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Sangeeta Kalbhor
बाकी असणारचं आहे.. वाटतात गाडून टाकाव्यात मनातल्या भावना अगदी खोल खोल...त्या कोणाच्याही नजरेस येऊच नयेत...किंबहुना मीही कधी त्या उकरायच्या म्हंटल्या तरी त्याचे माणिकमोती बनावेत आणि यावे त्या विचारांनी आपल्या दुसऱ्या रुपात... हे असे म्हणण्या पाठीमागचे कारण असे आहे ना की काही भावना उगाचंच आपले मानसिक स्वास्थ्य खराब करतात... काही काही देणेघेणे नसताना... येते मरगळ मनाला आणि नंतर शरीराला आणि मग एकूणच जगण्याला..तेव्हा मग नको नको जीव होतो... शांत व्हायला आणि त्यातून बाहेर पडायला मनाची आणि विचारांची कोण मशागत करावी लागते काय सांगू... आणि मला तर या विचारांचा आणि भावनांचा जाम त्रास होतो...अगदी नको नकोसा करणारा.. एक ठराविक वेळ आणि काळ जाईपर्यंत हे विचारांचे गारुड नाही हटत ध्यान पटलावरुन... सारखे आपले तेचं तेचं आठवून आणि साठवून होतो त्रागा जो कधीकधी मलाही कळत नाही का आणि कशासाठी... तसं पाहिले तर या जीवसृष्टीमध्ये कोण कोणाला समजून घेते हो...अगदी जीवातला जीव जरी काढून ठेवला तरी एखाद्या दगडाला तो काय समजणार? निर्दयी त्या जीवाला मारेल ठोकर आणि म्हणेल... " बसं...की अजून काही' ' अशा वेळेस हा आपला मुर्खपणा असतो तो कळतो आपणास पण जेव्हा जीव हेका धरतो ना तेव्हा सगळ्या जाणीवा आणि विचारांना तिलांजली मिळालेली असते.. शहाण्यातला शहाणा आणि लहाणातला लहाणही या मनाच्या आणि जीवाच्या पुढे गुडघे टेकवतो.. स्वतःला अपराधी मानतो...हताश होतो... हे थोडे अधिक प्रत्येकाच्या बाबतीत झालेले असते...असावे... मग यावर उपाय काय तर मनावर लगाम घालायचा ...हासूड मारायचा आणि तरीही विचार नाहीत थांबले तर सरळ वेसन घालायची... जरा जरी इकडे तिकडे विचार किंवा भावना झाली की लगेचच इकडून दोर कसायचा...जाम...म्हणजे लागेल ओढ आणि थांबेल विचार रुपी जनावर..तिथल्या तिथे आणि राहील शांत जिथे आपल्याला हवे असेल... मला तरी असे वाटते की आपण आपले असतोच कुठे जेणेकरून आपण झोकून द्यावे एखाद्या भावनेत आपल्याला... अनेक नात्यांची गुंफण बनली की एक अख्खं आयुष्य आपल्याला मिळते...महत्प्रयासाने.. काय अधिकार असतो आपला आपल्यावर... नक्कीच नाही... जेव्हा केव्हा येतील भावनांचे ढग एकवटून तेव्हा आवश्यक असेल तर त्या ढगांना होऊ द्यावे रिक्त मनसोक्तपणे... कुठलाही आणि कोणाचाही विचार न करता जावे आपण आपल्या अंतःकरणाच्या प्रांगणात...प्यावे वारे आणि व्हावे टपोरे थेंब...सर्वांगावरुन अलगद ओघळणारे आणि तनामनाच्या संपूर्ण जाणीवांना नखशिखांत मुग्ध करणारे... व्हावा आपणच आपला सखा आणि लावावे पळवून दुःखा..... जमेल का हे मला तरी जे मी माझ्या लेखणीतून स्त्रवू दिलेय.... कदाचित...नव्हे ...नक्कीच होईल... आताच पहा ना माझी भावनांची उतरंड बरीच वरपर्यंत रचत चालली होती पण जसजसा मी उतरंडीच्या पहिल्या गाडग्याचा विचार केला आणि पाहिले आत तर खरंच काही नाही सापडले हो...तिथे केवळ रिक्त पोकळी होती जिच्यात मला हवे ते भरता येईल अशी....