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Author Harsh Ranjan
लोग! अजीब होते हैं ये भी! ये चाहते हैं कि कोई अच्छा काम करे तो फिर तुरंत मर जाये, या मार दिया जाए ताकि वो शौकिया, भूल या मजबूरी में भी कुछ गलत न कर पाए। फिर लोग उनकी अच्छाइयों को पत्थर या मिट्टी के खोल में भर सकें, कहानियां गढ़ सकें, मौत को रुमिनियत से मढ़ सकें। लोग चाहते हैं कि बुरे जिंदा रहें। ताकि अच्छाई की किताबी दुनिया में जीने का एक बहाना उन्हें मिल सके। सामने बैठाकर, चाय-नाश्ता पूछकर, वो बुरे को समझाएं, उसकी बुराई बताएं, उसका दृष्टिकोण जान उसे गलत सिद्ध करें, उससे कुबूलनामा लेकर उससे लड़ें, या उसे कम से कम गालियां दें, उसे कोसें, उसके नाम पे कुत्ते पोसें। लोग चाहते हैं, बुरे लोग जियें, लोग चाहते हैं, बुरे लोग आमंत्रण पे आकर, उनके पत्नी/बेटी/बहन के हाथों की चाय पियें। आतिथ्य पाप के
Author Harsh Ranjan
लोग! अजीब होते हैं ये भी! ये चाहते हैं कि कोई अच्छा काम करे तो फिर तुरंत मर जाये, या मार दिया जाए ताकि वो शौकिया, भूल या मजबूरी में भी कुछ गलत न कर पाए। फिर लोग उनकी अच्छाइयों को पत्थर या मिट्टी के खोल में भर सकें, कहानियां गढ़ सकें, मौत को रुमिनियत से मढ़ सकें। लोग चाहते हैं कि बुरे जिंदा रहें। ताकि अच्छाई की किताबी दुनिया में जीने का एक बहाना उन्हें मिल सके। सामने बैठाकर, चाय-नाश्ता पूछकर, वो बुरे को समझाएं, उसकी बुराई बताएं, उसका दृष्टिकोण जान उसे गलत सिद्ध करें, उससे कुबूलनामा लेकर उससे लड़ें, या उसे कम से कम गालियां दें, उसे कोसें, उसके नाम पे कुत्ते पोसें। लोग चाहते हैं, बुरे लोग जियें, लोग चाहते हैं, बुरे लोग आमंत्रण पे आकर, उनके पत्नी/बेटी/बहन के हाथों की चाय पियें। आतिथ्य पाप के
वेदों की दिशा
।। ओ३म् ।। मा नो हृणीथा अतिथिं वसुरग्निः पुरुप्रशस्त एषः । यः सुहोता स्वध्वरः ॥ पद पाठ मा꣢ । नः꣣ । हृणीथाः । अ꣡ति꣢꣯थिम् । व꣡सुः꣢ । अ꣣ग्निः꣢ । पु꣣रुप्रशस्तः꣢ । पु꣣रु । प्रशस्तः꣢ । ए꣣षः꣢ । यः । सु꣣हो꣡ता꣢ । सु꣣ । हो꣡ता꣢꣯ । स्व꣣ध्वरः꣢ । सु꣣ । अध्वरः꣢ ॥ जैसे उत्तम प्रकार पूजा किया गया परमेश्वर पूजा करनेवाले को सद्गुण आदि की सम्पत्ति देकर उसका कल्याण करता है, वैसे ही भली-भाँति सत्कार किया गया अतिथि आशीर्वाद, सदुपदेश आदि देकर गृहस्थ का उपकार करता है। इसलिए परमेश्वर की उपासना में और अतिथि के सत्कार में कभी प्रमाद नहीं करना चाहिए ॥ Just as a well-worshiped God gives welfare to the worshiper by giving him the property of virtue etc., in the same way, the well-behaved guest blesses the householder by giving blessings, sodupadas etc. Therefore, never worship God in worship and hospitality. ( सामवेद मंत्र ११० ) #सामवेद #वेद #आतिथ्य #अतिथि #परमेश्वर #उपासना
satish bharatwasi
तु नसशील तर जगण्याला काय अर्थ आहे? तु असेल तर जीवन माझे सार्थ आहे अर्थ
Niti Adhikari
तकलीफ़ देने के बाद जताई गई मोहब्बत, और नज़रंदाज़ करने के बाद दी गई अहमियत.. कोई मायने नहीं रखती.. 💘💘💘 ©Niti Adhikari #अर्थ
- Arun Aarya
अपने ग़मो के आँशुओ को मैं पी रहा हूँ, मैं एक उद्देश्यहीन जिंदगी जी रहा हूँ। -By आर्या बरेठ। बीना अर्थ के जिंदगी बे अर्थ है।
Shivam Yadav
दिन-ब-दिन इस बढ़ते प्रेम के साथ तेरा चेहरा मेरे चेहरे मे मेरा चेहरा तेरे चेहरे में दिखने लग जाए... मेरी समझ मे वही प्रेम है..... ©Shivam Yadav अर्थ #hangout