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Praveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी ताजगी तन मन की हो भुजाओ में बल भर लो योग और प्राणायाम करके स्वस्थ्य शरीर और आत्मा को जोड़ लो सतत ऊर्जा बह रही ब्राह्मण में ध्यान की धारा उससे जोड़ लो भोगवाद ही पतन का कारण है जीने के साधन कम कर दो योग सिर्फ साध्य है शरीर और आत्मा का भगवत्ता के दर्शन खुद अंतर्मन में कर लो प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Yoga ताजगी तन मन की हो भुजाओ में बल भर लो #nojotohindi
#Yoga ताजगी तन मन की हो भुजाओ में बल भर लो #nojotohindi #कविता
read moreBANDHETIYA OFFICIAL
हूं अपने आप का मैं उतना ही बड़ा निजाम, तू चापलूस, वफादार, किसी का जितना ही मुआ गुलाम। ©BANDHETIYA OFFICIAL #मन का राजा मैं।
Mohan Sardarshahari
White जब रातें हों सुनसान विचार बनते सैतान एक तेरी यादों का रैला धोता मेरे मन का मैला।। ©Mohan Sardarshahari # मन का मैला
# मन का मैला #शायरी
read moreदिनेश
एक ख़ामोशी सी है जीवन में, एक तूफान चल रहा है मन में। सारे अपने पराये हो गये क्योंकर ? बस यही सवाल गूंज रहा है जेहन में। मैं टूटता जा रहा हालातों से, दम घुट रहा मेरा इन झूठे जज्बातों से। "मेरे बुरे वक़्त में ये साथ देंगें" ताउम्र जीता रहा रहा मैं इसी भरम में। एक ख़ामोशी सी है जीवन में, एक तूफान चल रहा है मन में। ©दिनेश #dawnn मन का तूफान
Mahadev Son
आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म "मन" का, मरण " तन" का हुआ सृजन हुआ जिसका नष्ट होना तय उसका सफर यही तक का यही तेरी ही भूल थी त्याग देगा भर जायेगा "मन", इस तन से "मन" चंचल पर अज़र बस निर्भर कर्मों पर कर्म होंगें जैसे "मन" जन्म का "तन" पायेगा वैसे जैसे जेब में पैसे होते वैसे वस्त्र खरीदता तू हिसाब किताब सब यहाँ होता पैसों से वैसे मन का होता वहाँ सब कर्मों से पायेगा क्या भोगेगा क्या फिर से चंचल "मन" को भी न मालूम वर्ना छोड़ता न कभी इस "तन" को ...! ©Mahadev Son आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ सृजन हुआ जिसका नष्ट होना तय उसका सफर यही तक का यही तेरी ही भूल थी त्याग देगा भर जायेग
आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ सृजन हुआ जिसका नष्ट होना तय उसका सफर यही तक का यही तेरी ही भूल थी त्याग देगा भर जायेग #Life
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आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ सृजन हुआ जिसका नष्ट होना भी तय उसका सफर यही तक का था ये तेरी भूल थी त्याग देगा तन भर जायेगा मन, इस तन से मन चंचल पर अज़र है बस निर्भर है कर्मों पर कर्म होंगें जैसे मन जन्म भी तन का पायेगा वैसे जैसे जेब में पैसे होते वैसे वस्त्र खरीदता तू हिसाब किताब यहाँ पैसों से होता जैसे वहाँ कर्मों से गणित मन का होता पायेगा क्या भोगेगा क्या फिर से मन को भी न मालूम होता..... वर्ना छोड़ता न कभी इस तेरे तन को... ©Mahadev Son आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ सृजन हुआ जिसका नष्ट होना भी तय उसका सफर यही तक का था ये तेरी भूल थी त्याग देगा तन भर
आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ सृजन हुआ जिसका नष्ट होना भी तय उसका सफर यही तक का था ये तेरी भूल थी त्याग देगा तन भर #Life
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आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ यही जीवन चक्र सृजन हुआ जिसका नष्ट भी होना तय उसका सफर यही तक ये तेरी ही भूल थी त्याग देगा, भर जायेगा, मन इस तन से मन तो अज़र है बस कर्मों पे निर्भर है कर्म अच्छे होंगें जितने तन पायेगा वैसा जैसे जेब में पैसे होते वैसे वस्त्र खरीदता तू गणित यहाँ माया का वहाँ कर्मों का हिसाब किताब जैसा वैसा तन पायेगा भोगेगा क्या फिर से मन को भी न मालूम वर्ना छोड़ता न कभी इस तन को ©Mahadev Son आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ यही जीवन चक्र सृजन हुआ जिसका नष्ट भी होना तय उसका सफर यही तक ये तेरी ही भूल थी त्याग द
आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ यही जीवन चक्र सृजन हुआ जिसका नष्ट भी होना तय उसका सफर यही तक ये तेरी ही भूल थी त्याग द #Bhakti
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी तरक्की के दौर तकनीक ने ले लिये विलासिता के लिये जोखिम ले लिये तन मन सब पागलपन बढ़ा रहा है रोगों और डिप्रेशन में कराहने के बाद भी बाजार वाद का गुणगान गा रहा है जहां संवेदना लगाव का पुट ना हो वहाँ खुद का वर्चस्व पाने के लिये मानव सब कुछ अपना दाँव पर लगा रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #boatclub तन मन सब पागलपन बढ़ा रहा है #nojotohindi
#boatclub तन मन सब पागलपन बढ़ा रहा है #nojotohindi #कविता
read moreHARSH369
मन कि व्यथा मन ही जाने, ना तुम जान सको न मैं जानू क्या मन करवाये क्यू करवाये ये मन ना तुम जान सको ना हि मैं जानू.. बेधड़क बोलता हूं,बेखौफ बोलता हूं रिस्तो के बन्धन को कान्टों पर तोलता हूं जिसके पास जितना पैसा, उसी कि सरकार है बाकि बेकारो के लिये बेकार परिवार है,..! बाकि ये सब क्यूं बनाया भगवान ने ना तुम जान सके ना हि मैं जानू..! मन की व्यथा..मन हि जाने..!! ©SHI.V.A 369 #मन की व्यथा..!! #कविता मन की
मन की व्यथा..!! कविता मन की
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