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Rahul Sharma
मेरी हर तमन्ना हर खुशी मरती गई किस्मत जो मिला प्यार कभी कहीं उस पर भी बदकिस्मती भारी रही वो आए और गए ये जिंदगी थी वीरान ही रही ©Rahul Sharma #retro वीरानियां
Andy Mann
White ख़त्म होने को हैं अश्कों के ज़ख़ीरे भी 'मान' रोए कब तक कोई इस शहर की वीरानी पर ©Andy Mann #वीरानियाँ 0 sana naaz Neelam Modanwal @hardik Mahajan Ranjit Kumar Neel Jk Ashutosh Mishra narendra bhakuni AD Grk Sanjana पथिक.. Ramesh
Shivkumar
" तेरे जाने के बाद से घर के आइनो पर धूल चढ़ी है, वह अख़बार, वह गुलाब, वह किताबें, सब वहीँ वैसी ही रखी हैँ ,, वह चाय का कप और हिसाब की किताब, बिस्तर के सरआने पर बिलकुल वैसी ही अधूरी रखी हैँ ,, जहाँ बिताए थे कुछ पल बैठकर साथ अब वहां धूल चढ़ी है, जहाँ चलते थे दो कदम साथ वहां अब दूब बढ़ गयी है ,, तेरे जाने के बाद से वह हमारी तस्वीर अब अधूरी रह गयी है, रंग सब सूख गए हैँ और तस्वीर में रंग की जगह खाली रह गयी है ,, तेरे गिटार के तार अब टूट गए हैँ तेरी आधी पढ़ी कहानी की किताब अभी वहीँ पड़ी है, उन गीतों का क्या होगा जिसकी धुन अभी आधी बनी है ,, घर की चाबी अभी भी उस दराज़ में तेरे छल्ले के साथ मैंने रखी है, वह पर्दे जो जो लगाए थे कमरों में रंग भरने उन पर अभी कुछ धूल चढ़ी है ,, वह कमरा जहाँ बिताए थे पल यादगार, वीरान हो गया है, वह कंघा, वह आइना, अभी भी तेरे टूटे बाल, तेरी बिंदिया के निशान खोज रहा है ,, वह कमरे की खिड़की अभी भी आधी खुली है, कुछ छनी धूप वहां से झाँक रही है ,, वह खुश्क़ चादर अपनी अब भी कोने में पड़ी है, तेरी टूटी हुईं चूड़ियाँ भी मैंने वहीँ सहेज कर रखी है ,, ~शिवकुमार बर्मन ✍🥀 ©Shivkumar #aaina #आइना #दर्पण #Nojoto #nojotohindi #कविता " तेरे जाने के बाद से घर के आइनो पर धूल चढ़ी है, वह अख़बार, वह गुलाब, वह किताबें, सब वहीँ
Hisamuddeen Khan 'hisam'
Village Life आबाद वीरानों को कर दें आ। निशाना निशानों को कर दें आ। जो हमारी शिकस्त के इंतजार में हैं, नींद से बेदार दीवानों को कर दें आ। 20/04/2024 बेदार =जगा देना ©Hisamuddeen Khan 'hisam' आबाद वीरानों को..... हिसाम #Poetry #Nojoto #poetrywithhisamuddeenkhanhisam #villagelife uvsays udass Afzal khan FURKAN KHARODIYA ABRAR Saty
Shivkumar
Autumn ये पत्तों , पेड़ की टहनियों से , जुदा होने का मौसम है । उन्हें तन्हा छोड़ दे क्योकि ये , हवाओं से इश्क लड़ाने का मौसम है ।। नम की आंखों से गम झांकती ये , टहनियों के वीराने का मौसम है । जो शाख से टूटकर जा चुके , अब उन्हें भुलाने का ये मौसम है ।। गर्म हवाओं से दूर ये , सर्द हवाओं का ये मौसम है । तु बहार ए वफ़ा की न फिक्र कर , ये बेवफाओं का ये मौसम है ।। वो जो हमसे बंधन को तोड़ कर जा चुके , उनके मिट जाने का ये मौसम है । जाने भी दो अब बहारो से कोंपले फूटेगी शाख पर , सोचकर जश्न मनाने का ये मौसम है ।। ये पतझड़ है । ©Shivkumar #autumn #पतझड़ #पतझड़ #Nojoto ये पत्तों , पेड़ की टहनियों से , जुदा होने का #मौसम है । उन्हें तन्हा छोड़ दे क्योकि ये , हवाओं से #इश्क