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Ghanwat Devilal
नयाँ सवेराँ चलो कल की यादे भूलकर एक नई कहानी लीखते है नई दूनीया नई आशाये लेकर नयाँ कूछ लीखते है दूनीयावालो करे कोई बेईमानी या करे नफरत प्यार से हम सबको सीखलायेंगे प्यार मोहब्बत की कहाँनीया बयाँ करे हम (विजया दशमीच्या शूभेच्छा) घनवट देवीलाल 8/102019 नयाँ सवेरा
Neetu Sharma
क्यों करते हो उस चाहने वाले कि फिक्र उलझ ही गया है। उलझ जाने दो। जिस दिन सुलझेगा । उस दिन शायद गुलाब बनकर महकेगा।। अभी शमा उसकी महोब्बत कि धागें बुन रहा है।। हलचल तो थोङी-थोङी दिल भी कर रहा है। अरे जनाब वो अभी उलझने से नहीं डर रहा है। अभी नयाँ - नयाँ सा है ईश्क उसका। वो ईश्कियाँ कर रहा है।💕 (@@;)Neetu SharmA✍ अभि नयाँ - नयाँ सा है ईश्क उसका। अभि वो ईश्कियाँ कर रहा है।💕.....#nojotoapp#nojotogazal#nojotoinsta#love❤#MeraShehar
मुकेश दीवाना सिंगर जयपुर
Darshan Blon
दिन है नयाँ आँखों मे ख़्वाब नयाँ जोश है नयाँ जज़्बा नयाँ, बाधाएँ है नयी, अड़चनें भी नयी पर पा लूँगा मैं लक्ष्य को हर हाल मे क्योंकि मुझ मे आग है नयी मंज़िल तक पहुँचने की भूख है नयी l दिन है नयाँ आँखों मे ख़्वाब नयाँ जोश है नयाँ जज़्बा नयाँ, बाधाएँ है नयी, अड़चनें भी नयी पर पा लूँगा मैं लक्ष्य को हर हाल मे क्योंकि मुझ म
Gopal Dhami
अाजकाे नयाँ युगमा नाताकाे भन्दा धर्मकाे ठुलाे खिचातानि बढि छ।।
Navonmeshi_Raaj
नवरात्रि मेरी मैय्या का दिवस पावन! हुआ सह शुभवर्ष आगमन!! देवेगी मैय्या तभी शुभाशीष चित्त सुधार जब धरा का मानव! बनेगा राम,नही बनेगा रावण!! ✍-राजकुमारी #NojotoQuote जय माता दी🙏 (विक्रम संवत)२०७६,नव संवत्सर(नव वर्ष) की नोजोटो परिवार के सभी सदस्यों को शुभकामनाएँ💐💐 --- #nojoto #nojotohindi #nojotokavita #ka
Neetu Sharma
मेरा भारत गौरव कि गाथा।। क्या लिखुँ और क्या छोङ दूँ आधा-आधा। ये देश सम्पूणृता कि अभिलाषा।। ये देश प्रेम कि भाषा है।।। ईक गौरव गाथा। विरों कि धरती बलिदानो कि गाथा। एक भारत जो सोने कि चिङियाँ कहलाया।। कोहिनूर से नवाजा गया।। एक भारत जो नेहरू,सुभाष गाँधि कि सोच से विकसित हुआ, एक भारत जो चन्द्रशेखर कि आन और महाराणा प्रताप कि शान है।। यहिं तो विरो का सम्मान है। यहाँ अमन है।यहाँ प्यार है।। यहाँ धरा करती नित नयें श्रृंगार है। यहाँ खुशियों का ससांर है। यहाँ किरणें लेकर आती हर रोज नित नया सवेरा ।।। यहाँ पन्नाधाय ने लिखा बलिदान है। यहिं तो मेरें प्रिय भारत का व्याख्यान है।।।। रचता मेरा भारत हर दिन ईक नयाँ किर्तिमान है।। वो भारत देश है।मेरा, कोयल कि कुँक यहाँ भँवरो का शोर है।। फूलो मे रंग यहाँ बागों में मोर हैयहाँ भाषा ,बोली और खानपान में विभिन्नता और स्कृति के रंगो का स्वरणिम त्यौहार है। यहाँ सावन है। बहार है ऋतुओं का श्रृंगार है। यहाँ हर दिन नया त्यौहार है। यहाँ डाल पर तोता-मैना करते। मधुर गान है। हिन्दूं देश के ईसांन नेक और महान है। मिल के रहते यहाँ हिन्दू और मुसलमान है।ऐसा मेरा देश महान है। आजादी के लिखित यहाँ प्रमान है। यहाँ शुकुन है।यहाँ करार है। यहाँ हर ईक जाति में प्यार ,आदर और सत्कार है। यहाँ हर दिन होता ईक नयाँ त्योहार है। इसमे कुरान है। इसमें पुरान है। ईसमे धरा का स्वाभिमान है। यहाँ गिता रामचरित और पवित्रता कि प्रतिकृति सुन्दंर नारि सिता का स्वाभिमान है। लक्ष्मीं सरस्वती और अन्नपूरणा सी मिठास है।हाँ यहाँ घर-घर में आदर और सम्मान हैः लक्ष्मीबाँई कि तलवार और रजियाँ का गौरवगान है। यहाँ सबरी का विश्वास और माता कौशल्या के रूप मे राम कि आश है।. neetuशharmA✍ मेरा भारत महान है।...................🤝❤ यहाँ हर दिन होता नयाँ त्यौहार है। ......यहाँ बच्चें - बच्चें मे प्यार है।.....यहाँ हर दिन खुशियों कि
Baaj
हे रात! बात तो कर हमसे कोई एक, चीर रहीं हैं साँसे कान इस सन्नाटे में, कितना निहारें इस टिमटिमाते नूर को, बह जाएँ चाँद पाने चले ज्वारभाटे में। हे कोई एक बार, खुद से बातें करते करते हुआ मन भारी है, हर टूटते तारे के साथ थोड़ा और टूट गए, आवाज़ खनकने की भीतर अभी भी जारी है। हे रात! सुकून की तार तो जोड़ कोई एक, तरंग छिड़े रोम रोम में सुख की साँसों की, मन शीतल हो जाए चिंताओं से दूर कहीं, गोंद पक्की करदे गरमाहट तेरे हाथों की। - बाज - कभी चाँद निहारूँ कभी तारे गिनूं बैठ के, #रातकाअफ़साना अब किसको बयाँ करें, बहुत कुछ करना है पर है वक्त नहीँ इतना, अब बचे को पूरा करें या अच्छा
Divyanshu Pathak
ये धुंध कुहासा छंटने दो रातों का राज्य सिमटने दो प्रकृति का रूप निखरने दो फागुन का रंग बिखरने दो, प्रकृति दुल्हन का रूप धर जब स्नेह – सुधा बरसायेगी शस्य – श्यामला धरती माता घर -घर खुशहाली लायेगी, तब चैत्र-शुक्ल की प्रथम तिथि नव वर्ष मनाया जायेगा आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर जय-गान सुनाया जायेगा... नव संवत्सर (२०७६) ६ अप्रैल २०१९ पर हार्दिक बधाई एवं मंगलकामनाए मैं आप सब के समक्ष राष्ट्रकवि श्रद्धेय रामधारी सिंह ” दिनकर ” जी की कविता प्रस्तुत कर रहा हूँ । ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं है अपना ये त्य