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Mahadev Son

आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ सृजन हुआ जिसका नष्ट होना तय उसका सफर यही तक का यही तेरी ही भूल थी त्याग देगा भर जायेग #Life

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आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी
जन्म "मन" का, मरण " तन" का हुआ

सृजन हुआ जिसका नष्ट होना तय उसका 
सफर यही तक का यही तेरी ही भूल थी

त्याग देगा भर जायेगा "मन", इस तन से 
"मन" चंचल पर अज़र बस निर्भर कर्मों पर 

कर्म होंगें जैसे "मन" जन्म का "तन" पायेगा वैसे 
जैसे जेब में पैसे होते वैसे वस्त्र खरीदता तू 

हिसाब किताब सब यहाँ होता पैसों से 
वैसे मन का होता वहाँ सब कर्मों से 

पायेगा क्या भोगेगा क्या फिर से चंचल
"मन" को भी न मालूम वर्ना छोड़ता न

कभी इस "तन" को ...!

©Mahadev Son आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी
जन्म मन का, मरण तन का हुआ

सृजन हुआ जिसका नष्ट होना तय उसका 
सफर यही तक का यही तेरी ही भूल थी

त्याग देगा भर जायेग

Mahadev Son

आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ सृजन हुआ जिसका नष्ट होना भी तय उसका सफर यही तक का था ये तेरी भूल थी त्याग देगा तन भर #Life

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आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी
जन्म मन का, मरण तन का हुआ

सृजन हुआ जिसका नष्ट होना भी तय उसका 
सफर यही तक का था ये तेरी भूल थी

त्याग देगा तन भर जायेगा मन, इस तन से 
मन चंचल पर अज़र है बस निर्भर है कर्मों पर 

कर्म होंगें जैसे मन जन्म भी तन का पायेगा वैसे 
जैसे जेब में पैसे होते वैसे वस्त्र खरीदता तू 

हिसाब किताब यहाँ पैसों से होता जैसे 
वहाँ कर्मों से गणित मन का होता 

पायेगा क्या भोगेगा क्या फिर से
मन को भी न मालूम होता.....

वर्ना छोड़ता न कभी इस तेरे तन को...

©Mahadev Son आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी
जन्म मन का, मरण तन का हुआ

सृजन हुआ जिसका नष्ट होना भी तय उसका 
सफर यही तक का था ये तेरी भूल थी

त्याग देगा तन भर

Mahadev Son

आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ यही जीवन चक्र सृजन हुआ जिसका नष्ट भी होना तय उसका सफर यही तक ये तेरी ही भूल थी त्याग द #Bhakti

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आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी
जन्म मन का, मरण तन का हुआ

यही जीवन चक्र सृजन हुआ
जिसका नष्ट भी होना तय उसका
सफर यही तक ये तेरी ही भूल थी

त्याग देगा, भर जायेगा, मन इस तन से 
मन तो अज़र है बस कर्मों पे निर्भर है 

कर्म अच्छे होंगें जितने तन पायेगा वैसा
जैसे जेब में पैसे होते वैसे वस्त्र खरीदता तू 

गणित यहाँ माया का वहाँ कर्मों का
हिसाब किताब जैसा वैसा तन

पायेगा भोगेगा क्या फिर से मन को भी न
मालूम वर्ना छोड़ता न कभी इस तन को

©Mahadev Son आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी
जन्म मन का, मरण तन का हुआ

यही जीवन चक्र सृजन हुआ
जिसका नष्ट भी होना तय उसका
सफर यही तक ये तेरी ही भूल थी

त्याग द

Sachin Upadhyay

तन मिलाए बिन जो तुमने #Poetry #kavita #कविता #शायरी Shayari

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Praveen Jain "पल्लव"

#boatclub तन मन सब पागलपन बढ़ा रहा है #nojotohindi #कविता

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HARSH369

मन की व्यथा..!! कविता मन की

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Rajkumar Prasbi

विश्व कविता दिवस पर आप सभी को समर्पित #RKPrasbi #wishes

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Praveen Jain "पल्लव"

#relaxation स्वस्थ तन मन बनाना है #nojotohindi #कविता

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Mansha Sharma

मन के भाव तनहाई कविता nojato

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🍁मन के भाव 🍁
तन्हाई
दिख रहा है घुप अंधेरा क्या करे इन उजालो का हम 
जब साथी तु नही है मेरा 
हमे घेरे रहता है तेरी यादो का घेरा ना जाने कब होगा जीवन मे सवेरा 
यह तन्हाई हमे लगी डराने क्या करे तेरी याद जो लगी सताने 
तुम ना आने के ढूंढने लगे बहाने 
तुम्हे याद करते करते गला रुंध गया अश्क लगे बहने
 अब क्या कहे हमे तुमसे कुछ लफ्ज़ नही कहने
मनशा है लौट आओ 
अब तुम्हारे बिना हमे तन्हाई के दर्द नही है सहने 
अगर तुम्हे कुछ लिखना चाहूं लिख ना पाऊं जज्बात
कोरे कागज़ पर छलक ही जाती अंसुवन की धार 
क्यों छोड़ दिया मुझे इस तन्हाई की दुनिया मे बीच मझधार 
हम तो थे जन्म जन्म के साथी 
मनशा फिर क्यों बुझ गयी इस दिल की बाती 
टूट गये सांसो के तार टूट गये सांसो के तार 
स्वरचित _सुरमन_✍️
12/8/22

©Mansha Sharma #मन के भाव
#तनहाई 
#कविता 
#nojato

Mansha Sharma

मन के भाव रात कविता chaand nojato

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🍁मन के भाव 🍁
No_3317
रात 
रात एक उदास कविता है
एकांत रात मे ही मन के भाव की बहती सरिता है

अधूरा चांद जब बादलो से अठखेलियां करता है
तब मेरा मन कुछ लिखने को मचला करता है

उदास रात का चांद कुछ ठहराव कराता है
बिती बातो के किस्से याद कराता है

मनशा तो कोई नही किसी से
बस अश्क आंखों से बादल की तरह बरस जाता है

रात का चांद उदास कविता बन जाता है
बिखरी जिंदगी का एक हिस्सा बन जाता है
स्वरचित_सुरमन_✍️
29/11/2023

©Mansha Sharma #मन के भाव
#रात
#कविता 
#chaand 
#nojato
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