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Neel
White तू अपना प्रेम जाहिर करे या न करे ये तेरी इच्छा...😊 पर मेरा वजूद तुझमें हर पल झलके ये मेरी इच्छा...💕 🍁🍁🍁 ©Neel मेरी इच्छा 🍁
RAMAKANT VERMA
Mahadev Son
जब कोई दूसरा तकलीफ में... कर्मों की सज़ा! जब खुद तकलीफ में.... प्रभु इच्छा! |वह रे इंसान || ©Mahadev Son जब कोई दूसरा तकलीफ में होता है तो कर्मों की सज़ा! जब खुद तकलीफ में तो प्रभु इच्छा! |वह रे इंसान ||
!! Akash Maurya!!
Internet Jockey
गर इच्छा राम की है तो हिस्से में वनवास भी आयेगा ©Internet Jockey #ramayan गर इच्छा राम की है तो हिस्से में वनवास भी आयेगा ramnavmi quotes
Anjali Singhal
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} कई लोग मुझे गिराने में लगे हैं, मेरा चिराग बुझाने में लगें है, वो यह समझ ले में एक सिर्फ कतरा नही हूँ,एक पूरा समुद्र हूँ, डूब गए वो लोग, जो डुबाने में लगे थे, यह सभ सम्भव हुआ भगवान श्री हरि इच्छा से, होना तो वही था, जो मेर श्री कृष्ण जी चाहेगे।। ©N S Yadav GoldMine #navratri {Bolo Ji Radhey Radhey} कई लोग मुझे गिराने में लगे हैं, मेरा चिराग बुझाने में लगें है, वो यह समझ ले में एक सिर्फ कतरा नही हूँ,एक
Shivkumar
नवरात्रि का दूसरा दिन है , मां ब्रह्मचारिणी का l मां दुर्गा को दूसरा रुप है , मां ब्रह्मचारिणी का ll तपस्विनी माता , सात्विक रुप धारण करती है l पूजा करने से भक्तों के , सारे कष्ट को वो हरती है l श्वेत वस्त्र मां धारण करती , तपस्या सदा ही वो करती है l तपस्या करने से , सारी सिद्धियां भक्तों को वो देती है ll दूध चावल से बना भोग , मां बड़ा प्रिय वो लगता है l खीर,पतासे, पान, सुपारी , मां को बहुत चढ़ाते हैं ll स्वच्छ आसन पर बैठकर , मां का करें ध्यान l मंत्र जाप करने से , माता कल्याण करती है ll राजा हिमाचल के यहां , माता उत्पन्न हुई थी l विधाता उनके लिए , शिव-संबंध रच रखे थे ll वह पति रुप में , भगवान शिव को चाहती थी l घोर तपस्या करने , वह फिर जंगल में चली गई ll भोलेशंकर , मां के तपस्या जब प्रसन्न हुए मनवांछित वर देने के लिए हो गए तत्पर ll तपस्विनी रुप में , मां को देखकर बोले शिवशंकर l ब्रह्मचारिणी नाम से , विख्यात होने का दिए वर ll ©Shivkumar #navratri #navaratri2024 #navratri2025 नवरात्रि का दूसरा दिन है , मां #ब्रह्मचारिणी का l मां #दुर्गा को दूसरा रुप है , मां ब्रह्मचारि
Internet Jockey
इच्छा तुम्हें रंग लगाने से ज्यादा तुम्हारे रंग में रंगने की है ©Internet Jockey इच्छा तुम्हें रंग लगाने से ज्यादा तुम्हारे रंग में रंगने की है
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Village Life सन्ध्या छन्द 221 111 22 माया जब भरमाती । पीड़ा तन बढ़ जाती ।। देखो पढ़कर गीता । ये जीवन अब बीता ।। क्या तू अब सँभलेगा । या तू नित भटकेगा ।। साधू कब तक बोले । लोभी मन मत डोले ।। इच्छा जब बढ़ती है । वो तो फिर डसती है ।। हो जीवन फिर बाधा । बोले गिरधर राधा ।। मीठी सुनकर वाणी । दौड़े सब अब प्राणी ।। सोचा नहिँ कुछ आगे । जोड़े मन-मन धागे ।। १४/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सन्ध्या छन्द 221 111 22 माया जब भरमाती । पीड़ा तन बढ़ जाती ।। देखो पढ़कर गीता । ये जीवन अब बीता ।। क्या तू अब सँभलेगा । या तू नित भटकेगा