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Devesh Dixit
इश्क और अश्क़ इश्क और अश्क़ का तो, चोली दामन का साथ है। कहती है ये दुनिया सारी, इसमें कामदेव का हाथ है। इश्क है कुछ क्षण का पर, नेत्रों में अश्क़ बहुत गहरे हैं। कितने भी जुल्म सहलो पर, सुनने को यहाँ सब बहरे हैं। ये आकर्षण का ही जलवा है, जिसने इश्क को जन्म दिया। जातिवाद के इस भेदभाव ने, अश्कों को ही तब सार दिया। बुरे भाव को यूँ लेकर बैठे, इश्क का है जो नाम दिया। छत्तीस टुकड़े ही कर डाले, उसे अश्क़ का जाम दिया। समझो इश्क बदनाम हुआ, क्यों अश्कों को भरे हुए हो। लक्ष्य को अपने छोड़ दिया, क्यों जीवन से रुष्ठ हुए हो। इश्क और अश्क़ का तो, चोली दामन का साथ है। खत्म हुआ भरोसा देखो, ऊपर न किसी का हाथ है। .................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #इश्क_और_अश्क़ #nojotohindi #nojotohindipoetry इश्क और अश्क़ इश्क और अश्क़ का तो, चोली दामन का साथ है। कहती है ये दुनिया सारी, इसमें कामदेव
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
अबके फागुन मीत मिलेंगे , खेलेंगे हम रंग । वह पल होगा बड़ा सुहाना , जब हम होंगे संग ।। अबके फागुन मीत मिलेंगे... छेड़ रही सब सखियां कहके , उर में है आनंद । हो जायेंगी फिर तो देखो , सभी किवाडियाँ बंद ।। छलक रहा है मुख मंडल पे , आज खुशी का रंग । अबके फागुन मीत मिलेंगे.... मिलकर तुमसे यूँ ही होंगे , अपने गाल गुलाल । नही रहेगा अधर हमारे , कोई सुनो सवाल ।। तब ही बदले जीवन में फिर , सुन जीने का ढ़ंग । अबके फागुन मीत मिलेंगे.... चहक उठेगा मन मेरा ये , महक उठेगा अंग । दशो दिशा शहनाई गूँजें , और बजेंगे चंग ।। उठते पैर उधर पड़ते हैं, जैसे पी ली भंग । अबके फिगुन मीत मिलेंगे.... अबके फागुन मीत मिलेंगे , खेलेंगे हम रंग । वह पल होगा बड़ा सुहाना , जब हम होंगे संग ।। ०९/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अबके फागुन मीत मिलेंगे , खेलेंगे हम रंग । वह पल होगा बड़ा सुहाना , जब हम होंगे संग ।। अबके फागुन मीत मिलेंगे... छेड़ रही सब सखियां कहके ,
Rinku Tai
Niaz (Harf)
Congratulations to all ©Niaz (Harf) ✰✰✰✰✰✰✰✰✰✰✰✰✰✰✰✰✰✰ ╭━━━━━━━━━━━╮ #Alfaaz-e-Sukoon(harf) ╰━━━━━━━━━━━╯ ✰✰✰✰✰✰✰✰✰✰✰✰✰✰✰✰✰✰ ────────────────────── मित्रों, नमस्कार/आदाब #Alfaa
Ravendra
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
उसका जलवा कमाल है अब भी । वो नही मेरा मलाल है अब भी ।।१ देख उसको सभी अभी कहते । जान तुझ पर निहाल है अब भी ।।२ वो जो उसने कभी नही पूछा । लब पर वो ही सवाल है अब भी ।।३ सुर्खी जितनी लगा रही लब पर । सुर्ख उतने ही गाल है अब भी ।।४ रूख पे बेशक नकाब हो उसके । हाथ रखता रुमाल है अब भी ।।५ तूने देखा नही अभी उसको । लाखो में बेमिसाल है अब भी ६ मत बुला तू प्रखर सनम अपना । आ गई तो बवाल है अब भी ।।७ ३१/१२/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR उसका जलवा कमाल है अब भी । वो नही मेरा मलाल है अब भी ।।१ देख उसको सभी अभी कहते । जान तुझ पर निहाल है अब भी ।।२
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
उसका जलवा कमाल है अब भी । वो नही मेरा मलाल है अब भी ।।१ देख उसको सभी अभी कहते । जान तुझ पर निहाल है अब भी ।।२ वो जो उसने कभी नही पूछा । लब पर वो ही सवाल है अब भी ।।३ सुर्खी जितनी लगा रही लब पर । सुर्ख उतने ही गाल है अब भी ।।४ रूख पे बेशक नकाब हो उसके । हाथ रखता रुमाल है अब भी ।।५ तूने देखा नही अभी उसको । लाखो में बेमिसाल है अब भी ६ मत बुला तू प्रखर सनम अपना । आ गई तो बवाल है अब भी ।।७ ३१/१२/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR उसका जलवा कमाल है अब भी । वो नही मेरा मलाल है अब भी ।।१ देख उसको सभी अभी कहते । जान तुझ पर निहाल है अब भी ।।२
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- इश्क़ तुमको पुकारे चले आइए । राह तेरी बुहारे चले आइए ।।१ क्या हँसी हैं नजारे चले आइए । हम तुम्हीं को पुकारे चले आइए ।।२ यार छत पर कभी आप आये नज़र । तो करें हम इशारे चले आइए ।।३ पास बैठो कभी तो घड़ी दो घड़ी । जलवा तेरा निहारे चले आइए ।।४ होश बाकी रहा गर तुम्हें देखकर । जुल्फ़ तेरी सँवारे चले आइए ।।५ चाहता हूँ तुम्हें इक झलक देखना । प्राण से आप प्यारे चले आइए ।।६ लूट कर ले गई दिल हसीना वही । जो किया कल इशारे चले आइए ।।७ शाम तंहा यहां यार अपनी लगे । बाँह फिर हम पसारे चले आइए ।।८ दर्द का आज मारा प्रखर है पड़ा । आप ही है सहारे चले आइए ।।९ २९/१२/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- इश्क़ तुमको पुकारे चले आइए । राह तेरी बुहारे चले आइए ।।१
Ravendra