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somnath gawade
दररोज जीवाची 'मुंबई' करून घेणाऱ्यांनी आयुष्यात एकदातरी जीवाचा 'गोवा' करण्यास हरकत नाही. #जीवाचा गोवा
Radhe Chandan jha
न सुधरी है हालात मेरी न सुधरेगा, पहले भी ठूसा के जाते थे आज भी जाएगा -मजदूर का ट्रैन जिसके बटुआ में होगा पैसा वही जहाज से उड़ जाएगा -अमीर का जहाज ©Radhe Chandan jha #DarkCity ट्रैन
Hariom Suryawanshi
सूरज आग उगलता हुआ सर के ऊपर था। ट्रैन के चलने का मुझे भी इंतज़ार था ,उसे भी इंतज़ार था। वो नाक में गुस्सा और चहरे में मासूमियत लिए ट्रैन के पहियों के घूमने की राह देखती अचनाक समा बदला ट्रैन का पहिया घुमा ,उसके चेहरे पे मुस्कुराहट उसकी नज़र मुझ पर ,मेरी नज़र उस पर उसकी नज़रो का तो पता नही ,मगर मेरी नज़रे उसके मुस्कुराते चहरे पर थम सी गई और सुरु हुई एक अनोखी कहानी to be continued...... ट्रैन वाला प्यार
Swapnil Parab
गोवा राज्यात मुसळधार. * सकाळपासून पणजीत सर्वाधिक ३२.६ मिमी पाऊस. पेडण्यात ३२.६, म्हापसा व काणकोणात प्रत्येकी २४, वाळपईत २१, मुरगावात २०, तर जुनें गोवेत १३.५ मिमी पावसाची नोंद. * पुढील दोन दिवस मुसळधार कायम, हवामान विभागाचा अंदाज ©Swapnil Parab गोवा राज्यात मुसळधार #rain
Anupam Mishra
गोवा! दस वर्ष पहले गई थी वहां अपनों संग मनाने को छुट्टियां, उत्साह से भरा था तन मन मेरा, लहरों संग झूमने को मन बेचैन था मेरा, सातवीं कक्षा में गई थी सागर किनारे, उसके बाद दस वर्ष तक कहीं जाना न हुआ शायद उस एक यात्रा में सब पूर्ण हुआ, तट पर बिताए उन लम्हों को संजोए रखा, लहरों के उस प्रेम को दिल ने अब भी जगाए रखा! गोवा पहुंचने से पूर्व हम गणपति पूले पहुंचे, वहां की पावन जमीन पर रात गुजारी हमने, सूर्यास्त और सूर्योदय दोनो का आनंद लिया हमने, समंदर के तट से उपर की लालिमा को जब देखा अनुभव हुआ ऐसा कि स्वर्ग में कुछ पल जीया हमने। जब हम पहुंचे मायानगरी गोवा स्थली जीवन जैसे तृप्त हुआ समझ लिया हमने, अद्भुत आनंदाभूती जागृत हुई मेरे मन में, बच्चों सा चिल्लाई, आसमान में उड़ने गई और समन्दर के बीच में मोटर पर सैर कर अाई, हां, वहां फेनी भी पी थी मैंने, पीकर खूब खेली, लहरों को ना जाने कब तक समझती रही सहेली। ©अनुपम मिश्र #Life #गोवा #समन्दर #लहरें
Hariom Suryawanshi
मैं उसके सामने ,वो मेरे सामने मेरी नज़र उस पर पड़ती, वो मुस्कुरा कर मुह फेर लेती। उसकी नज़र मुझ पर पड़ती ,मैं शर्मा कर मुह फेर लेता। वो भी मुझ से कुछ पूछ लेना चाहती थी ,मैं भी उससे कुछ जान लेना चाहता था घड़ी की सुई टिक-टिक करती आगे बढ़ी, और हमारी नज़रे -नज़रे की बाते जुबा में उतरी। मैंने भी उससे पूछा उसने भी मुझसे पूछा ,"नाम क्या है तुम्हारा"। पहिये ट्रैन को उसकी मंजिल की ओर ले जा रहे थे, और हमारी बाते हमे एक -दूसरे के करीब। समा फिर बदला ,ट्रैन का पहिया रुका हमारी मंजिल का स्टेशन एक ही था दोनो ने ट्रेन का साथ छोड़ा, एक -दूसरे का हाथ थामा मैं उससे कुछ कह देना चाहता था ,वो मुझसे कुछ सुन लेना चाहती थी मैन वक्त लिया और "चाय" offer किया उसने मुस्कुराया और offer स्वीकार किया दोनो के बीच लगभग 600 seconds के सन्नाटे के बाद मैन pocket से wallet निकाला और सारी कहानी बदल गई to be continued....... ट्रैन वाला प्यार part 2