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Pandit Deepak Shastri
अस्माकं दृष्टिः पाठयेम संस्कृतं जगति सर्वमानवान् ! प्रापयेम भारतं सपदि परमवैभवम् !! ©Pandit Deepak Shastri जयतु संस्कृतम्। #संस्कृतं_जनभाषा_भवेत् #nojato #Sanskrit #संस्कृत #संस्कृतसेवका: #PrideMonth
Jay Pandey
Poet Shivam Singh Sisodiya
#OpenPoetry अन्नदानं परं दानं विद्यादानं ततः परम् | अन्नेन क्षणिकाः यावज्जीवं च विद्यया || अर्थ- अन्न का दान श्रेष्ठ दान है किंतु विद्या का दान उससे भी बढ़कर है | अन्न के द्वारा थोड़े समय के लिये जीवन मिलता है जबकि विद्या (शिक्षा) जीवन भर साथ देती है | जयतु संस्कृतम् जयतु भारतम् 🚩 अन्नदानं परं दानं विद्यादानं ततः परम् | अन्नेन क्षणिकाः यावज्जीवं च विद्यया || अर्थ- अन्न का दान श्रेष्ठ दान है किंतु विद्या का दान उससे भी
Vimal Pandey Jyotishi ji
मन्त्रे तीर्थे द्विजे देवे, दैवज्ञे भेषजे गुरौ l यादृशी भावना यस्य, सिद्धिर्भवति तादृशी ।। मंत्र, पवित्र नदी का जल, ब्राह्मण, भगवान्, ज्योतिषी, औषध और गुरु इनके उपर जिसकी जैसी श्रद्धा होगी वैसा उसको फल मिलेगा ©Vimal Pandey Jyotishi ji #Sanskrit #संस्कृतम्
LAV SHUKLA
उद्योगिनं पुरुषसिंहमुपैति लक्ष्मीः, दैवेन देयमिति कापुरुषा वदन्ति। लक्ष्मी परिश्रमी पुरुष रूपी सिंह का वरण करती है। 'भाग्य में जो है वो मिलेगा' ये कायरों का वचन है।। दैव दैव आलसी पुकारा। #sanskrit #संस्कृतम्
kunal shrotriy
हिंदी दिवस बदले संसार के पहरे पर है झूठ का पर्दा लहर रहा कही भाई भाई को मार रहा कही द्वेष पुत्र से झलक रहा. बदल रही हर शख़्स की नियत... बदल रहा ये जहान है धन माया के ज़ंज़ीरो से घिरा हुआ हर इंसान है धरती तो यहाँ हुई पापमयी बचा हुआ आसमान है पावन पुण्य धरा पर अब तो हर शख़्स बना हैवान है.. कुरीतियों मे समाज ढल रहा इनसे मानव कैसे छूटे प्राणघाती धन के लालच से मोह मनुज का कैसे छूटे.. कथनी करनी मे न अंतर हो सुविचार पले सबके मन मे अब राष्ट्र भक्ति से ओतप्रोत हो दायित्व बौध हो जन जन मे... उठो जागो लक्ष्य को साधो सार्थक जीवन को बनाना है एक्यबलं के साधन से विकसीत भारत को बनाना है है वक़्त आ चला उठने का कर्मठ भारत को बनाना है एक्यबलं के साधन से विकसित भारत को बनाना है... 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 #जयतु भारतं#
poonam
जो लोग आशा के दास होते हैं वे सब लोगों के दास होते है ।किन्तु आशा जिनकी दासी होती है,लोग उनके दास बनकर आचरण करते है । संस्कृतम् saying
संस्कृतसर्वत्र
अर्थानाम् अर्जने दु:खम् अर्जितानां च रक्षणे। आये दु:खं व्यये दु:खं धिग् अर्था: कष्टसंश्रया:॥ धन के कमाने में दुःख है, कमाने के बाद धन के संरक्षण में दुःख है, आय में दुःख है, व्यय में दुःख है, कष्ट के आश्रय धन को धिक्कार हैं! _शिवा सारस्वत _शाश्वतानंद जयतु संस्कृत
LAV SHUKLA
यः इच्छत्यात्मनः श्रेयः प्रभूतानि सुखानि च। न कुर्यादहितं कर्म स परेभ्यः कदापि च।। जो व्यक्ति अपना कल्याण एवं अनन्त सुख चाहता है, उसे कभी भी दूसरे का अहित कर्म नहीं करना चाहिए।। #firstquote #sanskrit #संस्कृतम्