुर्ख़ से उसके लबों पे रख दीं -----एक पल में ही मुलाक़ातें कई ----!!! ----!!! ©Vivek #सुरमई आँखें
Kamal bhansali
भास्कर की सुनहरी किरणों से सुरमई हुआं सवेरा नव सन्देश का जरिया प्यारा प्रकाशमय कर लो जीवन योग से करो इसका वंदन स्फूर्ति के फूलों से सजेगा जीवन हमारा तुम्हारा मुस्कानों की बहेगी बहार मधुरतम हो जाएगा हर पल खुशियों की नदी कहेगी चल ऐसे ही "कल ""कल" सुरमई सवेरा
loknath sahu
वाणी और विचार ये दोनो प्रोडक्ट हमारी खुद के कंपनी के हैं! जितनी क्वालिटी और गुणवत्ता अच्छी रखेंगे उतनी कीमत ज्यादा मिलेगी ©loknath sahu ##वाणी
नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
वाणी *वाणी एक अमोल है,जो कोई बोले जानी। हिये तराजू तौल के, तब मुख बाहर आनी।* ये अनमोल मंत्र मेरे नहीं बल्कि हमारे दार्शनिक संतों की है। विडंबना यह है कि हमने इन पंक्तियों का सिर्फ रटा मारा है या फिर दूसरों को समझने के लिए अक्सर प्रयोग किया है।खुद अमल में नहीं लिया। *वाणी* शब्द इतना असरदार होता किअगर ये चाहे तो किसी का सिर कलम करा दे या चाहे तो किसी को हरदिल अजीज बना दे। मान या अपमान वाणी से ही मिलता है।वाणी से ही प्रेम के फूल खिलते हैं तो वाणी से ही नफरत के बीज भी बोए जाते हैं। सुवाणी से बीगड़े हुए काम बन जाते हैं तो कुवाणी बने हुए काम भी बिगाड़ देता है। जीवन में मधुरभाषी होना अति आवश्यक है लेकिन अच्छी सोच और नेक नीयत के साथ। धन से धनवान, बल से बलवान, विद्या से विद्वान तो बना जा सकता है लेकिन एक बड़ा या महान इन्सान तभी बना जाता है जब नीयत साफ हो, सोच पाक हो, वाणी मधुर हो और सबके लिए स्वर्थरहित प्रेम हो। *वाणी* जीवन का अनमोल उपहार है, संभाल कर रखें। धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएं और सभी को मेरा प्रणाम। 🌹🙏 ©नागेंद्र किशोर सिंह # वाणी
Anshupriya Agrawal
वाणी ऐसी बोलिए ,चांदनी सा शीतल चंदन। ज्वाला को भी शांत करें, जगा सके जड़ में चेतन ।। मीठी वचनों की धारा से,होता कटुता का स्वयं शमन। गम दुख सब मिट जाता ,बहने लगता शीतल पवन।। - अंशु वाणी
Deepanshi Srivastava
निज वाणी ही यदि कटु हो , तो दोषी दुनिया सारी है। शब्दों के तो भेद बहुत है,वाणी की बलिहारी है। भारत की इस छटा के आगे,कवि वाणी भी हारी है। आदि भाषा का ज्ञान नहीं है,अंग्रेज़ी ही सारी है। स्वसंस्कृति का बोध नहीं है,औरों की मुंहजुबानी है। वेद ग्रंथ सब हुए पुराने,पुरुषों की यह वाणी है। मानस - मात है ब्रिटेन हमारी , ऐसी दशा हमारी है। अब तो भारतवर्ष में आगे , अंग्रेज़ी ही आनी है ।😔 #वाणी
Krishna Deo Prasad. ( Advocate ).
इंसान की वाणी एक कीमती आभूषण हैं, इसके गलत इस्तेमाल से इंसान की चमक फीकी पड़ जाती हैं। ©Krishna Deo Prasad. ( Advocate ) वाणी