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Divya Joshi
Divya Joshi
हाँ! ईश्वर ने हर बार हर कठिनतम परीक्षा के लिए मुझे चुना। हर बार अप्रत्याशित घटनाओं का सामना मैंने किया। लेकिन उन्होंने इन परीक्षाओं के दौरान मेरा हाथ नहीं छोड़ा। दुःख से बाहर निकल पाने के रास्ते उन्होंने गढ़े। अभी भी उनका साथ महसूस होता है उनके आशीष,अपनों के साथ और सबकी दुआओं प्रार्थनाओं के मज़बूत सहारे, ये कठिन वक़्त गुज़र जाएगा, बार बार यही प्रतीत होता है। मैं कृतज्ञ हूँ ईश्वर, मेरे माता पिता, अन्य परिजनों सहित कुछ रिश्तेदारों और मित्रों की, जो प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से मेरे साथ इस कठिन दौर में खड़े हैं। उन सबका साथ संबल देता है। इस जानलेवा जंग को जीतना माँ-पापा के बिना निश्चित ही मुश्किल होता। आत्मबल मुझे माँ, पापा और मम्मा से विरासत में मिला है। उन्होंने भी अनगिनत विषम परिस्थितियाँ देखीं, मगर कभी हार नहीं मानी, साहस नहीं खोया। उनका वह साहस हमें अब खुद में भरना है। हर मुश्किल घड़ी में ईश्वर किसी न किसी के रूप में राह दिखाते प्रतीत हुए। कभी माता पिता कभी मित्र कभी विभिन्न रिश्तों के रूप में प्रकट हो, उन्होंने सही मार्ग प्रशस्त किया। छह-सात महीनों की इस कठिन यात्रा में, जाने कौन-कौन से रंग दिखाएगा जीवन! न जाने कौन से मोड़ कौन से पड़ाव आएंगे और इंसान के रूप में न जाने और कितनी बार ईश्वर के स्वरूप के दर्शन करने को मिलेंगे! बेहद भाग्यशाली हैं हम कि हमें ईश्वर सदैव अपने करीब रखना चाहते हैं। उनके सानिध्य की दिव्य अनुभूतियाँ हमें करवाना चाहते हैं। कोटि कोटि प्रणाम के साथ... मन के मोती 21 अप्रैल 202 ©Divya Joshi कृपा तेरी हाँ! ईश्वर ने हर बार हर कठिनतम परीक्षा के लिए मुझे चुना। हर बार अप्रत्याशित घटनाओं का सामना मैंने किया। लेकिन उन्होंने इन परीक्षाओ
Divya Joshi
अब असल कहानियाँ अपने सुनाए जाने की राह देख रही हैं। वे अव्यक्त अनुभूतियां व्यक्त होने को छटपटा रही हैं। हर रुदन, हर कृन्दन, हर दुःख, हर निराशा, हर ख़ुशी, हर कृतज्ञता, हर भाव बाहर आना चाहता है, जो न जाने कहाँ कहाँ भटकने के बाद ICF के गलियारों में अपना सफ़र तय कर रहा है। ये खाली समय यूँ ही नहीं मिला है। अब कहानियाँ गढ़ी नहीं जाएंगी। ईश्वर की गढ़ी कहानियाँ कही जाएँगी। कहेगी ये कलम! जो अरसे से फिर चुप बैठी थी। और चुप बैठ पाना जिसकी फितरत में नहीं है! चाहे खुशी हो, गम या घोर निराशा! ये हर विषम परिस्थिति में चली है। और इस बार ये दुष्कर जंग भी जीतेगी। इस बार कलम चलेगी IIHNO से। यही वो मुकाम है, जो जीवन को बदलने वाला है। कुछ समय के लिए जीवन का पड़ाव यही है अब। इस अप्रत्याशित युद्ध को लड़कर जीतने की तैयारी हो चुकी है और तुम्हें हर हाल में जीतना है! शुभकामनाएं मन के मोती 19 अप्रैल 2023 @ divyajoshi ©Divya Joshi तुम्हें जीतना है। अब असल कहानियाँ अपने सुनाए जाने की राह देख रही हैं। वे अव्यक्त अनुभूतियां व्यक्त होने को छटपटा रही हैं। हर रुदन, हर कृन्द
Shalvi Singh
Shubhro K
जाओ... पर याद रखना... बड़ा ज़िद्दी होता है इश्क़ हमदम, फिर से लगाव न बन जाये, दिल का झरोखा शिद्दत से बंद करो...कोई सांस न रह जाये... ©Shubhro K Monika Rathee आपकी एक रचना ने मुझे ये विचार दिया... मैं कृतज्ञ हूँ....
Dinesh Sharma Dinesh