Find the Latest Status about चमकदार कन्या from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, चमकदार कन्या.
doctor vishal Kumar
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- जब कभी बेटी से नफ़रत होगी । फिर उसी दिन देखो आफ़त होगी ।।१ जब तुमको उससे मुहब्बत होगी । फिर यही दुनिया ही जनन्त होगी ।।२ लूट की आज छुपाते दौलत । क्यों न बेटे की ही चाहत होगी ।३ छीन सकता नहीं कोई तुमसे । ज्ञान की पास जो दौलत होगी ।।४ दान कन्या का भी करके देखो । माँगने की क्या ये आदत होगी ।।५ बेटियां पाल नहीं सकते तो । क्या मिटाने की ही हिम्मत होगी ।।६ ज़िन्दगी ले आयी दो राहे पे । और अब क्या कयामत होगी ।।७ राह में छेड़ते जो बहनों को तो उनको भाई की जरुरत होगी ८ तू प्रखर सोचता कुछ ज्यादा है । तेरे दिल में क्या शराफ़त होगी ।।९ २४/०१/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- जब कभी बेटी से नफ़रत होगी । फिर उसी दिन देखो आफ़त होगी ।।१ जब तुमको उससे मुहब्बत होगी । फिर यही दुनिया ही जनन्त होगी ।।२ लूट की आज छु
Gautom Mitra
Dr. Bhagwan Sahay Meena
#विषय - विदाई #विधा - गीत (कन्याभ्रूण हत्या पर) मां तेरी मैं घनी लाड़ली, ना गर्भ से करों विदाई। बाबुल मेरी गलती बतला, सब समझें मुझे पराई। जहां आंगन तेरे खेलती, ले फूल सी अंगड़ाई। पापा देख देख मुस्काती, मैं सहती नहीं जुदाई। मैं अंगुली पकड़े चलती मां, जग तेरी करें बढ़ाई। तात मात से दुनिया कहती, बेटी ही घर महकाई। मां तेरी मैं घनी लाड़ली, ना गर्भ से करों विदाई। बाबुल मेरी गलती बतला, सब समझें मुझे पराई। देख जगत की यह करतूतें, आंखें मेरी भर आई। गर्भ से जब किए निष्पादन, बोटी - बोटी घबराई। मखमल सी मेरी काया को,यूं खंड खंड कटवाई। चीखें मेरी निकली होगी, मां गर्भाशय मरवाई। मां तेरी मैं घनी लाड़ली, ना गर्भ से करों विदाई। बाबुल मेरी गलती बतला, सब समझें मुझे पराई। कैसे होगा मंगल गायन, कहां बजेगी शहनाई। पाप किया बेटे के खातिर, बेटी जिसने कटवाई। जब बहू ढूंढते जगत फिरें,तब याद गर्भ की आई। दुनिया बेटे की चाहत में, मां बेटी को मरवाई। डॉ. भगवान सहाय मीना बाड़ा पदमपुरा जयपुर राजस्थान। ©Dr. Bhagwan Sahay Rajasthani #maaPapa कन्या भ्रूणहत्या पर गीत विदाई
Ravendra
Ravendra
Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
#मै तो हर नारी में समाई हूं। फिर घर की नारी को अबला समझा। कहीं मै #दुर्गा तो कहीं काली हूं। फिर नारी को सबला न समझा। #नवरात्रि में मै कन्या रूप में पुजी जाऊं। गली नुक्कड़ ढूंढने निकले। फिर ओर दिन क्यों मुझ पर #कुदृष्टि होती है। जरा दया दृष्टि क्यों न दिखाते हैं। क्या नवरात्री के अलावा#कन्या देवी नहीं होती। और बाला मै घर की बेटी न समझा। बुरी दृष्टि डालने वाले भीं कंजक ढूंढे नोरातो में। उनके पैर पूजना पुण्य समझा। घर में भूखी पड़ी है बूढ़ी माई, और मुझे छप्पन भोग लगाते। क्या मुझे अनाड़ी समझा। मां मां कहकर पुकारने वाले घर में मां मे #मै नज़र न आई जब जब मीठा भजन कीर्तन करके मुझे सुनाते हैं। घर में मां बहन बेटी पत्नी से कड़वा घुट पिलाए, उनका कभी मन न समझा। मै तो भाव की भूखी हूं संतान #सुखी हों बस इस कारण हर दुकान पर दिखती हूं। कोई भूखा न रहे, प्यार सम्मान और त्याग करना सिखाया है। हर मानव को मानव को स्नेह से रहना सिखाया है। हर किसी मदद करना सिखाया। मर्यादा का पाठ सिखाया, क्या मुझे खुद मर्यादा में नहीं रहते देखा। हर हाल मे मुझे बांधा है, पर कभी गहनों से तो कभी शस्त्रों से पर बंधी हुई तो भक्तो के प्रेम से। मां का प्यार इतना हैं, उस संतान के लिए लड़ी, पर दुष्टों के लिए पहले शास्त्र है, और बाद में शस्त्र हैं। ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma #कैप्शन में पढ़े मै तो हर नारी में समाई हूं मै ही दुर्गा मै ही काली माई हूं #dhoop #soch #मै तो हर नारी में समाई हूं। फिर घर की नारी को अब
viraj gosavi