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HINDI SAHITYA SAGAR
छोड़कर यह शहर कहाँ जाऊँगा। लौटकर फ़िर यहीं पर ही आऊँगा।। ©HINDI SAHITYA SAGAR #Hum #शहर छोड़कर यह शहर कहाँ जाऊँगा। लौटकर फ़िर यहीं पर ही आऊँगा।। #Hindi #hindi_poetry #hindi_shayari #hindisahityasagar
HINDI SAHITYA SAGAR
kavi Hemant Lohiya
कवि मनीष
प्रेम और आशीष बरसा के, चली माँ फिर रूला के, फिर आऊँगी अगले बरस, चली माँ ये वादा करके, आँखों में है तेरे भी पानीं, क्यों छुपानें की कर रही ह
Eklakh Ansari
Vipul Mohan
तेरी मुश्किल ना बढ़ाऊंगा चला जाऊँगा अश्क़ आंखों मे छुपाउँगा चला जाऊँगा अपनी दहलीज़ पर कुछ देर रहने दो मुझे जैसे ही होश मे आऊंगा चला जाऊँगा मुद्दतो बाद मैं आया हूँ पुराने घर पे खुद को जी भर के रुलाऊँगा चला जाऊँगा #चला जाऊँगा
#Rahul
मेरा इश्क जिस दिन तुम्हारे लिए सजा बनेगा , वो दिन आने से पहले ही मै तुम्हे खुद ही छोड़ जाऊँगा ।। मत हो तुम परेशान ये खता तो मै नें की हैं , इस खता की सजा भी तो मै ही पाऊंगा ॥ #छोड़ जाऊँगा , , , , , , ,
Mithilesh Rai
मैं तुमसे दूर होकर जाऊँगा कहाँ? मैं अपने अश्क़ों को छुपाऊँगा कहाँ? जब बेहिसाब ग़म हैं मेरे ख़्यालों में- मैं अपनी मंज़िलों को पाऊँगा कहाँ?
Gunjan Dwivedi
यह शोर शराबा मेरा पिछा नहीं छोडता अब मन करता है, मै ही शहर छोडता कहाँ-कहाँ मैं भग के रहने जाऊँगा अब गाँव भी कहता, मै भी जल्दी शहर बन जाऊँगा।। बच्चों की छुट्टियों मे भी नजर नहीं आऊँगा अब लोगों के फार्म हाऊस पर ही दिख पाऊँगा शुध्द दूध, दही, घी क्या खाओगे यहाँ तक की शुध्द आक्सीजन भी नहीं पाओगे।। लेकिन मेरा मित है कहता, मुझे भी शहर आना है कुछ दिन बुढी माँ का ,बोझ नहीं उठाना है और मुझे भी बच्चों को , शहर मे पढाना है बस यही सोचता आज हमारा जबाना है ।। यह शोर शराबा मेरा पिछा नहीं छोडता अब मन करता है, मै ही शहर छोडता कहाँ-कहाँ मैं भग के रहने जाऊँगा अब गाँव भी कहता, मै भी जल्दी शहर बन जाऊँगा।। गाँव के छोटे किसानों को मत मिटाओ क्योंकि कोई बडा, किसान नहीं दिखता बिना अनाज के हमें से कोई इंसान नहीं टिकता ।। मैं कहु तो ,मेरे गांव को शहर मत बनाओ बस कुछ सुविधा वहाँ उपलब्ध कराओ ऐसा न हो तो ,मेरे शहर को ही गांव बना दो भले ही एक नया GST ग्राम सर्विस टैक्स लगा दो ।। यह शोर शराबा मेरा पिछा नहीं छोडता अब मन करता है, मै ही शहर छोडता कहाँ-कहाँ मैं भग के रहने जाऊँगा अब गाँव भी कहता, मै भी जल्दी शहर बन जाऊँगा।। गुंजन द्विवेदी । #OpenPoetry #gunjan dwivediयह शोर शराबा मेरा पिछा नहीं छोडता अब मन करता है, मै ही शहर छोडता कहाँ-कहाँ मैं भग के रहने जाऊँगा अब गाँव भी कहता,