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Nidhi Pant
मुखौटे ही तो चेहरे हैं, चेहरे ही तो मुखौटे हैं, सच के ऊपर लगे हुए ना जाने कितने पहरे हैं। खुद भी ना पहचान सके जब भ्रम ही इतने गहरे हैं। मुखौटे ही तो चेहरे हैं चेहरे ही तो मुखौटे हैं। #मुखौटे_के_पीछे_का_सच
RAJESHWAR SINGH RAJU
मुखौटा मेरे इर्द-गिर्द अक्सर मंडराते अपनेपन का रौब जमाते मेरे अपने हैं भी कि नहीं मैं नहीं जानता । क्योंकि, लोग आजकल अपना सच छुपाने लगे हैं और वक्त के मुताबिक मुखौटा लगाने लगे हैं । ©RAJESHWAR SINGH RAJU मुखौटे
Ankit Mishra
हर मोड़ पर मिलते है हम दर्द हज़ारो, लगता है इस शहर में अदाकार बहुत है। #NojotoQuote मुखौटे
Manmohan Dheer
लिपे पुते चेहरों के भरम हमारी आँखों से यूँ चिपक गए मुखौटों के हुजूम में हम चौखटों की फितरत भूल गये . धीर मुखौटे
CK JOHNY
आओ अपने मुखौटे आज उतारे अपना असली स्वरूप हम उघाड़े। पर्दे जो जो चढ़े हैं निर्मल रुह पर इक इक कर उन सबको आज उतारें। बात नहीं करे़गे पांच तत्व पच्चीस प्रकृतियों की हम तो उजागर करेंगे ओढ़ी हुई विकृतियों की। मन कुछ मुख कुछ और इस पर करेंगे आज कुछ गौर। कथनी जैसी वैसी करनी करेंगें जब हमने किया है तो हम ही भरेंगें। मुख में राम बगल में छुरी गाँठ बाँध लो बात है ये बुरी। जो पीठ पीछे मुँह पर वही बात करेंगे। निंदा चुगली और नुकताचीनी समझ लें ये बात है बड़ी कमीनी। सरल हृदय से स्पष्ट सही बातें कटे सकून से दिन चैन से रातें। जब इक इक चेहरे पे हैं कितने ही चेहरे मेरे मुँह पर मेरे हैं तेरे मुँह पर हैं तेरे। मतलब में खंड मिश्री हो जायें घी खिचड़ी वरना तोते की तरह ये हरजाई मुँह फेरे। मुख उजल दिल अति काला जीभ अमृत मन विषियर नाग काला। आज मन का फन कुचल डारें। आओ अपने मुखौटे आज उतारें अपना असली रूप हम उघाड़े। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ 22.07.2020 मुखौटे
Pankaj Kumar
चैहरे मुखौटे है। मुखोटे ही तो चैहरे है। अंदर का राम जला दिया । कैसे उल्टे पड़े दशहरे हैं। अपनी ही आवाज सुन न पाए। हम पुर्ण रूप से हुए बेहरे है। मन की नदीयां उफान पा न सकी। हम दिखते कितने गेहरें है। ये मुखौटे कोई उतार न ले । लगा दियें लाखों पेहरे है चेहरे ही तो मुखौटे है मुखौटे ही तो चैहरे हैं। ©Pankaj Kumar मुखौटे
Viaan.ki.poetry
अंधेरी राहों में अब क्या ही भटकू मैं! इस फरेब भरी दुनिया में लोग मुखौटे कई रंगों के ले कर साथ चलते है! एक रंग .......... जो गलती से पहचान लेता हु मै ! बाद में वो रंग देखने को दोबारा कहा ही मिलते है ? ©Viaan.ki.poetry मुखौटे