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Udaychaudhary
#maxicandragon
मै राम हॉ वही राम इस युग उस युग चाहे किसी भी युग कभी राम कभी परशुराम कभी तुकाराम राम हॉ वही राम नववर्ष की ही ग्यारस नही इस वर्ष भी ग्यारस वही वो भी 10 और ये भी 10 संहार तो तय है मान ले बस हर युग मे करूंगा हिसाब आगे हो रावण या फिर हो कसाब मै राम 10आनन लंकेश को मारूं बन तुका राम 10आए लश्कर संहारूं 26 दिवस पर्यंत अयोध्या आया जनमानस सब हर्षाया 26 को ही तू हत्थे आया सबमानस तब भी हर्षाया दीप जाओ मनाओ दिवाली हर युग राम करै रखवारी #परशुराम ही राम राम #खुदीराम भी राम राम #तुकाराम भी राम राम #श्रीराम श्री राम राम #26/11 #SadharanManushya #MumbaiTerrorAttack मै राम हॉ वही राम इस युग उस युग चाहे किसी भी युग कभी राम कभी परशुराम कभी तुकाराम राम हॉ वही राम नववर्ष की ही ग्यारस नह
Nidhi Upadhyay
तोड़ गुलामी की जंजीरे तिरंगे को फहराया था, लालकिले से भारत ने लोकतन्त्र का नारा लगाया था। आज़ादी थी ऐसी की पूरा देश हर्षाया था, मानो वर्षो बाद देश मे ईद का चांद नज़र आया था। जब दुनियां सपनो में खो रही थी, भारत आधी रात मुस्कुयां था। नमन शहीदो को करते ही, हर भारतवासी का दिल भर आया था। उपकार ईश्वर का जो इस धरती पे खुद को पाया, जहाँ लोगो ने हँसते-हँसते प्राणों को गवाया। जय_हिन्द🇮🇳🇮🇳 तोड़ गुलामी की जंजीरे तिरंगे को फहराया था, लालकिले से भारत ने लोकतन्त्र का नारा लगाया था। आज़ादी थी ऐसी की पूरा देश हर्षाया था
_suruchi_
मन मंदिर में मोहक मूरत मनमीत मनोहर मुरारी की श्याम रंग के श्यामको पूजे शांत सुकोमल राधाजी प्रीत में जिसकी पीड़ा हरले प्राणप्रिया मधुसूदन की रग रग में जब श्याम बसे हो रास न आवे रीत जगत की स्वर्ण सी ओजस मुखमंडल पर काली घटा लहराई जब पल पल के पालनहार ने देखो घनी जुल्फ उनकी सँवारी तब एक थी धारा प्रेम रंग की दूजी धारा मनमीत की रे धारा तिजी भक्ति भाव की प्रभु को सबसे न्यारी रे देख अनोखी प्रीत जगत की मनमयूर हर्षाया था राधाजी के श्वास मुरारी तो श्याम का तन मन राधा था मन मंदिर में मोहक मूरत मनमीत मनोहर मुरारी की श्याम रंग के श्यामको पूजे शांत सुकोमल राधाजी प्रीत में जिसकी पीड़ा हरले प्राणप्रिया मधुसूदन की
Krish Vj
"आलम-ए-तन्हाई" ने इस कदर "रुलाया" है "कांटों" के "बिछोने" पर हमको "सुलाया" है इश्क़ में मिली सज़ा हमें सारी रात "जगाया" है दिखा के "ख़्वाब" इन आँखों को "तड़पाया" है हँसते है रोते है, इश्क़ ने पागल सा "बनाया" है तन्हाई भी सिसकती, ग़म का कैसा "साया" है साँस चलती है, तू रोम रोम में मेरे "समाया" है तेरी परछाई को देखकर, मेरा मन "हर्षाया" है अकेलापन काटने को है, दर्द उमड़ "आया" है तेरी यादों ने हर रोज़ आकर मुझे "सताया" है ग़ज़ल:_तन्हाईयों का आलम आलम-ए-तन्हाई :_ तन्हाई की अवस्था #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #तन्हाई #आलम #kkpc19 #अल्फाज_ए_
Divya Joshi
देख स्वप्निल स्वर्ण मृग माता का मन हर्षाया पूर्ण करें उनकी इच्छा प्रभु का मन भी आतुर हो आया कहें लोग प्रभु की लीला क्यों प्रभु न जाने स्वर्ण मृग है छलावा खुद कैसे न पहचाने गर स्वर्ण मृग के पीछे प्रभु खुद न जाते लक्ष्मण को आवाज़ लगा फिर कैसे उन्हें बुलाते ऋषि पुत्र के संहार का फिर बनता कैसे कोई कारण आखिर कैसे मारा जाता फिर दुष्ट लंकेश रावण दिया हमें संदेश प्रभु ने दंड एकमात्र उसका संहार जब भी कभी कोई बुरी दृष्टि से यूँ देखेगा परनार ©Divya Joshi स्वर्ण मृग मारीच देख स्वप्निल स्वर्ण मृग माता का मन हर्षाया पूर्ण करें उनकी इच्छा प्रभु का मन भी आतुर हो आया कहे लोग प्रभु की लीला क्यों
