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Ramji Tiwari
White विधा-मनहरण घनाक्षरी छंद *मधुमास आ गया* कूके कोयलिया बाग,गाती सुमधुर राग। हुई धरा हरी- भरी, मधुमास आ गया। खिले बहु सुमन हैं,भए रम्य चमन हैं। लौट फिर से सुखद, अहसास आ गया। सारे जग की स्वामिनी, वर मंगल दायिनी। शारदा भवानी माँ का, पर्व खास आ गया। लेके पूजा थाल हाथ,टेक तेरे दर माथ। तुमको मनाने माता,"राम" दास आ गया।। हर दिन करें पूजा,और नहीं काम दूजा। मेरे प्यासे नयनों को ,दरश दिखाइए। तप सिद्धियों की खान, अतुलित बलवान। देके हमें वरदान,सबल बनाइए। दे दो हमें वरदान,वाणी करें गुणगान। निज भक्ति भाव प्रीति,हृदय जगाइए। फैला तम चहुँ ओर,दिखे नहीं कोई छोर। फैला पाप जग घोर,तमस मिटाइए।। स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम" उन्नाव (उत्तर प्रदेश) ©Ramji Tiwari #छंद #मनहरण_घनाक्षरी_छंद #poem #Spring
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White मनहरण घनाक्षरी छंद- घर- घर उल्लास है, कोई नहीं उदास है। बह रही चहुँ ओर,फागुनी बयार है।। आम फूली अमराई,छाँव लगे सुखदाई। छाया हर तन पर, रंगों का खुमार है।। देख चहुँ हरियाली,कूँजे पिक मतवाली। कल- कल बह रही,गंगा नदी धार है।। झूम रहे नर नारी,देख खेत बाग- बारी। धरा ने भी कर लिया,सोलह श्रृंगार है।। घूम-घूम खग वृंद,गा रहे हैं गीत छंद। खिल गई हर कली, झूम रही डाली है।। चम-चम करें तारे, लगें मन अति प्यारे। जगमग होती अब,रात काली-काली है।। यौवन उमंग भरे,चोली बहु तंग करे। इठलाती फिर रही,गोरी मतवाली है।। मल गई रंग गाल,आई न समझ चाल। बड़ी नटखट मेरे,भैया जी की साली है।। स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम" उन्नाव (उत्तर प्रदेश) ©Ramji Tiwari #Spring #poem #छंद #Festival #Nature #Friend
Ramji Tiwari
Unsplash जय माँ शारदा विधा-सरसी छंद १६/११ पदान्त २१ भगवत गीता में मिलता है,सब ग्रंथों का सार। मानव जीवन की खातिर है,जीवन का आधार। जो गीता प्रतिदिन पढ़ते हैं, कभी न खाते खार। गीता ज्ञान बिन नहीं होगा, मानव का उद्धार।। स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम" उन्नाव (उत्तर प्रदेश) ©Ramji Tiwari #Book #poem #छंद #कविता #भक्ति भक्ति भजन
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White पसंद आ रही हैं आती नापसंद चीजें, कल को आदी न कर दें जो पाबंद चीजें, राह खोल सकती हैं मुझतक जैसे बंद चीजें, डर है, क्या करूं लेकिन गीत के वे छंद चीजें, फिर भी दूर रहें मुझसे लत के नाम पे चंद चीजें। ©BANDHETIYA OFFICIAL #sad_quotes #छंद
Vivek
कोई किसी का,किस पल हो, ऐसी ही वो सोच बनाता है, फिर किसी दिल की खोज के कारण, आपस में कहीं मिलवाता है, फिर बनते हैं बंधन कहीं, ज्यों गूंथी रहती हैं कई पंखुड़ियांआपस में , एक पुष्प बनाने को, धरा को न जाने कितने पुष्पों से सजाने को...!!! ©Vivek #प्रेम
अश्लेष माडे (प्रीत कवी )
White तुला जर राहायचंच असेल कायम आयुष्यात माझ्या तर कोणत्याही परिस्थितीत मी तुला सोडणार नाही काहीही होउदे तुला येउदे कितीही संकटे माझ्यात गुंतलेलं तुझं मन मी कधीही मोडणार नाही... जितके दिवस सोबत असेल एकत्र आपली त्या दिवसात तुला कधीच एकटं सोडणार नाही एक वर्ष जरी मिळाले आनंदाने सोबत जगायला प्रत्येक क्षण फक्त तुझ्यासाठी असेल अनं मी माझ्यात असणार नाही... कोणत्याही परिस्थितीत मी तुला Accept करायला तयार असेल तू मात्र ठरव,की तूच मला कोणत्याही कारणाने सोडणार नाही काहीही होउदे आवड आणि प्रेम कधीच कमी होणार नाही माझं फक्त तू सांग तुझ्या मनाला ,तूच माझं मन कधीच तोडणार नाही... प्रेम असेल तर कोणत्याही परिस्थितीत आपण आनंदी जगू शकतो वचन दे कोणत्याही कारणाने तू मला सोडणार नाही दिली जर साथ तू मला शेवटपर्यंत दूर होण्याची कारणे न देता तर वचन देतो तुझ्यानंतर माझ्या आयुष्यात कुणीही असणार नाही... ©अश्लेष माडे (प्रीत कवी ) #love_shayari मराठी प्रेम स्टेटस फक्त प्रेम वेडे मराठी प्रेम कविता संग्रह खर प्रेम मराठी प्रेम कविता
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read moreAnuj Ray
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset मुक्त छंद कविता कोहरा ठिठुर रहा कब से सर्दी में, सूरज के रथ का पहिया ढीला जंगल जलता धू धू कर हिमशिखर बना सरिता का पानी। चलती पगडंडी मुड़ मुड़ कर देखें। नारी मंडवा बैठ निहारे पक्षी खड़ी फसल चौपट कर डाली कृषक का दुश्मन पाला नरभक्षी। ©Anuj Ray # मुक्त छंद कविता"
# मुक्त छंद कविता"
read moreDinesh Sharma Jind Haryana
green-leaves प्रेम के बिना न कोई प्रार्थना है न कोई परमात्मा है ©Dinesh Sharma Jind Haryana #प्रेम
Parul Sharma
White लोग प्रेम में पड़कर प्रेम को ही विसर्जित कर देते है प्रेम ईश्वर है कोई मूर्ति नहीं ©Parul Sharma #प्रेम
Avinash Jha
एक प्रेम कहानी ऐसी भी एक प्रेम कहानी ऐसी भी, जहाँ न कोई शोर था, न दीवानेपन की बात। बस खामोशी में कह गए सब कुछ, दिलों के बीच के अनकहे जज्बात। न मंदिर की घंटियाँ गूंजी, न चाँद को गवाह बनाया। साधारण से दिनों में ही, इन्होंने इश्क का रंग चढ़ाया। ना नजरें चुराई उन्होंने, ना वादों के पुल बांधे। बस हर कदम साथ चलते रहे, जीवन को प्रेम से साधे। कभी किताबों के पन्नों में, तो कभी चाय की चुस्की में। उनका इश्क झलकता था, छोटे-छोटे पल की झलकियों में। सूरज की पहली किरण संग, मुस्कान का आदान-प्रदान। और चाँदनी रातों में, सपनों का मधुर बयान। न छत पर चढ़कर पुकारा, न गुलाबों की कोई कहानी। बस हाथों की लकीरों में, सजा ली उन्होंने अपनी जिंदगानी। एक प्रेम कहानी ऐसी भी, जो थी न साधारण, न खास। लेकिन उनकी दुनिया में, बस इश्क ही था हर सांस। ©Avinash Jha #प्रेम