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रिपुदमन झा 'पिनाकी'
अपनी अपनी पीठ सभी थपथपा रहे हैं। अपनी उपलब्धि की डफ़ली बजा रहे हैं। लेकिन पूछो हाल तनिक बाजारों का- वह तो अपनी अलग कहानी बता रहे हैं। औरों की मेहनत को अपनी बता रहे हैं। कामयाबी की लंबी फेहरिस्त गिना रहे हैं। किया जिन्होंने उनकी नहीं है कोई क़ीमत- लेकिन अपनी क़ीमत ऊँची उठा रहे हैं। अपनी नाकामी नज़रों से छुपा रहे हैं। पर करने वालों को फालतू बता रहे हैं। ऊपर वाला ख़ुद को ख़ुदा समझ बैठा है- नीचे वाले को सब नीचा दिखा रहे हैं। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©Ripudaman Jha Pinaki #आत्ममुग्धता
shailja ydv
आज समझ आया की व्यस्तता ही जीवन है, आराम बस एक रोग है, ज़ब आराम ज्यादा हो जाता है तब मन और शरीर का नाश पहले होने लगता है। ग़र जीवन में सुबह की नित्य- क्रिया, रसोईघर की क्रिया, और बस आराम हो, तो एक घुटन होने लगती है, एक ही काम से और रोज के आराम से, मन भागने लगता है, एक ही वातावरण के आवरण से। अजीब सी बेचैनी मन को घेरने लगती है, न जाने कितनी बीती बातें, कितने सपने सब आँखों के सामने से नाचते -भागते दिखते हैं। इसलिए हे मन, हे मानुष, हे नारी तू व्यस्त रह, मस्त रह, कर्मठ रह, भागता रह, नाचता रह, अपने सपने, अपनी उड़ान के पीछे उड़ता रह। क्यों आराम बस एक रोग है। ©shailja ydv #relaxation आराम बस एक रोग है
#relaxation आराम बस एक रोग है #ज़िन्दगी
read moreNirupama Mishra
White स्त्री हो या पुरुष... जो भी आत्ममुग्धता से भरा होगा वह हर बात अपने तरीके से मनवाना चाहेगा। ©Nirupama Mishra #आत्ममुग्धता #स्त्री_पुरुष #हर_बात
#आत्ममुग्धता #स्त्री_पुरुष #हर_बात #विचार
read moreRahul srivastava
#DearZindagi दिल गया तुम ने लिया हम क्या करें जानेवाली चीज़ का ग़म क्या करें इश्क़ एक रोग
इश्क़ एक रोग #DearZindagi
read moreShrikant D
हमे बोहोत शौक था मोहब्बत में पड़ने का किसी राहों में आने वाले चौराहे में रहने का ©Shrikant D #मोहब्बत एक रोग
#मोहब्बत एक रोग #जीवनअनुभव
read moreRahul srivastava
मैं सो भी जाऊँ तो क्या, मेरी बंद आँखों में तमाम रात कोई झाँकता लगे है मुझे ..... राहुल श्रीवास्तव इश्क़ एक रोग
इश्क़ एक रोग #शायरी
read moreDivyanjli Verma
भारत देश की इतनी आबादी मे, हर व्यक्ती सफल होना चाहता है, किसी को चाहिए सरकारी नौकरी, किसी को अधिकारी बनना है, किसी को अपना बिजनेस चमकाना है, किसी को नेता गिरी मे नाम कमाना है, सफ़लता अब खुशी की वज़ह कम, दुख, अवसाद, मानसिक तनाव और, हर रोज़ होने वाले जुर्म और आत्महत्या का, बन गया है सबसे बड़ा कारण, कुछ तो एसे भी है जो चाहते है, सफ़लता मिले तो सुन्दर लड़की मिलेगी, क्योंकि सफ़लता लाएगी पैसा, और पैसे से खरीदी जाएगी सुन्दरता। ©Divyanjli Verma सफ़लता एक रोग
सफ़लता एक रोग #कविता
read moreEk villain
यहां देखने को मिलता है कि गुणवान व्यक्तियों के भीतर वे आत्मा को नेता जाने स्वयं पर मुग्ध होने का अवगुण उत्पन्न हो जाता है फिर वह दूसरों के मुख से अपनी प्रशंसा सुनने की लालसा में रहते हैं यहां तक स्वयं की प्रशंसा गान से भी सक्रिय रहते हैं उन्होंने हर समय देना चाहिए कि सूरज स्वयं कहता है कि उसमें कितना तेज है या फिर सागर को यह प्रशन सुनने की अपेक्षा रहती है कि उसमें कितनी गहराई है विचारक नंबर भी सेंड तिल का कहना है हमने से अधिकांश के साथ परेशानी यही है कि हम आलोचना की वजह पर संसद से बर्बाद हो जाते हैं प्रशंसा सुनकर आत्म मुग्ध हो ना घातक है तथा अपने मुंह से अपनी प्रशंसा आत्मघाती होती है वास्तव में तो यही है कि हमारे गुण और अच्छे कर्म इतने सुगंधित होते हैं कि उनके संपर्क में आने वाले व्यक्ति भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता संभव है कि मैं आपके समक्ष आपकी प्रशंसा ना करें परंतु मन ही मन अपनी मुराद हो और उसकी अपनी प्रतिभा और गुणों से प्रेरणा पात्र हो उसके विपरीत कुर्बान होने के बावजूद अपने मुंह से अपने गुणों का व्याख्यान कर कर अपने ही व्यक्तित्व का अवमूल्यन करता रहे ©Ek villain #आत्मघाती आत्ममुग्धता #SunSet