असेच वरच्या प्रत्येक गाडग्यात आढळले... मग मी प्रत्येक गाडग्याचा विचार केल आणि भरुन टाकले मला घडविणाऱ्या विचारांनी... आता ना कुठला विचार ना कुठली भावना... आता आहे फक्त नव्याने आपल्याशा केलेल्या भावना आणि त्यांना जगविण्यासाठी स्वतःला जगविण्याचा अट्टाहास..... बाकी असणारच आहे लेखणीत नेहमी मी माझी..... गढलेली...दडलेली आणि वेढलेली..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #Hope बाकी असणारचं आहे.. वाटतात गाडून टाकाव्यात मनातल्या भावना अगदी खोल खोल...त्या कोणाच्याही नजरेस येऊच नयेत...किंबहुना मीही कधी त्या उकरा
Dhanraj Gamare
cjcjffjfjfjfjfjpfjfjfkgkfgfkfkfk ©Dhanraj Gamare जागतिक महिला दिनाच्या निमित्ताने गझल काव्य संध्या व बुककट्टा टीम ( पिंपरी चिंचवड) यांच्या संयुक्त विद्यमाने आयोजित दुसरे कवी संमेलन २०२४
Smruti Ranjan Mohanty
Blue Moon A LOOK AT LIFE-148 BY-SMRUTI RANJAN MOHANTY Let me lose To enjoy my victory to the full Let me endure To relish my moments of happiness for sure Let me part To enjoy the beauty of reunion Let me work To find and feel my leisure Let me remain awake To enjoy my Let me remain in wants To enjoy my affluence Let me go close to death To feel the charm of life Without darkness Light has no meaning Without one the other is so incomplete I am not afraid of the other I want both To make my life full and complete. Smruti Ranjan Mohanty© 16.3.2021 ଓଡ଼ିଆ ସଂସ୍କରଣ ଜୀବନ ଏକ ଦୃଷ୍ଟିପାତ-148 ସ୍ମୃତି ରଞ୍ଜନ ମହାନ୍ତି ମୋତେ ହାରିବାକୁ ଦିଅ ବିଜୟର ସ୍ୱାଦରେ ଉଲ୍ଲସିତ ହେବାକୁ ମୋତେ ସହିବାକୁ ଦିଅ ସୁଖର ମୂହୁର୍ତ୍ତମାନଙ୍କୁ ସାଉଁଟିବାକୁ ମୋତେ ବିଛେଦରେ ରହିବାକୁ ଦିଅ ମିଳନର ସୌନ୍ଦର୍ଯ୍ୟକୁ ଭରପୁର ଉପଭୋଗ କରିବାକୁ ମୋତେ କାମରେ ହଜିବାକୁ ଦିଅ ଅବକାଶରେ ଭିଜିବାକୁ ମୋତେ ଜାଗ୍ରତ ରହିବାକୁ ଦିଅ ଶୋଇ ଶୋଇ ସ୍ବପ୍ନ ଦେଖିବାକୁ ମୋତେ ଅଭାବରେ ରହିବାକୁ ଦିଅ ପ୍ରାଚୁର୍ଯ୍ୟରେ ଭାସିବାକୁ ମୋତେ ମୃତ୍ୟୁ ପାଖକୁ ଯିବାକୁ ଦିଅ ଜୀବନର ମଧୁ ପିଇବାକୁ ଅନ୍ଧକାର ବିନା ଆଲୋକର କୌଣସି ଅର୍ଥ ନାହିଁ ଦୁଃଖବିନା ସୁଖର ସଂଜ୍ଞା ନାଁହି ଗୋଟିଏ ବିନା ଅନ୍ୟଟି ଅସମ୍ପୂର୍ଣ୍ଣ ମୁଁ କାହାକୁ ନେଇ ଭୟଭୀତ ନୁହେଁ ମୁଁ ଉଭୟଙ୍କୁ ଭଲପାଏ ଜୀବନକୁ ପୂର୍ଣ୍ଣଭାବେ ଉପଭୋଗ କରିବାକୁ ସ୍ମୁରୁ ରଂଜନ ମହାନ୍ତି © https://smrutiweb.wordpress.com/2021/03/27/a-look-at-life-148/ ©Smruti Ranjan Mohanty #bluemoon A LOOK AT LIFE-148 BY-SMRUTI RANJAN MOHANTY Let me lose To enjoy my victory to the full Let me endure To relish my moments of
N S Yadav GoldMine
अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर सुबह जल चढ़ाना चाहिए आइये विस्तार से जानिए !!🍋🍋 {Bolo Ji Radhey Radhey} वैशाख अमावस्या :- 🌿वैशाख का महीना हिन्दू वर्ष का दूसरा माह होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी माह से त्रेता युग का आरंभ हुआ था। इस वजह से वैशाख अमावस्या का धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है। दक्षिण भारत में वैशाख अमावस्या पर शनि जयंती मनाई जाती है। धर्म-कर्म, स्नान-दान और पितरों के तर्पण के लिये अमावस्या का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। काल सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिये भी अमावस्या तिथि पर ज्योतिषीय उपाय किये जाते हैं. वैशाख अमावस्या व्रत और धार्मिक कर्म :- 🌿प्रत्येक अमावस्या पर पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए व्रत अवश्य रखना चाहिए। वैशाख अमावस्या पर किये जाने वाले धार्मिक कर्म इस प्रकार हैं. 🌿इस दिन नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देकर बहते हुए जल में तिल प्रवाहित करें। 🌿पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण एवं उपवास करें और किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें। 🌿वैशाख अमावस्या पर शनि जयंती भी मनाई जाती है, इसलिए शनि देव तिल, तेल और पुष्प आदि चढ़ाकर पूजन करनी चाहिए। 🌿अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर सुबह जल चढ़ाना चाहिए और संध्या के समय दीपक जलाना चाहिए। 🌿निर्धन व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन और यथाशक्ति वस्त्र और अन्न का दान करना चाहिए। पौराणिक कथा :- 🌿वैशाख अमावस्या के महत्व से जुड़ी एक कथा पौराणिक ग्रंथों में मिलती है। प्राचीन काल में धर्मवर्ण नाम के एक ब्राह्मण हुआ करते थे। वे बहुत ही धार्मिक और ऋषि-मुनियों का आदर करने वाले व्यक्ति थे। एक बार उन्होंने किसी महात्मा के मुख से सुना कि कलियुग में भगवान विष्णु के नाम स्मरण से ज्यादा पुण्य किसी भी कार्य में नहीं है। धर्मवर्ण ने इस बात को आत्मसात कर लिया और सांसारिक जीवन छोड़कर संन्यास लेकर भ्रमण करने लगा। एक दिन घूमते हुए वह पितृलोक पहुंचा। वहां धर्मवर्ण के पितर बहुत कष्ट में थे। पितरों ने उसे बताया कि उनकी ऐसी हालत तुम्हारे संन्यास के कारण हुई है। क्योंकि अब उनके लिये पिंडदान करने वाला कोई शेष नहीं है। यदि तुम वापस जाकर गृहस्थ जीवन की शुरुआत करो, संतान उत्पन्न करो तो हमें राहत मिल सकती है। साथ ही वैशाख अमावस्या के दिन विधि-विधान से पिंडदान करो। धर्मवर्ण ने उन्हें वचन दिया कि वह उनकी अपेक्षाओं को अवश्य पूर्ण करेगा। इसके बाद धर्मवर्ण ने संन्यासी जीवन छोड़कर पुनः सांसारिक जीवन को अपनाया और वैशाख अमावस्या पर विधि विधान से पिंडदान कर अपने पितरों को मुक्ति दिलाई। ©N S Yadav GoldMine #wholegrain अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर सुबह जल चढ़ाना चाहिए आइये विस्तार से जानिए !!🍋🍋 {Bolo Ji Radhey Radhey} वैशाख अमावस्या :- 🌿वैशा
N S Yadav GoldMine
