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VD GK STUDY
loknath sahu
आज ही के दिन अंतरिक्ष में मार गिराया सैटेलाइट 2019 भारत ने मिशन शक्ति के तहत एंटी सैटेलाइट मिसाइल का सफल प्रक्षेपण किया। परीक्षण उपग्रह को नष्ट किया! ©loknath sahu #Indian रॉकेट
बागीश तिवारी पत्रकार
Abhay Bhadouriya
अमेरिकी कवि चार्ल्स बुकोवस्की की कविता तो आप लेखक बनना चाहते हैं अगर फूट के ना निकले बिना किसी वजह के मत लिखो। अगर बिना पूछे-बताए ना बरस पड़े, तुम्हारे दिल और दिमाग़ और जुबां और पेट से मत लिखो।
Sunil itawadiya
किताबें करती हैं बातें, बीते जमाने की कैप्शन पूरा पढ़े 💐🤗🙏🏼👍 कैप्शन 👉🤗👍 किताबें करती हैं बातें बीते ज़माने की, दुनिया की,इंसानों की आज की, कल की, एक-एक पल की खुशियों की, ग़मों की, फूलों की, बमों की,
Aditya Fogat
बाहर दीवाली की रोशनी है, दीपक जगमगा रहे हैं पर हर तरफ एक खामोशी ओर सन्नाटे भरा मौसम है, ना पटाखों की आवाज, ना आसमान में रॉकेट की रोशनी, ना घ
Aditya Fogat
बाहर दीवाली की रोशनी है, दीपक जगमगा रहे हैं पर हर तरफ एक खामोशी ओर सन्नाटे भरा मौसम है, ना पटाखों की आवाज, ना आसमान में रॉकेट की रोशनी, ना घ
साहस
समझ आप में गलत हो, तो जीवन में मोच होती है। सोच अगर आपकी सही हो... तो जीवन मे लोच होती ही है..!! #YourQuoteAndMine Collaborating with Gautam Kothari
Aprasil mishra
एकात्मवाद के संगम में बेजोड़ दौड़ना पड़ता है। परिमण्डल के प्राणों का भी तो मोह छोड़ना पड़ता है।। जय और पराजय की बातों पर कर्ण नहीं खोले जाते। दो - चार अनर्गल विश्लेषण पर मर्म नहीं तोले जाते।। बहुसंख्य समूहों के पीछे अधिभार नहीं बनना होता। नव भीड़तन्त्र के हिस्से का व्यापार नहीं बनना होता।। निज भुजदण्डों के पौरुष पर ही द्वण्द यहाँ पर होता है। बहुरक्त दूर सम्बन्धों पर आधार नहीं बनना होता।। हम मिथ्यावाद भुजंगों के पायस में साथ नहीं रहते। हम वाद और प्रतिवादों में आँचल को ग्रास नहीं कहते।। लोचन का लोचन क्या लेना जब लोच यहीं संपीडित है। हम व्यर्थ बानगी पर इनके अपणक पर्याय नहीं लेते।। विद्रुपी अराजक तत्वों के सुरकण्ठ अगर अनुनादित हों। अंतरपट विटप वितानों पर उच्छृंखल इनकी साजिश हों।। कटुता की सारी परतों में गहरे प्रशान्त सम झाँईं हो। और हमारे स्वत्त्वमानों पर भ्रामकता की आतिश हो।। तो ऐसी प्रस्थिति के भीतर हम अंध-बधिर बन जाते हैं। मानों तो मदकल ही बनकर हम पग प्रयाण कर जाते हैं।। एकान्त रमण के सन्नाटों से ही अभिव्यक्ति होती है। हम कुशल-क्षेम के प्रश्नों तक ही सीमांकित हो जाते हैं।। ******************************* एकात्मवाद के संगम में बेजोड़ दौड़ना पड़ता है। परिमण्डल के प्राणों का भी तो मोह छोड़ना पड़ता है।। जय