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Amit Singhal "Aseemit"
अनुकूल ही चलता रहे सबका समय चक्र, कभी न पड़े समय की दृष्टि किसी पर वक्र। ईश्वर करे कि समय न रहे कभी प्रतिकूल, पुष्प ही जीवन में खिलें, न चुभे कभी शूल। ©Amit Singhal "Aseemit" #वक्र
Pankaj Kumawat
SURAJ आफताबी
छिछले पल्लू में छुपकर भीगी आँच जले बादल की हर बूँद बदन पर जैसे कोई काँच गले जरा उल्लेख करो खुदाया कौनसे औजार की है ये कारीगरी हर वक्र देह का, किसी शिल्पकार की नापी-तौली टाँच लगे! जरा सी क्या ठहर ली आँखों की पुतली कटि पर सारी गजल-कविताएँ मिथ्या, फ़कत ये प्रशस्ति साँच लगे है दावा, बिक जाये कायनात की सारी कोहिनूरी शोहरत एवज़ में जिसके गर शफ्फ़ाक हुस्न पर जाँच लगे ! वक्र - curve कटि- कमर प्रशस्ति- किसी की प्रशंसा में लिखा गया ग्रंथ शफ्फ़ाक- निर्मल #yqdidi #yqbaba #yqlove #khoobsurat #love #yqhindi #poet
Poetry with Avdhesh Kanojia
उनसे दूर अल्पावधि का वैराग्य ---------------------- शरीर के किसी अंग के कट जाने पर होने वाले... कष्ट जैसा ही है, किसी अपने को खोना। फिर भी सांसारिक कार्यो में मन को रमाना.. पर अंतर्मन में निर्वात की स्तिथि का उत्पन्न होना... यदि चित्त में विषाद और सुख की स्तिथि... समभाव में हो तो कदाचित... यही है अल्पावधि के वैराग्य की स्थिति। ©Avdhesh Kanojia #covid19 #corona #Life #Safe #poem #Poetry #Poet अल्पावधि का वैराग्य ---------------------- शरीर के किसी अंग के कट जाने पर होने वाले... क
Poetry with Avdhesh Kanojia
अल्पावधि का वैराग्य ---------------------- शरीर के किसी अंग के कट जाने पर होने वाले... कष्ट जैसा ही है, किसी अपने को खोना। फिर भी सांसारिक कार्यो में मन को रमाना.. पर अंतर्मन में निर्वात की स्तिथि का उत्पन्न होना... यदि चित्त में विषाद और सुख की स्तिथि... समभाव में हो तो कदाचित... यही है अल्पावधि के वैराग्य की स्थिति। #coronavirus #covid19 #poetry #poem #poemtime #life #lifequotes अल्पावधि का वैराग्य ---------------------- शरीर के किसी अंग के कट जाने पर
Ak Maurya
Trilok
Madhav Jha
की सुबह हो और सबको प्रेम मिले और साथी मिले... जो अड़े हैं हैं उन्हें सद्बुद्धि मिले क्योंकि हमें उन्होंने उपहार स्वरूप प्रेम दिया है वही प्रेम उनको भी मिले और वो क़बूल कर लें क्यूंकि आज फिर विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस भी है अब अगर वो नहीं माने की प्रेम है उन्हें हमसे तो फिर इरादों के पक्के हम भी हैं... अटल सत्य का पाणिग्रहण किया जा सकता है। सुप्रभात। वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ:। निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा॥ आप सभी को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
Madhav Jha
संस्कृत का यह श्लोक कुछ इस प्रकार है: वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटिसमप्रभम् निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा। जो असंख्य सूर्यों में गणित कोटि अर्थात् करोड़ो सूर्यों के समान देदीप्यमान हैं, महाकाल और महा विशाल हैं और जिनका तुण्ड अर्थात् मूंह अथवा नाक टेढ़ा है, जो मेरे सभी बाधाओं को विहीन कर देते हैं ऐसे देव मेरे सभी कार्य को हमेशा ही निर्बाधित कर दें। #संस्कृतिकाश्लोकतोसहीकरें सुप्रभात। वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ:। निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा॥ आप सभी को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
Brijendra Dubey 'Bawra,
आप सभी के स्नेह और उत्साहवर्धन के लिये बहुत-बहुत आभार मात्र पंद्रह दिन की अल्पावधि में 50+ प्रिय पाठकों ने हमें फॉलो किया है, मैं आप सभी का