धर्म शास्त्रों में यह बताया गया है, कि किस देवी या देवता को क्या चढ़ाना सही होता है और क्या नहीं जरूर पढ़िए !! 📜📜 {Bolo Ji Radhey Radhey} महादेव को अर्पित 8 तरह के पत्ते:- 🌻 हिंदू धर्म शास्त्रों में अलग-अलग देवी-देवताओं की पूजा पाठ को लेकर कुछ विशेष नियम और विधान बताए गए हैं। धर्म शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि किस देवी या देवता को क्या चढ़ाना सही होता है और क्या नहीं। माना जाता है कि पूजन के दौरान यदि सही विधि विधान से भगवान की आराधना की जाए, तो वह प्रसन्न होकर आपकी मनोकामना अवश्य पूरी करते हैं। 🌻 ऐसे में यदि बात की जाए भगवान भोलेनाथ की, तो भगवान शिव के पूजन से जीवन के सभी दुख दूर होते हैं। धर्म शास्त्रों में भगवान शिव को अर्पित की जाने वाली बहुत सी चीज़ों के बारे में बताया गया है। इन्हें भगवान शिव को अर्पित करने से वे अपने भक्तों से प्रसन्न रहते हैं। पीपल के पत्ते:-🌻 यदि सोमवार के दिन भगवान शिव को चढ़ाने के लिए आपके पास बेलपत्र नहीं है। तो आप भगवान शिव को पीपल के पत्ते भी अर्पित कर सकते हैं। सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के पत्तों से भगवान शिव का पूजन करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। अपामार्ग:-🌻 अपामार्ग जिसे चिरचिटा के पौधे के नाम से भी जाना जाता है। इस पौधे के पत्ते को भी शिवलिंग पर अर्पित कर सकते हैं। माना जाता है, कि अपामार्ग के पत्तों को शिवलिंग पर चढ़ाने से जीवन में सुख शांति और समृद्धि आती है। धतूरा:-🌻 धतूरे का फल और इसके पत्ते दोनों ही भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है, यदि आपके पास भगवान शिव को चढ़ाने के लिए धतूरे का फल नहीं है तो आप इसके पत्ते भी शिवलिंग पर चढ़ा सकते हैं। भांग:-🌻 भगवान भोलेनाथ के अभिषेक में भांग का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा आप शिवलिंग पर भांग के पत्तों को भी अर्पित कर सकते हैं। दूर्वा:-हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार दूर्वा अमृत के समान होती है, यदि आप शिवलिंग पर दूर्वा घास चढ़ाते हैं. तो आपको दीर्घायु होने का आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है। बांस के पत्ते:-🌻 मान्यताओं के अनुसार यदि आप भगवान शिव को पूजन के दौरान बांस के पत्ते चढ़ाते हैं। तो ऐसा करने से आपको संतान सुख की प्राप्ति हो सकती है। शमी के पत्ते:-🌻 शिव पुराण में बताया गया है कि भगवान शिव को शमी के पत्ते अत्यंत प्रिय है। माना जाता है कि शमी के पत्ते शिवलिंग के साथ-साथ भगवान गणेश को भी चढ़ाए जाते हैं। महादेव को शमी के पत्ते अर्पित करने से व्यक्ति की सभी समस्याएं दूर होती हैं, साथ ही शनि दोष भी कम होता है।। ©N S Yadav GoldMine #thepredator धर्म शास्त्रों में यह बताया गया है, कि किस देवी या देवता को क्या चढ़ाना सही होता है और क्या नहीं जरूर पढ़िए !! 📜📜 {Bolo Ji Radhe
Himanshu Prajapati
👉🏻💔मोहब्बत💔👈🏻 दो वक्त की बात थी चार दिन की चांदनी हो गई, शुरू होने से पहले ही अमावस्या की रात आ गई..! ©Himanshu Prajapati #quotation 👉🏻💔मोहब्बत💔👈🏻 दो वक्त की बात थी चार दिन की चांदनी हो गई, शुरू होने से पहले ही अमावस्या की रात आ गई..!