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theABHAYSINGH_BIPIN
White तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में, तपने दो इस बदन की जलती आग में। बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो, बह जाने दो मुझे दरिया की धार में। घटा बनके छाई तेरी ज़ुल्फ़ें घनी, खो जाने दो मुझे मखमली छांव में। ऐशगाह अब वीरान क्यों लगता है, ले चलो मुझे ख़्वाबों की गोद में। अरसों से खुद को सँवारा है मैंने, बांध लो अब मुझे नैनों के जाल में। लौट गए जज़्बातों के सारे खरीदार, मैं बिक गया बस इश्क़ के बाज़ार में। थक चुका हूं मैं इस कच्ची सर्दी से, ले चलो मुझे इश्क़ की गरमाहट में। ढूंढते रहे जो मुझे शहर के शोर में, अब बसा हूं 'अभय' कुदरत के गांव में। ©theABHAYSINGH_BIPIN #sad_shayari तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में, तपने दो इस बदन की जलती आग में। बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो, बह जाने दो मुझे दरिया की धार
#sad_shayari तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में, तपने दो इस बदन की जलती आग में। बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो, बह जाने दो मुझे दरिया की धार
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White टूटी खिड़कियाँ, वो कच्चा मकान, जहां रहता था कभी सच्चा इंसान। मॉडर्न के बेहकावे में हम आकर, कैसे शरीफ दिखाता झूठा इंसान। रीति वो पुरानी कितनी प्यारी थी, जहां हफ्तों रुकता था हर मेहमान। भाईचारे की भावना एक हस्ती थी, अब भाई को नहीं मिलता सम्मान। अब किराए का शहर छोड़कर, उसी गांव में फिर से बस रहा इंसान। खो दिया है सबका अपमान कर, अब गैरों में ढूंढता है सम्मान। ये कैसा दौर चला है कलयुग का, देखकर भी कुछ न सीखता है इंसान। मुकर जाता है एक मदद के नाम से, अभय से ना रखता है जान-पहचान। ©theABHAYSINGH_BIPIN #sad_qoute टूटी खिड़कियाँ, वो कच्चा मकान, जहां रहता था कभी सच्चा इंसान। मॉडर्न के बेहकावे में हम आकर, कैसे शरीफ दिखाता झूठा इंसान। रीति वो
#sad_qoute टूटी खिड़कियाँ, वो कच्चा मकान, जहां रहता था कभी सच्चा इंसान। मॉडर्न के बेहकावे में हम आकर, कैसे शरीफ दिखाता झूठा इंसान। रीति वो
read moreAnjali Singhal
"एस.एस.वी.शिशु सदन रेलवे रोड हापुड़....शिक्षा का मंदिर...हमारा स्कूल...जी हाँ...उस दौर में हमारे इस स्कूल को हापुड़ में सर्वोच्च स्थान प्राप
read moreAdv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
White ज़िंदगी मौत की निशानी है..! कब मिटे वक़्त ने ही जानी है..! कद्र होती नहीं गरीबों की महफ़िलों की यही कहानी है..! नामवर ही तो सर का ताज हुए जिनकी दुनिया हुई दिवानी है..! गर बुढ़ापे को दर-ब-दर करदे ख़ाक जज्ब-ओ-जुनु जवानी है..! मुस्कुराहट खिले तो कैसे खिले बे-ज़रों का नसीब पानी है..! कौन किसकी सुने जमाने में सबको अपनी ही खुद सुनानी है..! ©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #कच्ची ग़ज़ल
#कच्ची ग़ज़ल
read moreAdv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
White ये रस्म जन्म मृत्यु की हर हाल में निभाना है याद रखना आज मुझे तो कल तुम्हें जाना है मेरी जिंदगी रहम-ओ-करम की मोहताज़ नहीं मेरे पास मेरी माँ की दुआओं का खजाना है न दे जिंदगी सौ बरस उम्र मुझे जीने को ए ख़ुदा दिन चार भी दे पर सुकूँ से बिताना है वक़्त बेवक़्त मेरी ज़र जमीं काम न आयेगी जो दिलों में जगह रही तो सबको आना है कुछ हुनर बड़ी मशक्क़त से कमाये हैं मैंने ए कद्रदानों आओ तुम्हें करिश्मा दिखाना है मैंने हुस्न तुम्हारा लिखा है अपनी ग़ज़ल में चिरैया आओ तो मेरे अँगना तुम्हें सुनाना है जिस तरह आया उसी तरह जाना है मुझे चंद रोज बाद क्या नाम तक रह जाना है ©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #कच्ची ग़ज़ल
#कच्ची ग़ज़ल
read moreJitendra Giri Hindu
"धर्म का आधार सेवा है, राजनीति का आधार न्याय है, और समाज का आधार नैतिकता। यदि गाय के मामले में हम तीनों को भूल जाएँ, तो हमारा पतन निश्चित है।" ©Jitendra Giri Goswami प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स मोटिवेशनल कोट्स हिंदी #nojohindi #Life #Constitution #hinduism गाय: धर्म, संविधान और समाज का आईना (संक्षिप्त
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