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
आज कि नारी कल की नारी , नारी तो बस नारी होगी । जीवन ही देना अब जिसकी , देखो भागीदारी होगी ।। बिन नारी के कभी स्वयंवर , देख नहीं कोई रच पाया ।। नारी को साथी में पाकर , नर भी जीवन भर हर्षाया ।। नारी जब तक नारी होगी , जग में सुंदर क्यारी होगी ।। कहीं गंगा कहीं यमुना तो , यहीं मिसालें प्यारी होगीं ।। काटों में भी सुमन खिला दे , वहीं एक तो नारी होगी । आज कि नारी कल की नारी,नारी तो बस नारी होगी । बिन नारी के सफल न होते , काज कभी कोई जीवन के । नारी सा कोई मित्र मिलें न , जो पाक इरादे हों मन के ।। नारी ही नर को समझाए , चलो राह नित तुम सब चुनके । कदम-कदम पर ठोकर खाते , कैसे मानव हो तुम जग के ।। चल नारी के पद चिन्हों पे , अब राह सभी आसाँ होगीं । आज कि नारी कल की नारी , नारी तो बस नारी होगी ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR आज कि नारी कल की नारी , नारी तो बस नारी होगी । जीवन ही देना अब जिसकी , देखो भागीदारी होगी ।। बिन नारी के कभी स्वयंवर , देख नहीं कोई रच पाय
कवि राहुल पाल 🔵
सावन शुक्ल पक्ष है छाया ,नाग पंचमी त्यौहार है आया ! बरखा के संग संग देखो ,खुशियां की हरियाली लाया !! कावड़ियों की झूमे टोली देख देखकर मेरा मन हर्षाया ! नागपंचमी के शुभ अवसर पर राहुल छोटी कविता लाया !! नागवंश के तक्षक राजा ने ,धर बालक का था रूप लिया गुरु प्रभाव के कारण गरूड़राज ने उनको अभय दान दिया !! घटना घटी थी यह काशी में धन्य यह पावन नगरी थी ! इसलिये इस स्थल को ऋषियो ने "नागकुआँ " नाम दिया !! चलों री सखियों उत्तम पकवान बना महादेव को भोग लगायें ! दूध,दूर्वा,जल,कुशा,अक्षत,पुष्प से नागदेव को स्नान करायें !! घर को साफ सुथरा बना पुष्पों मालाओं से खूब सजायें ! झूला पड़ा आज कदम की डाली चलो झूला झूलन जायें !! उमंग और अरमान लिए बच्चे बूढ़े जमा हुए है मेले में ! टिकिया, फुल्की, चाट ,जलेबी सजी सजाई है ठेलो में !! कुछ बतियाये कुछ बतलाये कुछ व्यस्त है सर्कस खेलों में ! लगा है दंगल भीड़ बड़ी है ,उठा पटक की शोर लगी हुंकारों में !! ((( " राहुल " ))) #नागपंचमी #nojoto #nojotohindi #nojotonews #rahul सावन शुक्ल पक्ष है छाया ,नाग पंचमी त्यौहार है आया ! बरखा के संग संग देखो ,खुशियां की हरिय
R.S. Meena
छुट्टी और मानव छुट्टी, छुट्टी में जीवन कहीं छुट्टियों का पर्याय ना बन जाएँ। संघर्ष बिना जीवन, जीवन नहीं, कहीं सराय ना बन जाएँ।। हर मौसम में तैयार है मानव, सेवा भार उठाने में, फिर भी कोई कसर रहें ना, उनकी नींद उड़ाने में। मानव की नींद उड़ाने में कहीं खुद की नींद ना उड़ जाएँ। छुट्टी, छुट्टी में जीवन कहीं छुट्टियों का पर्याय ना बन जाएँ। राजा का पहला कर्तव्य जन-कल्याण ही होता है, पुत्र मोह में फँसकर धृतराष्ट्र पुरे वंश को खोता है। मानव को निर्बल समझ कहीं राजा रंक ना बन जाएँ। छुट्टी, छुट्टी में जीवन कहीं छुट्टियों का पर्याय ना बन जाएँ। हो सम्मान कर्म का, मानव चाहे कहीं से आया हो, श्रम करने में शर्म करे ना, सबके दिल पर छाया हो। साँस चले जब तक है जीवन, फिर कहानी बन जाएँ। छुट्टी, छुट्टी में जीवन कहीं छुट्टियों का पर्याय ना बन जाएँ। जन्म हुआ है मानव का, सारे जीवों का मन हर्षाया है, रक्षक बन मानव सबका, रक्षा में खुद को लगाया है। मान करे ना जो मानव का, वो फिर बीता कल बन जाएँ। छुट्टी, छुट्टी में जीवन कहीं छुट्टियों का पर्याय ना बन जाएँ। छुट्टी का अर्थ आराम नहीं होना चाहिए । 🙏🙏 छुट्टी और मानव छुट्टी, छुट्टी में जीवन कहीं छुट्टियों का पर्याय ना बन जाएँ। संघर्ष बिना जीवन, जीवन